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सिनेमा

द फेमिली मैन – हर जगह खास करने के लिए संघर्ष करते आम आदमी के घर और बाहर की कहानी

वेब सीरीज: द फेमिली मैन

निर्देशक : राज निदिमोरू और कृष्ण डी. के.
कलाकार : मनोज बाजपाई, शारिब हाशमी, प्रियामणि, नीरज माधव, गुल पनाग आदि.
वेबिसोड- 10
कहानी कुछ यूँ-
1
कॉस्ट गार्ड द्वारा कोच्ची के नजदीक पकड़े गए आईसिस के तीन आतंकी टास्क (NIA की काल्पनिक विंग) को सौपें जाते वक़्त भागने की कोशिश करते हैं. श्रीकांत (मनोज बाजपाई) की बेटी धृति (महक ठाकुर) पर स्कूल से निलंबन की तलवार लटक रही होती है, जिसके लिए बीच में ही श्रीकांत को उसके स्कूल जाना होता है. भाग रहे आतंकियों पर फ़ोर्स वन द्वारा की गई फायरिंग में एक आतंकी मारा जाता है तथा एक आतंकी गिरफ्तार हो जाता है. श्रीकांत स्कूल प्रिंसिपल से मीटिंग छोड़कर आता है, और आतंकी मूसा(नीरज माधव) को सरेंडर करने के लिए मना लेता है. घायल आतंकी आसिफ और मूसा को हॉस्पिटल में एडमिट कराया जाता है. वहीं पाकिस्तानी सेना का मेजर समीर भारत मे मिशन ज़ुल्फ़िकार को अंजाम देना चाहता है ताकि भारत पाकिस्तान को युद्ध में झोंका जा सके और पाकिस्तान का तख्ता पलट किया जा सके.
2.
बम को डीफ्यूज करते वक़्त हुए स्कूटर-बम ब्लास्ट में जवान मारा जाता है. इस ब्लास्ट के आरोपियों को पकड़ने के क्रम में तीन आईटी इंजिनियरों का सम्बन्ध आईसिस से पाया जाता है. इनसे पूछताछ करते हुए विक्टोरिया कॉलेज में पढने वाले एक संदिग्ध करीम का पता चलता है जिसे किसी ड्रापबॉक्स से सूचनाएँ मिलती हैं.
3.
पुलिस करीम पर नजर रखती है. आईसिस करीम से संपर्क करती है, जिसके कारण टास्क भी करीम पर निगरानी रखती है. ड्राप बॉक्स से करीम को सूचना मिलने के बाद टास्क को लगता है कि करीम कुछ करने की प्लानिंग कर रहा है. करीम अपने दो दोस्तों के साथ किसी पार्टी में जाने की तैयारी करता है. टास्क इसी लोकेशन का पता लगाने की कोशिश करती है.
4.
श्रीकांत को लगता है कि उसकी पत्नी के अरविन्द (शरद केलकर) से अफेयर हैं, जबकि सुचित्रा किसी नए जॉब के सिलसिले में ही उससे मिलती है. सुचित्रा के फोन की लोकेशन ट्रेस करके श्रीकांत उसी होटल में पहुँचता है जहाँ अरविन्द और सुचित्रा, नई जॉब के बारे में बात कर रहे होते हैं. अन्यमनस्क श्रीकांत ऑफिस वापस लौटता है. टास्क को वह लोकेशन मालूम पड़ जाती है जहाँ करीम जाने वाला है. सड़कें ब्लाक करके करीम की गाड़ी रोक ली जाती है. करीम का एक दोस्त गोली चलाता है. जवाबी कार्यवाही में तीनों मारे जाते हैं. गाड़ी की जाँच करने पर उसमे बीफ मिलती है, जिसे वे पार्टी में लोगों को खिलाने वाले होते हैं. टास्क को बचाने के लिए करीम और उसके दोनों दोस्तों को मीडिया में आतंकी बता दिया जाता है. श्रीकांत घर पहुँचता है, सुचित्रा के साथ अरविन्द के संबंधों को लेकर लड़ता है. साजिद (सहाब अली) – स्कूटर बलास्ट का संदिग्ध – पुलिस की कस्टडी से छूटता है.
