समकालीन जनमत

Tag : सारी खींचतान में फ़रेब ही फ़रेब है

पुस्तक

लोकतंत्र का मर्सिया हैं ‘सुगम’ की ग़ज़लें

दुर्गा सिंह
  हिंदी ग़ज़ल में महेश कटारे ‘सुगम’ जाना-माना नाम है। ‘सुगम’ हिंदी ग़ज़ल की उसी परंपरा से आते हैं, जिसे दुष्यंत, अदम गोंडवी, शलभ श्रीराम...
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