समकालीन जनमत

Month : May 2020

कविता

कविता कृष्णपल्लवी की कविताएँ बाहरी कोलाहल और भीतरी बेचैनी से अर्जित कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी साहित्यिक एक्टिविज्म का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाने वाली पोस्टर-कविता, हमेशा से विरोध प्रदर्शनों का अहम् हिस्सा रही हैं. सबसे सघन समय में...
इतिहास

भारत में भूमि-व्यवस्था, औपनिवेशिक शासन और खेत मजदूर

दुर्गा सिंह
(यह आलेख मुख्य शीर्षक से सम्बंधित  एक प्रस्तावना जैसा है। कोई अंतिम बात नहीं। इसे इसी रूप में पढ़ा जाय, कोई बहस निकल आये तो,...
ये चिराग जल रहे हैंशिक्षा

शुक्रिया, छंगा मास्साब, बहुत शुक्रिया!

नवीन जोशी
( वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नवीन जोशी के प्रकाशित-अप्रकाशित संस्मरणों की  श्रृंखला ‘ये चिराग जल रहे हैं’ की  पांचवीं  क़िस्त  में  प्रस्तुत  है   नवीन   जोशी ...
ख़बर

लॉक-डाउन के दौरान मज़दूरों की दुर्दशा और सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ देश भर में प्रदर्शन

अभिषेक कुमार
  22 मई, 2020 दिल्ली ऐक्टू समेत अन्य केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा आयोजित विरोध-दिवस के मौके पर देश के कई राज्यों में, लॉक-डाउन के...
ज़ेर-ए-बहस

क्या शराब की बिक्री से ही सम्भव होती है कर्मचारियों की तनख्वाह ?

एक जमाने में पंकज उदास की गायी यह गज़ल काफी लोकप्रिय हुई थी : हुई मंहगी बहुत शराब थोड़ी-थोड़ी पिया करो लॉकडाउन में शराब की...
जनमत

निर्धन निर्माण अभिकरणों का योगदान और बेरोजगारी    

जनार्दन
मेहनत करने के बाद भी निर्धनता का विलोपन न होना अप्राकृतिक है. अप्राकृतिक निर्धनता का सर्जन शक्तिशाली संस्थाओं द्वारा होता है, जिसे वह अपनी जन-विरोधी...
सिनेमा

आदिवासी समाज के उत्पीड़न और आक्रोश की कहानी

मुकेश आनंद
(महत्वपूर्ण राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मों पर  टिप्पणी के क्रम में आज प्रस्तुत है मशहूर निर्देशक गोविंद निहलानी की आक्रोश । समकालीन जनमत केेे लिए मुकेश आनंद द्वारा...
ख़बर

मुजफ्फरपुर में उठी डॉ. कफील खान को रिहा करने की मांग

समकालीन जनमत
मुजफ्फरपुर. उत्तरप्रदेश के जेल में महीनों से बंद प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए इंसाफ मंच द्वारा 18 मई को...
जनमत

जीवन-संघर्ष का करुण कोलाहल

समकालीन जनमत
श्रमिकों की बदहाल अवस्था और उनकी दुर्दशा के बहाने पूंजीवादी व्यवस्था का वह वीभत्स रूप हमारे सामने है जहाँ निम्न वर्ग के जीवन का कोई...
स्मृति

राजीव गांधी से एक मुलाकात

नेहरू ने जिस आत्मनिर्भर एवं समाजवादी भारत की परिकल्पना की थी, राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में उसे मूर्त रूप प्रदान करने की कोशिश...
शिक्षा

बच्चों की रचनात्मकता को ऑनलाइन विकसित करता “जश्न ए बचपन”

समकालीन जनमत
उत्तराखण्ड के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के फोरम “रचनात्मक शिक्षक मण्डल” ने लॉक डाउन के दिनों में बच्चों की रचनात्मकता को बनाये रखने के...
व्यंग्य

आख़िर क्यों? दी नेशन वॉन्ट्स टू नो!

समकालीन जनमत
( एक तरफ़ महामारी और दूसरी तरफ़ सरकारी तंत्र की नाकामी के कारण मानव जीवन की हाड़ कंपा देने वाली ऐसी भयानक बेक़दरी को उसके...
ज़ेर-ए-बहस

“ सभी मॉडल व्यर्थ साबित हुए हैं, अलबत्ता उनमें कुछ उपयोगी हैं ”

समकालीन जनमत
‘केरल मॉडल’ अगर कामयाब हुआ तो ज़रूरी नहीं कि सारे मॉडल पास होंगे। आख़िर जॉर्ज बॉक्स ने कहा भी तो है “सभी मॉडल व्यर्थ साबित...
साहित्य-संस्कृति

हिंदी में प्रगतिशील आंदोलन

गोपाल प्रधान
हिंदी में प्रगतिशील आंदोलन की स्थिति को समझने के लिए उसके जन्म के समय की राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर ध्यान देना जरूरी है । सन 1929...
कविता

‘मजदूर थे वो जब तक सबके ही काम आए/मजबूर हो गए तो सबको ही खल रहे हैं’

समकालीन जनमत
लखनऊ। लोग कोरोना की चपेट में ही नहीं हैं बल्कि लाॅक डाउन से पैदा हुई अव्यवस्था के भी शिकार हुए हैं, हो रहे हैं। लोगों...
चित्रकला

रेखा चित्रों के जरिये प्रवासी मजदूरों की पीडा़ को अभिव्यक्त करता चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर

समकालीन जनमत
कोरोना लाकडाउन ने लाखों लोगों को एक झटके में बेरोजगार, बेबस और लाचार कर दिया है. इसका सबसे गंभीर असर गरीबों , मजदूरों व निम्न...
ख़बर

प्रवासी मजदूरों की मौतों के खिलाफ ऐपवा ने पूरे प्रदेश में विरोध जताया

समकालीन जनमत
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की लापरवाही की वजह से प्रवासी मजदूरों की बदहाल स्थिति, उनकी दर्दनाक मौतों और योगी सरकार द्वारा तीन साल...
ज़ेर-ए-बहस

भूख, भोजन, चोरी, आत्महत्या और अपराध बोध

सुशील मानव
क्या आपने किसी अडानी, अंबानी, माल्या, मोदी, टाटा, बिड़ला को किसी अपराधबोध या ग्लानिबोध से भरे देखा, सुना है क्या ?...
जनमत

एक हौलनाक़ सफ़रनामा

समकालीन जनमत
इस त्रासद कहानी की जड़ें एक ओर मजदूरों के मालिकों और केन्द्रीय सरकार और दूसरी ओर उनके अपने राज्य की सरकारों की नाकामी में निहित...
ख़बर

उपेक्षा के विरोध में किसानों ने जताया रोष, 27 को राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम की घोषणा

समकालीन जनमत
मोदी सरकार की उपेक्षा के खिलाफ देश के किसानों ने 16 मई 2020 को एक राष्ट्रव्यापी रोष कार्यक्रम आयोजित किया। एआईकेएससीसी के आह्वान पर आयोजित...
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