समकालीन जनमत

Tag : पत्रकारिता

जनमत

उर्दू पत्रकारिता में इंसानियत का दायरा बड़ा होना चाहिए

जनार्दन
(इस आलेख का विचार शफ़ी किदवई के एक आलेख से ग्रहण किया गया है। शफ़ी किदवई का यह आलेख ‘उर्दू का लोकवृत्त’ (The Urdu public...
पुस्तक

‘उड़ता बनारस’: स्थापत्य में फ़ासीवाद                                       

गोपाल प्रधान
सुरेश प्रताप की किताब ‘ उड़ता बनारस ’ हमसे वर्तमान शासन के कुछ कारनामों को गहरी निगाह से देखने की मांग करती है । पिछले...
पुस्तक

कुर्सी के लिए कत्ल: गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
2019 में शब्दलोक प्रकाशन से छपी किताब ‘सत्ता की सूली’ को तीन पत्रकारों ने मिलकर लिखा है । इस किताब ने वर्तमान पत्रकारिता को चारण...
ज़ेर-ए-बहस

मीडिया और बाज़ार

समकालीन जनमत
कोरस के फेसबुक लाइव की शृंखला में बीते रविवार 4 अक्टूबर को स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित से ‘मीडिया और बाज़ार ‘ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर...
ज़ेर-ए-बहस

शोर ने गंभीर पत्रकारिता की जगह ले ली है और यह देश के जनतंत्र पर सबसे बड़ा खतरा है! : बी.बी.सी. पत्रकार प्रियंका दुबे

समकालीन जनमत
कोरस के फेसबुक लाइव में रविवार 26 जुलाई को बीबीसी पत्रकार प्रियंका दुबे से मीनल ने बातचीत की l प्रियंका हिंदुस्तान टाइम्स, तहलका और कारवां...
शख्सियत

बहुत हो गया…मैं जल्दी बरेली आऊंगा…अब जो होगा वहीं होगा

शालिनी बाजपेयी
(हिंदी के महत्वपूर्ण कवि वीरेन डंगवाल का आज जन्मदिन है। वह आज हमारे बीच होते तो 73 बरस के होते। वीरेन डंगवाल के जन्मदिन पर...
ये चिराग जल रहे हैं

अशोकजी : पराड़कर-युगीन पत्रकारिता का अंतिम अध्याय

नवीन जोशी
आज जब शब्द, भाषा, व्याकरण, उच्चारण सब गड्ड-मड्ड हो गये हैं, यह समझा पाना मुश्किल है कि तब पत्रकारिता में इनको कितना महत्त्वपूर्ण माना जाता...
ख़बरजनमत

‘ पत्रकारिता अपना सबसे आदर्श लक्ष्य तब हासिल करती है, जब वो सच को साहस से बोलती है ’

समकालीन जनमत
  रवीश कुमार को ‘ रैमॉन मैगसेसे ‘ पुरस्कार मशहूर पत्रकार एनडीटीवी के रवीश कुमार को प्रतिष्ठित ‘ रैमॉन मैग्सेसे ‘ पुरस्कार 2019 देने की...
शख्सियत

अमन की शहादत

हम मीडिया के लोग आराम कुर्सियों पर बैठकर भी संघर्षविराम के पक्ष में नहीं खड़े हो पाते हैं, लेकिन जिस शख्स ने अपने कश्मीर को...
Fearlessly expressing peoples opinion