5.
साजिद आईसिस एजेंट से मिलता है. एजेंट बताता है कि साजिद को किसी बड़े मिशन के लिए श्रीनगर जाना है. वहीं श्रीकांत, करीम और उसके दो दोस्तों को मारने के कारण चल रही विभागीय जाँच में, खुद को दोष देता है. वह करीम के लिए उसकी दोस्त जोनाली के द्वारा निकाले जा रहे शांति और न्याय मार्च में जाकर कहता है कि करीम आतंकी नहीं था.
हॉस्पिटल में मूसा नर्स से नजदीकियां बढ़ा लेता है और आसिफ के बारे में जानकारी लेता है कि उसमें सुधार हो रहा है. वह नर्स से फ़ोन लेकर आईसिस को सूचना देता है कि वह कुछ दिंनों में डिस्चार्ज होगा. नर्स से झूठ बोलकर मूसा, आसिफ के वार्ड में पहुँचता है और उसे पोटैशियम का इंजेक्शन दे देता है, जिससे आसिफ की मौत हो जाती है.
श्रीकांत का पनिशमेंट-पोस्टिंग के रूप में श्रीनगर ट्रान्सफर कर दिया जाता है. जाते हुए भी श्रीकांत और सुचित्रा के बीच अनबन खत्म नहीं होती है. श्रीनगर पहुँचने पर कुलकर्णी उसे बताता है कि इंटेलिजेंस की सूचना है कि कोई आतंकी श्रीनगर आने वाला है.
6.
फ्लैशबैक– मूसा आईसिस का वही आतंकी अल-कातिल है जिसने जहरीली गैस से अटैक करके इस्तांबुल में 270 लोगों को मारा था. पाकिस्तानी मेजर समीर (दर्शन कुमार) उसे सीक्रेट मिशन जुल्फिकार के बारे में बताता है.
हॉस्पिटल नर्स जान जाती है कि मूसा ने ही आसिफ को मारा है. मूसा उसे डराता है कि किसी से भी कुछ भी न कहे. न डॉक्टर से और न ही टास्क से. वह ऐसा ही करती है.
श्रीकांत अपनी सी ओ और एक्स-गर्लफ्रेंड, सलोनी( गुल पनाग) से मिलता है. सलोनी और उसके साथियों को लगता है कि बशारत कश्मीर में होने वाले सभी आतंकी हमलों के पीछे है. वहीं सुचित्रा जॉब छोड़कर अरविन्द के साथ जॉब शुरू कर देती है, और अथर्व-धृति को मॉल घुमाने ले जाती है. श्रीकांत अपनी खोजबीन में पाता है कि मूसा ही अल-क़ातिल है. जे के तलपड़े (शारिब हाश्मी) और पाशा (अशोक कुमार), श्रीकांत के निर्देश पर हॉस्पिटल की ओर जाते हैं. हॉस्पिटल में अल-क़ातिल के साथी उसे लेने के लिए पहुँचते है. उनके साथ हुई मुठभेड़ में कुछ आतंकी और पाशा और हॉस्पिटल स्टाफ मारे जाते हैं. अल-कातिल नर्स को मारने के बाद भागने में सफल रहता है.
7.
अरविन्द की बेटी के बीमार होने पर सुचित्रा उसकी मदद के लिए उसके घर जाती है. हॉस्पिटल में हुई घटना के बाद टास्क सवालों के घेरे में आती है. सलोनी को इंटेलिजेंस से सूचना मिलती है कि बशारत बारामुला में किसी शादी में आने वाला है. साजिद भी वहीं शादी में पहुँचता है. बशारत उसकी बात फैजान से कराता है. श्रीकांत भी शादी में भेष बदलकर पहुँचता है, और निगरानी करने लगता है. वह साजिद को पहचान जाता है. सलोनी और मेजर विक्रम के मना करने पर भी साजिद को पकड़ने की कोशिश में साजिद के बनाए जाल में फँस जाता है. जब तक सलोनी श्रीकांत को बाहर निकालती तब तक साजिद फरार हो जाता है.
8.
