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शिक्षा

बच्चों की रचनात्मकता को ऑनलाइन विकसित करता “जश्न ए बचपन”

उत्तराखण्ड के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के फोरम “रचनात्मक शिक्षक मण्डल” ने लॉक डाउन के दिनों में बच्चों की रचनात्मकता को बनाये रखने के लिए  ऑनलाइन शिक्षण में एक नया प्रयोग किया है। सम्भवतः देश भर में सरकारी शिक्षकों की ओर से यह इस प्रकार का पहला प्रयोग है।

उत्तराखण्ड भर से बच्चों का एक व्हाट्सएप्प ग्रुप “जश्न ए बचपन” बनाया गया है। इस ग्रुप को बने हुते एक माह से अधिक का समय हो गया है। इस ग्रुप में साहित्य का दिवस महेश पुनेठा, पिथोरागढ़ से, सिनेमा दिवस संजय जोशी दिल्ली से, थियेटर कपिल शर्मा दिल्ली से, ओरेगामी सुदर्शन जुयाल देहरादून से, पेंटिंग सुरेशलाल रामनगर से, कल्लोल बर्मन कोलकाता से, कत्थक आस्था मठपाल हल्द्वानी से, तबला अमितांशु रुद्रपुर से, गायन तुषार बिष्ट रामनगर से, परिंदों की दुनिया की सैर भाष्कर सती रामनगर से संचालित करते हैं। अभी तक ग्रुप में 130 से अधिक सदस्य हो चुके हैं।इस ग्रुप के प्रतिभागी बच्चे इस ग्रुप के बारे में क्या कहते हैं, आइये 4 बच्चों से ही जानते हैं ।

रचनात्मकता को निखार रहा : “जश्न ए बचपन” व्हाट्सएप ग्रुप

बच्चों में पढ़ने की रुचि उत्पन्न करनी हो और उनकी दोस्ती किताबों से करानी हो, जहां वह बिना किसी दबाव या भयमुक्त वातावरण के बीच सीख सकें, जिसे वे बोझ नहीं समझें, ऐसी ही एक पहल शुरू की है उत्तराखंड ‘रचनात्मक शिक्षक मंडल’ने। सोशलमीडिया की मदद से बनाया जश्न ए बचपन व्हाट्सएप ग्रुप, जिसका उद्देश्य बच्चो में सिसकती रचनात्मकता, सृजनशीलता को बढ़ाना है। जो पहले से चली आ रही लोकोक्ति ‘भय बिन होत न प्रीत’ का खंडन करते हुए, बच्चों को भयमुक्त होकर सिखाने में जुटा है। बच्चों के मज़े के लिए दिन निश्चित किए गए हैं। जिसमें सोमवार को 6 साल से कत्थक सीख रही आस्था मठपाल जी कत्थक में हाथ पैर चलाना बता रही हैं। अमितांशु जी संगीत के क्षेत्र में वाद्ययंत्रों से मधुर धुन बजाने के गुर बताते हैं। मंगलवार परिंदों की दुनिया की सैर में भास्कर सती के साथ मिलकर बच्चे परिंदों से परिचय लेते हैं ।

बुधवार को शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रयोगों के लिए जाने जाने वाले श्री महेश चन्द्र पुनेठा जी के साथ बच्चे कहानी, कविता, पहेली, यात्रावृत्तांत, समाचार, समीक्षा लिखना जान रहे हैं । जिससे उनमें लेखन क्षमता का विकास हो रहा है । बृहस्पतिवार सिनेमा में संजय जोशी जी फिल्मों की बारीकियों को समझाते हैं।

शुक्रवार को थियेटर में श्री कपिल शर्मा जी बच्चों को अलग- अलग इमोशन बताते हैं । शनिवार के दिन श्री सुदर्शन जुयाल जी कागज से कमाल दिखा रहे हैं। रविवार को पेंटिंग में श्री सुरेश लाल जी के साथ बच्चे रंग,संयोजन, आकार प्रकार की कला सीखते हैं। बच्चों की भागीदारी से आप ग्रुप में बच्चों की खुशी का पता लगा सकते हैं । जिसमें कृति, राधा, रिया, संदीप, दीपिका, भारती अटवाल, डोली, शीतल पहले से ही ग्रुप की गतिविधि में शामिल हैं ।इसके अतिरिक्त अभी बहुत से बच्चे ग्रुप में सक्रिय हैं।


सभी क्षेत्रों के जानकारों का बच्चों से दोस्ताना जुड़ाव दिन भर एक- दूसरे को जोड़ने में मददगार है। इस मंच ने बच्चों को बेझिजक सीखने का मौका दिया है। जो आने वाली पीढ़ी के लिए संबल का काम करेगा।
मेरा मानना है कि हमें एक्सपर्ट से बहुत कुछ जानने का मौका मिला है, इतने क्षेत्रों के विद्वानों से हम कभी भी एक साथ नहीं मिल सकते थे। सच में ग्रुप ने हमें यह प्लेटफॉर्म देकर अपने आस -पास को समझने मौका दिया है।

