समकालीन जनमत

Tag : Adieu

स्मृति

‘समकालीन जनमत’ की प्रबंध संपादक मीना राय नहीं रहीं

कौशल किशोर
उनमें गोर्की की ‘माँ’ का रूप दिखता है    ‘समकालीन जनमत’ की प्रबंध संपादक, जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा हम सब...
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प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय मुँह में ज़बान रखने वाले आलोचक थे: कौशल किशोर

कौशल किशोर
  शीर्षस्थ कथाकार शेखर जोशी के निधन के शोक से हम अभी उबर भी नहीं पाए थे कि प्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतक, ओजस्वी वक्ता...
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प्रो. लाल बहादुर वर्मा: वे एक साथ अध्यापक और दोस्त दोनों थे

समकालीन जनमत
धर्मेंद्र सुशांत लाल बहादुर वर्मा नहीं रहे.. करीब 20–21 साल पहले पटना में उनसे पहली बार मुलाकात हुई थी गोकि जान उन्हें पहले चुका था....
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प्रो. लाल बहादुर वर्मा: एक प्रोफ़ेसर जिसने विविधता का मतलब बताया

समकालीन जनमत
सविता पाठक ये माना जिन्दगी है चार दिन की बहुत होते हैं यारों ये चार दिन भी -फ़िराक़  प्रो लालबहादुर वर्मा नहीं रहे। ये ख़बर...
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प्यारे भाई अरुण पाण्डेय को सादर श्रद्धांजलि!

समकालीन जनमत
उर्मिलेश   दिल्ली से बंगाल-चुनाव कवर करने गये कई पत्रकार मित्रों से वहां की राजनीतिक स्थिति को लेकर मेरी फोन पर बातचीत होती रहती थी....
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अलविदा अरुण भाई! आपके अरमान, हमारे अरमानों में ज़िंदा रहेंगे, हमेशा !

समकालीन जनमत
पंकज श्रीवास्तव इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1980-90 के बीच सक्रिय रहे तमाम लोगों के लिए 5 मई बुधवार की सुबह बेतरह उदासी में डूबी हुई थी।...
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अरुण पाण्डेय को इस तरह नहीं जाना था

प्रियदर्शन अरुण पाण्डेय के कोविडग्रस्त होने और ठीक हो जाने की सूचना मुझे थी। मंगलवार सुबह उनकी पत्नी पुतुल से बात भी हुई- उन्होंने बताया...
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मानस बिहारी वर्मा : समाज-चेतस विज्ञान की खोज

समकालीन जनमत
कमलानंद झा लंबे समय तक पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम करने करने वाले वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा वैज्ञानिक-दृष्टि सम्पन्न  समाज की...
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कॉमरेड रमेश सरीन को ख़िराज़-ए-अक़ीदत

अर्जुमंद आरा कॉमरेड रमेश सरीन का जीवन एक लंबा संघर्ष था। दो-तीन साल के थे जब किसी बीमारी में उनकी आँखें चली गईं। लेकिन बड़े...
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स्मृति शेष कांतिकुमार जैन: अपने लेखन में एक पूरे क़द का आदमी!

प्रकाश कान्त उनसे पहली बार मिलना क़रीब पेैंतालीस साल पहले हुआ था। वे उन दिनों शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गुना में थे। मैं अपनी एक नौकरी...
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हमीदिया रोड की उस बिल्डिंग से उठकर हमारे दिल में बस गये मंज़ूर सर

समकालीन जनमत
पुष्यमित्र इन दिनों अपने देश में पतझड़ का मौसम है। इस पतझड़ में जो बसंत के बाद आया है, सिर्फ सूखे पत्ते ही नहीं बड़े-बड़े...
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शंख घोष को याद करते हुए

समकालीन जनमत
 मीता दास   बांग्ला साहित्य का एक युग अचानक ख़त्म हो गया । कोरोना महामारी एक मूर्धन्य साहित्यकार को निगल गई। वे बांग्ला साहित्य में...
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शम्सुरर्हमान फ़ारूक़ी की याद में

समकालीन जनमत
सिराज अजमली शम्सुरर्हमान फ़ारूक़ी का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ (अब मऊ) के कोईरिया पार गाँव में हुआ ।उनके पिता मौलवी ख़लीलुर्रहमान फ़ारूक़ी शिक्षा विभाग...
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एक नाराज़ सूरज डूब गया

समकालीन जनमत
अच्युतानंद मिश्र प्रगतिशील धारा से सम्बद्ध वरिष्ठ लेखक विष्णुचंद्र शर्मा(1/4/1933-2/11/2020) का 2 नवम्बर को निधन हो गया। सोचता हूँ वे अगर इस वाक्य को सुनते...
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अलविदा प्रिय अभिनेता

दिवस
  कुछ अभिनेताओं की पर्दे में उपस्थिति वैसी ही ख़ुशी देती है जैसे अपने किसी बहुत अज़ीज़ को देखकर रोम-रोम ख़ुशी से लहरा उठते हैं....
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हुई नामवरी सुबह की सांझ….

समकालीन जनमत
हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक नामवर सिंह (जन्म: 1 मई 1927- मृत्यु: 19 फ़रवरी 2019) को युवा लेखिका अर्पिता राठौर की भावांजलि। सम्पा.   अर्पिता राठौर...
जनमतशख्सियतस्मृति

आम आदमी की हमसफ़र कहानियों के कहानीकार स्वयं प्रकाश

समकालीन जनमत
रत्नेश विष्वक्सेन आम आदमी की हमसफर कहानियों के कहानीकार स्वयं प्रकाश जी का इस तरह चले जाना उदास करता है।उनकी रिक्तता को उनकी कहानियां भरेंगी...
जनमतशख्सियतस्मृति

एक हमदर्द दोस्त की तरह मिलीं स्वयंप्रकाश की कहानियाँ

सुधीर सुमन
स्वयं प्रकाश से मिलने का इत्तिफाक नहीं हुआ, पर उनकी कहानियां इत्तिफाकन जिंदगी के बेहद बेचैन वक्तों में मेरे करीब आईं और मुझे किसी हमदर्द...
जनमतशख्सियतस्मृति

क्या तुमने कभी स्वयं प्रकाश को देखा है ?

समकालीन जनमत
प्रवीण कुमार क्या तुमने कभी स्वयं प्रकाश को देखा है ? हाँ ! मेरा यही जवाब है . देखा है और तीन बार मुलाकात भी...
जनमतशख्सियतस्मृति

स्वयं प्रकाश की कहानियाँ: कुछ नोट्स

समकालीन जनमत
रेखा सेठी स्वयं प्रकाश जी का जाना हिंदी कहानी में एक युग के अंत का सूचक है। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक पुराना लेख साझा...
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