श्रीकांत, अमेरिकी सेना की मदद से फैजान (मीर सरवार) को पकड़वा लेता है, और बलूचिस्तान पहुँचकर ISI एजेंट बनकर फैजान से यह जानकारी ले लेता है कि दिल्ली में जहरीली गैस का हमला किया जाने वाला है. साजिद को जहरीली गैस को लेकर दिल्ली पहुचना है जहाँ अल-क़ातिल उसे मिलेगा.
सुचित्रा कांफ्रेंस के लिए अरविन्द के साथ लोनावाला चली जाती है. लेकिन बिना बताए धृति लेट नाईट पार्टी करती है और घर पर अकेले अथर्व को श्रीकांत की बन्दूक मिलती है वह उससे खेलने लगता है. पार्टी में परेशान होने पर धृति घर आती है.
9.
टास्क में कंप्यूटर ऑपरेटर गलती से करीम की दोस्त जोनाली को सन्देश भेज देता है. तलपडे इसे मैनेज करने के लिए पुलिस को जोनाली के पास भेजता है. जोनाली, करीम के किसी सामान को ढूँढना शुरू करती है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जनरल अंसारी से मिलकर मिशन ज़ुल्फ़िकार को खत्म के लिए सभी मामलों में बरी करने का तथा नए पद लालच देता है. मेजर समीर को गिरफ्तार कर लिया जाता है. जनरल अंसारी के लालच को जानकर वह जहरीली गैस के बारे में बता देता है. मेजर समीर किसी सैनिक की मदद से ही बशारत को मिशन रोकने के लिए कहता है. बशारत, साजिद को रोकने की कोशिश करता है लेकिन सेना के साथ हुई मुठभेड़ में मारा जाता है. साजिद भाग निकलता है टास्क को लगता है कि मिशन ज़ुल्फ़िकार ख़त्म हो गया है.
साजिद भागकर दिल्ली पहुँचता है और अल-कातिल से मिलता है. जहाँ उसे मिशन ज़ुल्फ़िकार के दूसरे प्लान के बारे में मालूम पड़ता है.
10.
ज़ल्दी ही टास्क को मालूम पड़ता है कि मिशन ज़ुल्फ़िकार ख़त्म नहीं हुआ है. वहीं जोनाली को करीम का बॉडी-कैमरा मिल जाता है, जिसमें उसके मरने से पहले के विडियो हैं. दूसरी तरफ केमिकल फैक्ट्री के एक कर्मचारी को ब्लैकमेल करके मूसा और साजिद वहाँ घुस जाते हैं. फैक्ट्री को इस तरह से सेट करते हैं कि जहरीली गैस बनने लगे और अगले 2 घंटे में पूरी दिल्ली में लोग मरने लगेंगे. श्रीकान्त मूसा की माँ से मिलकर एक विडियो बनाता है, जिसमे वह मूसा से सरेंडर करने की अपील करती हैं. टीवी पर चल रहे इस विडियो को देखने के बाद मूसा जहरीली गैस को रोकना चाहता है. साजिद उसे रोकता है, नहीं मानने पर साजिद मूसा को मार देता है. मूसा के मरने की खबर मिलने पर श्रीकांत और तलपड़े खुश होते है. जोया श्रीकांत से संपर्क करने कि कोशिश करती है लेकिन नहीं कर पाती है. अंतिम दृश्य में केमिकल फैक्ट्री में गैस कंटेनर से जहरीली गैस निकलने लगती है.


फैमिली मैन, श्रीकांत तिवारी (मनोज बाजपाई) की कहानी है. श्रीकांत तिवारी, दो बच्चों धृति और अथर्व का पिता है. कॉलेज में सालों से पढ़ा रही उसकी पत्नी है सुचित्रा (प्रियामणि). वह NIA की एक (काल्पनिक) विंग “टास्क” के लिए मुंबई में सीनियर एजेंट या कहें जासूस का काम करता है. बाहर से देखने पर यह इतना ही सरल दिखता है कि एक आदर्श मध्यम वर्गीय परिवार, जो सहजता से गुजर-बसर कर रहा है. इन्हीं सहजताओं के बीच श्रीकांत के जीवन में वे जटिलताएं हैं जिनसे वह रोज-ब-रोज जूझता है और सुलझाने की कोशिश करता है. वेब-सीरीज परिवार के अन्दर और परिवार के बाहर कुछ घटनाओं के माध्यम से ही समकालीन महत्वपूर्ण सवाल छेड़ती है.
