समकालीन जनमत

Month : April 2020

साहित्य-संस्कृति

मशालें लेकर चलना कि जब तक रात बाकी है

संजय जोशी
समकालीन जनमत के फेसबुक लाइव कार्यक्रम की कड़ी में हिरावल, पटना के डी. पी. सोनी ने अपने गीतों की प्रस्तुति दी । गीतों की श्रृंखला...
साहित्य-संस्कृति

रंगनायक के गीतों से शुरू हुआ मई दिवस को समर्पित फेसबुक लाइव का सिलसिला

संजय जोशी
  समकालीन जनमत वेब पोर्टल की पहल पर मई दिवस को समर्पित फेसबुक लाइव का सिलसिला आज 30 अप्रैल को दुपहर 2 बजे जन संस्कृति...
जनमतस्मृति

सफ़र अभी मुक़म्मल नहीं हुआ !

समकालीन जनमत
आशीष कुमार क्या उन सब्ज आंखों को भुलाया जा सकता है ? क्या उस बेतकल्लुफ़ और बेपरवाह हंसी को समेटा जा सकता है ?क्या कला...
सिनेमा

पूँजीवाद और सामंतवाद के गठजोड़ से उपजे शोषण को चित्रित करती है ‘दामुल’

मुकेश आनंद
(महत्वपूर्ण राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मों पर  टिप्पणी के क्रम में आज प्रस्तुत है जाने माने निर्देशक प्रकाश झा की दामुल । समकालीन जनमत केेे लिए मुकेश आनंद द्वारा लिखी जा रही...
सिनेमास्मृति

मुझे लगा कि मैं एक्टिंग में अपने आपको एक्सप्लोर कर सकता हूँ – इरफ़ान खान 

समकालीन जनमत
राज्य सभा टी वी के मशहूर प्रोगाम 'गुफ़्तगू' में  एक्टर इरफ़ान खान के साथ इरफ़ान की बातचीत...
स्मृति

इतनी जल्दी नहीं जाना था आपको

आशुतोष चन्दन
पानसिंग तोमर देखने के बाद यही सोचता रहा था कि काश आख़िरी सीन में पानसिंग को गोली न लगती। वो अपनी वो रेस जीत जाता...
स्मृति

अलविदा प्रिय अभिनेता

दिवस
  कुछ अभिनेताओं की पर्दे में उपस्थिति वैसी ही ख़ुशी देती है जैसे अपने किसी बहुत अज़ीज़ को देखकर रोम-रोम ख़ुशी से लहरा उठते हैं....
ख़बर

छात्रों, बुद्धिजीवियों, प्रतिरोध की आवाज़ों को खामोश करने की सत्ता की कोशिशें जारी हैं

समकालीन जनमत
देश भर में छात्रों, बुद्धिजीवियों, प्रतिरोध की आवाज़ों को धमकाने की, खामोश करने की सत्ता की कोशिशों और कार्यवाही की ही कड़ी में 27 अप्रैल...
पुस्तक

अवधेश त्रिपाठी की आलोचना पद्धति में लोकतंत्र के मूल्य प्राण की तरह है

दुर्गा सिंह
  किसी भी आलोचक के लिए जरूरी होता है, कि वह बाह्य जगत के सत्य और रचना के सत्य से बराबर-बराबर गुजरे। आलोचना के लिए...
स्मृति

मशहूर अभिनेता इरफान खान नहीं रहे

समकालीन जनमत
मशहूर अभिनेता इरफान खान का आज मुम्बई के कोकिला बेन अस्पताल में निधन हो गया। 54 वर्षीय इरफान खान की तबियत कल शाम अचानक बिगड़...
कविता

कोरोना काल में स्त्री कविता :  ‘ये खाई सदियों पुरानी है/यह सूखी रोटी और पिज्जा के बीच की खाई है’

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच की ओर से फेसबुक पर चलाये जा रहे ‘कविता संवाद’ लाइव कार्यक्रम के तहत 26 अप्रैल को सात कवयित्रियों  की रचनाएं सुनाई...
पुस्तक

लोकतंत्र का मर्सिया हैं ‘सुगम’ की ग़ज़लें

दुर्गा सिंह
  हिंदी ग़ज़ल में महेश कटारे ‘सुगम’ जाना-माना नाम है। ‘सुगम’ हिंदी ग़ज़ल की उसी परंपरा से आते हैं, जिसे दुष्यंत, अदम गोंडवी, शलभ श्रीराम...
स्मृति

‘गाओ कि जीवन गीत बन जाए’ लिखने वाले कवि, गीतकार महेन्द्र भटनागर नहीं रहे

कौशल किशोर
महेन्द्र भटनागर की कविताएं बाहर की दुनिया के साथ भीतर की दुनिया में उतरती हैं. प्रणय और प्रकृति प्रेम पर लिखी  इनकी कविताएं हमें केदारनाथ...
सिनेमा

द फेमिली मैन – हर जगह खास करने के लिए संघर्ष करते आम आदमी के घर और बाहर की कहानी

पंकज पाण्डेय
हमारे समय के सभी मत्वपूर्ण सवालों पर कमेंट करती यह वेब सीरीज है, जिसे राज निदिमोरू, और कृष्ण डी. के. ने एक कहानी के माध्यम...
जनमत

महामारी के दौर में कितना असुरक्षित है देश का ‘नया मजदूर’ ?

मीनल
ये न तो गरीब हैं, जो फिलहाल भूख से मर रहा है और न ही ये वे लोग हैं जिनको सरकार किसी किस्म की आर्थिक...
कविता

यातना का साहस भरा साक्षात्कार हैं लाल्टू की कविताएँ

आशुतोष कुमार
धरती प्रकृति ने बनाई है. लेकिन दुनिया आदमी ने बनाई हैं. दुनिया की बीमारियाँ , पागलपन और विक्षिप्तियाँ भी आदमी ने बनाई हैं. लेकिन कविता,...
स्मृति

जिंदादिली और जीवटता की अद्भुत मिसाल थे कामरेड अखिलानंद पांडेय

समकालीन जनमत
ऐसे प्रतिबद्ध, जिंदादिल एवं अद्भुत जीवट वाले बहादुर कम्युनिस्ट योद्धा का हमारे बीच से जाना समूचे कम्युनिस्ट व मजदूर आंदोलन की भारी क्षति है....
पुस्तक

अछरिया हमरा के भावेले

गोपाल प्रधान
पुस्तकालय केवल कोई इमारत नहीं होता बल्कि सम्पूर्ण सामाजिक ढांचा होता है। किताब में जो जानकारी कूटबद्ध होती है उसे हासिल करने के जरिए हम...
ये चिराग जल रहे हैं

अशोकजी : पराड़कर-युगीन पत्रकारिता का अंतिम अध्याय

नवीन जोशी
आज जब शब्द, भाषा, व्याकरण, उच्चारण सब गड्ड-मड्ड हो गये हैं, यह समझा पाना मुश्किल है कि तब पत्रकारिता में इनको कितना महत्त्वपूर्ण माना जाता...
Fearlessly expressing peoples opinion