समकालीन जनमत

Category : कविता

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कविता कादम्बरी की कविताएँ अपने समय के संघर्षों के आब और ताब को दर्ज करती हैं

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विशाखा मुलमुले एक तारे के होने भर से नहीं रहता खाली आसमान , हमारी खोजी नजरें आसमान में खोज ही लेती है वह तारा ।...
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राकी गर्ग की कविताएँ उदासी से जूझती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री राकी गर्ग की ये कविताएँ नितांत निजी एवं उनके अनुभव संसार की कोमलतम अभिव्यक्तियाँ हैं। इन अनुभवों में जातीय स्मृतियाँ हैं,...
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देवयानी की कविताएँ ग़लती करने की ख़ुदमुख्तारी को हासिल करने की जद्दोजहद हैं

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हिमांशु पण्ड्या प्रारंभिक दौर के स्त्री लेखन में परम्परा के नाम पर बनी शृंखला की अदृश्य कड़ियों को नज़र के सामने लाने पर बल रहा,...
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शिव कुशवाहा की कविताएँ अपने समय के संघर्षों को दर्ज करती हैं

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कौशल किशोर युवा कवियों ने कविता को नया तेवर दिया है। यह कथ्य तथा शिल्प दोनों स्तर पर देखा जा सकता है। कविता के क्षेत्र...
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धूमिल की ‘नक्सलबाड़ी’

गोपाल प्रधान
धूमिल की यह कविता उनके पहले काव्य संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ में कुल चार पृष्ठों में प्रकाशित है । संग्रह से पहले 1967 में...
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वासुकि प्रसाद ‘उन्मत्त’ की कविता जीवन की प्रतिक्रिया से कविता की प्रक्रिया तक ज़रूरी और नैसर्गिक यात्रा है

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आलोक कुमार श्रीवास्तव इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में साहित्यिक हस्तक्षेप कैसा हो, यह बात हर लोकतंत्र-प्रेमी साहित्यिक सोचता है। धूर्त सत्ता द्वारा जनता के...
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रूपाली सिन्हा की कविताओं में स्त्री जीवन की नई राह गढ़ती दिखाई पड़ती है

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कामिनी पिछले दिनों आथर्स प्राइड पब्लिकेशन से रूपाली सिन्हा का कविता संग्रह ‘असुविधा के लिए खेद नहीं है’ प्रकाशित हुआ है | इस संग्रह में...
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‘ तेरह साल के लड़के ’

उमा राग
समकालीन जनमत पर प्रस्तुत है कवयित्री देवयानी भारद्वाज की कविता ‘तेरह साल के लड़के’। 12 मार्च को गाज़ियाबाद उत्तरप्रदेश में 13 वर्षीय आसिफ़ नामक एक...
कविताशख्सियत

कविता में अनामिका की उपस्थिति का अर्थ, प्रसंगः साहित्य अकादमी सम्मान-2020

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रमेश ऋतंभर   प्रतिष्ठित कवयित्री-कथा लेखिका व स्त्री विमर्शिका अनामिका को हिन्दी कविता के लिए 2020 का ‘साहित्य अकादमी सम्मान’ दिये जाने की घोषणा अपने-आप...
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प्रभात प्रणीत की कविताएँ अपने समय की विडंबनाओं की परख हैं

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कुमार मुकुल जिस तरह चंद्र किसान जीवन के नये कवि हैं उसी तरह प्रभात प्रणीत नागर जीवन की नूतन आवाज हैं। चंद्र की कविताएँ अगर...
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मनुज देपावत भारतीय कविता परम्परा का कम पहचाना गया बेहद ज़रूरी नाम है

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सतीश छिम्पा   कवि मनुज देपावत हिंदी और राजस्थानी के ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं के क्रांतिकारी कवि और गीतकार थे। विप्लव के इस कवि...
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हमारी दुनिया की परतें उघाड़ती हैं अविनाश की कविताएँ 

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अंचित कविता का एक काम यह है कि वह हमारे भीतर के तनावों को, हमारी निराशाओं को जगह दे, वह सब कहने का माध्यम बने...
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स्मिता सिन्हा की कविताएँ जिजीविषा का जीवंत दस्तावेज है

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निरंजन श्रोत्रिय स्मिता सिन्हा की इन कविताओं से गुजरना अपने उदास समय को गहराई से देखने, महसूसने और अंततः उससे जूझने की प्रक्रिया है। इस...
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विशाखा मुलमुळे की कविताएँ स्त्री मुक्ति के सवालों को बारीक़ी से रेखांकित करती हैं

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सोनी पाण्डेय स्त्री जीवन का सबसे कठिन सवाल है “मुक्ति”, उसे मुक्ति चाहिए बेमानी वर्जनाओं से, पितृसत्तात्मक समाज के दोहरे मापदंड से, उसके रास्ते में...
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सुधाकर रवि की कविता अपने समय से जुड़ने की एक ईमानदार कोशिश है

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अंचित अच्छी कविताओं की निर्मिति में तीन चीज़ें लगती हैं – विचारधारा, भाषा, और जीवन दृष्टि. अच्छी कविताएँ हमेशा वैसी होती हैं, जिनसे अपना दुःख,...
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अभिनव निरंजन की कविताएँ एक घर्षण हैं जिसके ताप से कवि अपने समय का बुख़ार नापता है

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवि अभिनव निरंजन अपनी कविताओं में रूपकों, स्थितियों एवं दृश्यों का विभेदन कर उसमें से कविता अर्जित करते हैं। उनके लिए ये...
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गोरख पाण्डेय की कविता ‘बन्द खिड़कियों से टकराकर’ 

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समकालीन जनमत पर आज सुनिये जनकवि गोरख पाण्डेय(1945-29 जनवरी 1989) के स्मृति दिवस पर उनकी लिखी कविता ‘बन्द खिड़कियों से टकराकर’         ...
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गोरख पाण्डेय की ग़ज़ल ‘ रफ़्ता-रफ़्ता नज़रबंदी का जादू घटता जाए है ’

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समकालीन जनमत पर आज सुनिये जनकवि गोरख पाण्डेय(1945-29 जनवरी 1989) के स्मृति दिवस पर उनकी लिखी ग़ज़ल ‘रफ़्ता रफ़्ता नज़रबंदी का जादू घटता जाए है’...
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उम्मीद की दूब के ज़िंदा रहने की कामना से भरी ज्योति रीता की कविताएँ

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कुंदन सिद्धार्थ   “जब धरती पर सारी संवेदनाएँ समाप्ति पर होंगी तब बचा लेना प्रेम अपनी हथेली पर कहीं जब धरती बंजरपन की ओर अग्रसर...
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उस चाँद पर अब ख़ून के धब्बे हैं ..

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(आलोचना पत्रिका में प्रकाशित फ़रीद ख़ाँ की कविताओं पर एक नज़र) मोहम्मद उमर इस बार की हिंदी त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ के ‘अक्टूबर-दिसम्बर 2020’ के अंक...
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