प्राइवेसी इस अ मिथ, जस्ट लाइक डेमोक्रेसी
हालिया समय में सरकारों पर उसके नागरिकों की साइबर निगरानी करके निजता के अधिकारों का उल्लंघन करने जैसे आरोप लगते आए हैं. एक्टिविस्ट, नागरिकों के डेटा का दुरुपयोग करके सर्विल्लांस स्टेट बनाने के खिलाफ दुनिया भर में प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे सम्बंधित कई मामले भी अदालतों में हैं. फैमिली मैन में जे के तलपड़े, जोया को जिस अंदाज में अपने सर्विल्लांस सिस्टम के बारे में बताता है वह पूरे सिस्टम पर एक प्रश्न चिह्न खड़े करता है. सुरक्षा के नाम पर टास्क जैसी एजेंसीज का सर्विल्लांस करना इतना सहज है कि वह कहता है- प्राइवेसी इस अ मिथ, जस्ट लाइक डेमोक्रेसी.
बाद में ‘सुरक्षा के नाम’ पर वाला लिबास भी उतर जाता है श्रीकांत को शक है कि उसकी पत्नी सुचित्रा की अरविन्द से नजदीकियां बढ़ गई हैं. वह खुद को असुरक्षित महसूस करता है. इसी के चलते वह सुचित्रा का मोबाइल नंबर ट्रेस करता है और उसकी निगरानी के लिए उस होटल तक पहुँच जाता है जहाँ अरविन्द और सुचित्रा माटिंग कर रहे होते हैं.
उसकी बेटी को उसका व्यव्हार इतना मैत्रीपूर्ण नहीं लगता कि वह उसे फ्रेंड समझ सके सो वह फेसबुक पर उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं करती है. धृति के बार-बार फ़ोन पर लगे रहने के कारण वह धृति के फ़ोन पर भी निगरानी रखता है.
नथिंग इज अनहैकेबल
यूनीक आईडी से जुड़े मुद्दे, व्हाट्स एप्प या बैंकिंग से जुड़े मुद्दों को लेकर भी बहसें कुछ समय से हो रही हैं. नागरिकों के डेटा को सुरक्षित रखने के मामले में साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट जरुरी सवाल पूछते रहे हैं. यहाँ भी पहले वेबिसोड में भी, धृति का स्कूल सस्पेंशन रोकने के लिए सर्वर में सेंध लगाने जैसे काम भी कर देता है. सेंध लगाने के बाद मनमाने तरीके से डॉक्यूमेंट जनरेट करता है. रात में धृति के सस्पेंशन को लेकर वह सुचित्रा से बात करता है तब सुचित्रा पूछती है कि स्कूल की पुरानी हिस्ट्री निकाल कर तो नहीं किया ये? वह कैसा भी डेटा हो या सर्वर, कंप्यूटर साइंस की कहावत ही को चरितार्थ होती है -नथिंग इज अनहैकेबल’ (सबकुछ हैक किया जा सकता है).
ये प्लान था… बीफ खिलाने का
कुछ समय से राजनीति हमारे जाति-धर्म से बढ़कर हमारी थाली तक पहुँच गई है. यह बेडरूम गॉसिप का हिस्सा बन गई है. हर चीज को राजनीतिक रंग दिया जाना कितना आसान हो गया है. करीम का देशपांडे के लोगों को बीफ खिलाने का प्लान उसी राजीनीति की छुद्रता को दिखाती है. करीम की निगरानी कर रहे टास्क को जब मालूम पड़ता है कि उनका टारगेट नेता देशपांडे की जन्मदिन पार्टी है तो टास्क और फ़ोर्स वन इस (मिशन) को रोकने की कोशिश करते हैं. गाड़ी का रास्ता ब्लाक करने पर करीम का एक दोस्त (जिसके पास बंदूक होती है) रोकने पर भी, फायरिंग कर देता है. इसी क्रम में करीम और उसके दोनों दोस्त मारे जाते हैं. मरने के बाद उनकी गाड़ी में चेकिंग होने पर बीफ मिलता है.
इससे पहले बीफ के नाम पर हो रही मॉब-लिंचिंग की घटनाएँ हालिया समय में देश भर में बढ़ी हैं. इसे करीम बहुसंख्यक अत्याचार के रूप में देखता है. करीम भावुक होकर इन घटनाओं के खिलाफ होता है, इसी कारण आई.एस.आई. के संपर्क में आता है.
खानपान को लेकर रुढ़िवादी हो रहे समाज को लेकर ही तलपड़े व्यंग करता है कि बिरयानी को लेकर यहाँ लोग हलाल हो रहे हैं और हम लोग बोलते हैं कि आईसिस वाले कट्टर हैं.
अंत में तो तलवार ही बचेगी
वेब-सीरीज में विलेन के रूप में मूसा रहमान(नीरज माधव) है. वह आपने आतंकी बनने को 2002 के दंगों से प्रेरित मानता है. और आतंकी घटनाओं को बदले की कार्यवाही के रूप में न्यायोचित ठहराता है. श्रीकांत से भी “आप होते तो क्या करते?” जैसे भड़काऊ सवाल करता है. यही भड़काऊ सवाल और बातें किसी भी समुदाय को एक दूसरे के खिलाफ कर देते हैं और नौजवानों को युद्ध में झोंक देती हैं. श्रीकांत मूसा को जवाब देकर कहता है कि तलवार के बदले तलवार ही उठानी है तो अंत में तलवार ही बचेगी.
करीम और उसके साथियों के एनकाउंटर के बाद वह सहज नहीं रह पाता है. एनकाउंटर की पूरी जिम्मेदारी खुद ही लेता है. इसी के चलते पनिशमेंट ट्रान्सफर पर उसे कश्मीर भेज दिया जाता है. एनकाउंटर के चलते उसका संवेदनशील चेहरा भी सामने आता है. वह जानता है कि मीडिया में उन्हें आतंकवादी बताये जाने के बाद उनके परिवार वाले समाज में सम्मानपूर्वक नहीं जी सकते हैं. दो पक्षों की लड़ाई के बीच निर्दोष की हत्या ही अंत में होती है.
जुल्म-ओ-सितम के नाम
कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को एक अलग नज़र से देखा गया है. कश्मीरी जनता पाकिस्तानी सरकार, उनकी सेना, आई.एस.आई., केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय नेताओं और हुर्रियत की राजीनीति के बीच पिस रही है. कश्मीर में हुई किसी भी घटना के इतने पक्ष होते हैं कि कश्मीर का पक्ष कहीं दिखता ही नहीं, इसका नुकसान भी खून-खराबे या अन्य से कश्मीर को ही भुगतना होता है. एक लोकतांत्रिक देश में जुल्म-ओ-सितम के नाम पर कभी कर्फ्यू, कभी इन्टरनेट बंद कर दिया जाता है. सब कुछ बंद कर दिया जाने से कश्मीरी भविष्य कहीं भी नहीं दिखता है. हालिया धारा 370 हटने शांति व्यवस्था के नाम पर कश्मीर में लम्बे समय तक कर्फ्यू लगना, इन्टरनेट पर रोक लगा दी गई.
कश्मीर के पक्ष में उठाई गई हर आवाज को बाकी दुनिया में आतंकवादी का ठप्पा लगा दिया जाता है, जिससे आई.एस.आई. या पाकिस्तान समर्थक लोग कश्मीरी लोगों को भारत के विरुद्ध आसानी से भड़का देते हैं, और इससे कश्मीरी जानता के सामने बाकी दुनिया को कश्मीर की दुश्मन बता देते हैं. मुंबई में स्कूटर धमाकों का सस्पेक्ट साजिद यही रणनीति अपनाता है जब श्रीकांत उसे पकड़ने को ही होता है. वह श्रीकांत को कश्मीर के खिलाफ बताता है. लोग श्रीकांत पर हमला करते देते हैं, और वह भाग निकलने में कामयाब हो जाता है.
देश को बचाना है या नहीं? धर्म की रक्षा करनी है कि नहीं-
स्थानीय नेता देशपांडे का विडियो करीम के हाथ लगता है. जिसमें वह अन्य लोगों भड़का रहा होता है कि कल हमारी माता बहनों को खायेंगे. वह एक-एक को काटने की बात भी वह करता है.
इसी प्रकार के भड़काऊ भाषणों से प्रेरित हिंसा के कारण करीम पूरे सिस्टम से बहुत गुस्सा है. देशपांडे के धर्म और देश को मिलाकर अपनी राजनीति को चमकाने के लिए बयान कहता है कि देश को बचाना है या नहीं? धर्म की रक्षा करनी है कि नहीं? दरअसल यह अपनी राजनीति को बचाने के लिए दिया गया बयान है. विरोध में करीम देशपांडे पर स्याही फेंकता है.
राष्ट्रीयता संबंधी हमारी पहचान को लेकर भी वेब सीरीज में सवाल किए जाते हैं. भाषा के सवाल को लेकर सुचित्रा के पिता और श्रीकांत की माँ के बीच हल्की बहस नार्थ-साउथ के वही पुराने सवाल है जो हमारी राजनीति में यदा-कदा आते जाते रहते हैं.
मैं अपना मन बना चुकी हूँ
बहुत हलके से यह वेब सीरीज फेमिनिज्म को लेकर भी बात करती है. सुचित्रा का श्रीकांत को अपनी कॉलेज की जॉब को छोड़कर नई जॉब का निर्णय करना भले उसके सहकर्मी अरविन्द से प्रभावित रहता है लेकिन फिर भी वह इस निर्णय में खुद को देखती है, और पिछला सिक्योर जॉब छोड़ कर नया जॉब करती है. बच्चों की देखभाल में बराबरी की माँग श्रीकांत से करती है.
उसकी पत्नी सुचित्रा नई जॉब के चलते अरविन्द से मिलती है. श्रीकांत के अपनी जॉब की व्यस्तता के कारण वह परिवार को समय नहीं दे पा रहा है. यह सब वह जानता है. अरविन्द से सुचित्रा की मुलाक़ात और नजदीकियों से वह असुरक्षित महसूस करता है. इसी के चलते उसका सुचित्रा का फ़ोन ट्रेस करता है और उसका पीछा तक करता है. लेकिन सोनाली भट को फ़्लर्ट करना उसके इसी असुरक्षा के विपरीत व्यवहार है.
श्रीकांत का धृति और अथर्व के साथ शॉपिंग के लिए जाने पर धृति का सेनेटरी पैड पर खुलकर पिता श्रीकांत से बात करना और कहना कि अथर्व को यह बता दिया जाना चाहिये, टूटती सामाजिक वर्जनाओं की ओर संकेत करती है.
आप और माँ डाइवोर्स ले रहे हो
वर्किंग पेरेंट्स होने के चलते श्रीकांत-सुचित्रा बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसी को लेकर उनके आपसी मतभेद इतने स्पष्ट होने लगते हैं कि बहुत टाइट सीन बन जाते हैं. ऐसा लगता है कि शायद दोनों अलग हो जायेंगे. कई बार सीन इतने इंटेंस हैं कि टूट रहे परिवारों के बीच बच्चों पर पड़ रहे प्रभाव को समझा जा सकता है. और उनकी मनोस्थिति कैसी होगी का आकलन भी किया जा सकता है. लम्बे समय तक श्रीकांत और सुचित्रा के बीच स्वस्थ बातचीत न होने का आभास धृति को हो जाता है. वह श्रीकांत से सुचित्रा के बीच चल रही अनबन के बारे में पूछती है, इस अलार्म साउंड के बाद श्रीकांत खुद को ठीक करता है. वह परिवार के साथ समय बिताने का प्लान करता है. सुचित्रा भी वापस श्रीकांत को लेकर सहज होने के संकेत देती है.
आई ऍम अ लूज़र
वेब सीरीज की शुरुआत से ही श्रीकांत काम और परिवार के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश करता पाया जाता है. उसके काम का नेचर ही ऐसा है कि वह अपने काम के बारे में जानकारी किसी को भी नहीं बता पाता है, यहाँ तक कि अपनी पत्नी सुचित्रा को भी नहीं दे पाता है. इसी कारण सुचित्रा और उसके बीच या तो कम्युनिकेशन नहीं है या मिस-कम्युनिकेशन है. टास्क एजेंट के रूप में श्रीकांत वह काम कर रहा होता है जो महत्वपूर्ण तो है लेकिन दिखता साधारण है. चूँकि वह किसी को भी अपने काम के बारे में अधिक नहीं बता पाता है इसी लिए उसके काम का मूल्य कोई भी नहीं समझ पाता है, उसकी पत्नी सुचित्रा भी. सुचित्रा और बच्चों को बहुत सुविधाएँ न दे पाने का मलाल उसे है. अपना घर खरीदने के जुगाड़ में वह लगा है. इसलिए उसके बच्चे भी कम-वेतन वाली इस नौकरी से बहुत खुश नहीं होते हैं. छोटी पुरानी गाड़ी को लेकर भी बच्छे उसे ताने देते हैं. अथर्व रात में अपनी माँ से सवाल करता है कि श्रीकांत के ज्यादा काम करने के बाद भी वो अमीर क्यों नहीं हैं. सगे संबंधी भी उसे बार-बार इस बात का ताना देते हैं. उसकी बेटी धृति तो आसानी से कह भी देती है कि क्योंकि सरकारी जॉब में कुछ करना नहीं पड़ता है न- इसलिए श्रीकांत यह नौकरी कर रहा है. आम लोग भी उन्हें यह समझकर गरियाते हैं कि वे कुछ नहीं करते हैं. उसके रिश्तेदार भी उसे अधिक पैसा कमाने के लिए कोई दूसरी जॉब करने की सलाह देते हैं. पत्नी और परिवार को समय न दे पाने के कारण श्रीकांत और सुचित्रा के बीच एक तनातनी चल रही होती है.
श्रीकांत रेगुलरली डॉक्टर के पास चेक-अप नहीं करवा पाता है. पत्नी के पूछने पर वह ‘सब ठीक ठीक है’ कहता है. जोर देने पर कहता है कि सभी डॉक्टर एक ही तो बात कहते हैं कि स्ट्रेस कम करो, शराब कम करो , नॉन-वेज बंद करो और शराब-स्मोक लिमिट में लेने से सब ठीक हो जायेगा. लेकिन काम के चलते दबावों से वह स्वास्थ्य पर ध्यान दे ही नहीं पाता है.
करीम और उसके साथियों के एनकाउंटर के बाद दुःख में वह शराब पीता है. खुद के नकारे जाने के बाद जो भी बातें वह सुचित्रा से नहीं कह पाता है, वह शराब पीकर कहने की कोशिश करता है. सुचित्रा की अरविन्द से हो रही चैटिंग से वह असुरक्षित महसूस करता है. असुरक्षा को लेकर वह तलपड़े से बात करता है. कश्मीर जाने के बाद सुचित्रा के बदले हुए जॉब प्रोफाइल से वह खुद को परिवार से अलग पाता है. वापस आकर वह सुचित्रा से परिवार के साथ बाहर कहीं घूमने का प्लान बनाता है, ताकि परिवार के साथ समय बिता सके.
उसको परिवार तथा देश दोनों को साथ लेकर चलने का तनाव हमेशा है. वह भी गलत नहीं होता है और परिवार भी नहीं. किसी भी मोर्चे पर फेल होने का विकल्प उसके पास नहीं होता है.

मनोज बाजपाई– हमेशा की तरह शानदार हैं. उनकी एक्टिंग में आम आदमी वाले सभी एंगल दिख जायेंगे, लेकिन वेब सीरीज में कई मर्तबा कमजोर स्क्रिप्ट एक्टिंग पर प्रभावी लगती है. बच्चों के साथ पिता के रूप में सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल न करने की नसीहत और खुद गुस्से, निराशा में में वही इस्तेमाल करता है. मौत का गिल्ट उसके चहरे से ही
प्रियामणि– सुचित्रा के रूप में प्रियामणि हिंदी सिनेमा के लिए नई हैं. अरविन्द के साथ मैसेज चैट करते हुए उसके हावभाव एक अलग तरह का सेन्ससेशन और सस्पेंस पैदा करते हैं. सीरीज के आख़िरी वेबिसोड में अरविन्द के मैसेज का जवाब “मुझे पता नहीं” लिखने के बाद आह भरना सीन में जीवन्तता ला देता है.
नीरज माधव- मूसा रहमान उर्फ़ अल-क़ातिल के रोल में नीरज माधव एक धोखे में दर्शकों को रखते हैं. कहानी मूसा के करेक्टर को गढ़ नहीं पाती है. अपनी एक्टिंग से ही वह ध्यानाकर्षण करने में सफल भर रहते हैं. साजिद (शहाब अली) को देखकर लगता है कि वह केवल लदा हुआ गुस्सा ढो रहे हो. शाबीर हाशमी- तलपड़े के रोल में कहानी में आए तनाव को कम करते हैं. वही किशोर कुमार (पाशा) उपस्थिति कहीं भी गंभीरता ला देती है. अथर्व के रोल में वेदांत और धृति (महक) का अभिनय अच्छा है.
वेब सीरीज में सिनेमेटोग्राफी, कैमरा वर्क बहुत शानदार है. छठे वेबिसोड में 10 मिनट लम्बा शॉट, जहाँ से मूसा को भगाने के लिए आतंकी गाड़ी में आते हैं, पूरी वेब सीरीज का सबसे कठिन शॉट है. फर्श पर फिसलते हुए मूसा का बचने की कोशिश करने के अलावा बिना कट के इस शॉट में सभी का अभिनय भी सधा हुआ है. लोकेशन को लेकर की गई रिसर्च इतनी बढ़िया है कि वेब सीरीज मुंबई, कोच्ची, बलोचिस्तान, केरल, कश्मीर की यात्रा सी कराती है. कश्मीर में आर्मी-विरोध के कारण लिखे गए नारे हों या शादी या सेनिअरी सब कुछ बेहतरीन हैं. यह विरोधाभास का जो कोलाज बुनती है वह कश्मीर अंतर्द्वंद्व को स्पष्ट कर देते हैं. सुचित्रा की अरविन्द से चैटिंग में कैमरा एंगल- मोशन बहुत ठोस तरीके से वेब सीरीज में अलग जगह बनाते हैं. इन्हीं शॉट्स में प्रियामणि का अभिनय भी शानदार हैं. क्लोज-अप शॉट्स में उसके चहरे के हाव-भाव भी सब कुछ कह जाते हैं.

हमारे समय के सभी मत्वपूर्ण सवालों पर कमेंट करती यह वेब सीरीज है, जिसे राज निदिमोरू, और कृष्ण डी. के. ने एक कहानी के माध्यम से हमारे सामने रखा है. श्रीकांत जितना शानदार अपने एजेंट के रूप में हैं, उतना ही कमजोर पिता-पति भूमिका में. एक क्षण को वह देश से सम्बंधित अतिमहत्वपूर्ण कार्य कर रहा होता व्यस्त है तो दूसरे ही समय अपनी बेटी धृति के स्कूल का मामला भी उसे संभालना होता है. ऐसे ही मूसा को सरेंडर करने से पहले, बाद में उसका विश्वास जीतने के लिए अपनी भावुक कहानी बनाकर सुनाना सहज हास्य पैदा करती है. कहानी कई बार किरदारों को गढ़ नहीं पाती है. इसी के चलते प्रस्तुति भी सहज नहीं है. यह दर्शकों से भी राजनीतिक जानकारी से लैश होने की माँग करती है. कहानी के दो हिस्से साफ से दिखते हैं, अंतिम वेबिसोड तक आते आते कहानी बहुत धीमी सी पड़ गई और उसका कसाव कुछ ढीला पड़ जाता है. कहानी की भी उतनी ही कमजोरियां हैं जितनी कि फैमिली मैन की है.

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