श्री नवेंदु मठपाल जी ग्रुप निर्देशक हैं, जिनकी ग्रुप संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका है। वह कहते है यहां बच्चों के साथ मुझ जैसे शिक्षक को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। सामाजिक विज्ञान के शिक्षक श्री महेश चंद्र पुनेठा जी कहते हैं कि इससे बच्चे पाठयपुस्तक से बाहर अन्य चीजों के बारे में जान पाएंगे। इसे वह संवाद का बहाना बताते हैं।साथ में शिक्षाविद् श्री कमलेश अटवाल जी इसे सभी का सामूहिक प्रयास बताते हैं, जो सभी को सीखने के लिए स्वयं ही प्रेरित कर रहा है।

वर्तमान में बच्चों में बढ़ता पढ़ाई का बोझ उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर रहा है, जिसका नतीजा हम सभी के सामने है। जिससे बच्चों की सोचने समझने की क्षमता का ह्रास हो रहा है। जहां वह बिना किसी बात का सच जाने ही उसे मान लेते हैं । जो समाज को ऐसी तरफ मोड़ेगा , जहां से लौटना मुश्किल है। इसी को देखते हुए विद्वान चिंतकों का यह प्रयास बच्चों के मनोभावों को समझकर रचनात्मकता का विकास करना है। जहां वह एक संवेदनशील नागरिक बनकर समाज को नई पहचान दे सके। ग्रुप की सदस्यसंख्या 142 पहुंच चुकी है। जो आगे भी निरंतर बढ़ती रहेगी। यह कार्य इसी तरह आगे बढ़ता रहे यही कोशिश जारी है।
शीतल भट्ट।
G I C देवलथल।

 


राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड के रचनात्मक शिक्षक मंडल द्वारा की गई पहल “जश्न ए बचपन”। ग्रुप निर्माता नवेंदु मठपाल का कहना है- “ग्रुप का निर्माण 10 अप्रैल 2020 को किया गया था । इस उद्देश्य के साथ कि यह ग्रुप बच्चों को और रचनात्मक बनाए और बच्चों की रचनात्मकता को निखारने में कारगर हो।”
एक ओर ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर जहां बच्चों को केवल प्रश्नोत्तर की घुट्टी पिलाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग शिक्षार्थियों के लिए इस लॉकडाउन को सीखने का एक दिलचस्प जरिया बना  रहे हैं। “जश्न ए बचपन” की कोशिश है कि बच्चों की रचनात्मकता व सृजनशीलता को एक अवसर मिले। ग्रुप में साहित्य का क्षेत्र संभाल रहे महेश पुनेठा, सिनेमा संजय जोशी, ओरागमी सुदर्शन जुयाल, चित्रकला सुरेश लाल और कल्लोल, रंगमंच जहूर आलम, थिएटर कपिल, संगीत अमितांशु, कत्थक आस्था, परिंदो की सैर के लिए भास्कर सती और नवेंदु मठपाल शामिल हैं। प्रत्येक दिन कोई न कोई एक्सपर्ट बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं और बच्चे एक्सपर्ट्स द्वारा दी गई गतिविधि से संबंधित सवाल पूछते हैं व दी गई गतिविधि पर अपनी राय देते हैं। पूरे दिन ग्रुप में उसी गतिविधि से संबंधित बात रखी जाती है। बच्चों की रुचियों को ध्यान में रख हर दिन किसी नए विषय पर बात रखी जाती है।
यह ग्रुप बच्चों के लिए सीखने का एक वातावरण बना रहा है। साथ ही हर एक एक्सपर्ट बच्चों के साथ सीखने सिखाने की इस प्रक्रिया में इस प्रकार जुड़ रहे हैं कि बच्चे ना तो दबाव महसूस करे और ना ही बिना किसी रुचि इस मंच से जुड़े रहें, बल्कि यहां तो हर किसी की दिलचस्पी का ध्यान रखा गया है। आजकल जहां विद्यालयों की रटंतू प्रणाली में बच्चों की रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं है या कहा जाए उन्हें इस प्रकार इस प्रणाली में ढाल दिया जाता है कि बच्चे सीमित दायरे से बाहर सोच ही नहीं पाते, ऐसे में जश्न ए बचपन वाकई कारगर है। बच्चों को एक नया नजरिया दे रहा है जश्न ए बचपन।
ग्रुप की निरंतरता व सीखने सिखाने का कल्चर ही इसकी सफलता है। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह ग्रुप और भी एक्सपर्ट को इस मुहिम से जोड़ेगा और ऐसे कई अन्य लोग जो सीखने की ललक रखते हैं, इस ग्रुप से जुड़ पाएंगे।
कृति अटवाल
नानकमत्ता पब्लिक स्कूल


उत्तराखंड के ‘रचनात्मक शिक्षक मंडल’ द्वारा बनाया गया जश्न ए बचपन व्हाट्सएप ग्रुप, प्रांत के कई बच्चों के लिए बहुत कुछ नया सीखने का स्वर्णिम अवसर साबित हुआ है। ख़ुद मेरे ही लिए यह बहुत ही बड़ा मंच है, जहाँ मैं रोज़ाना कुछ न कुछ नया सीख ही रही हूँ। अनेकों एक्सपर्ट्स के सान्निध्य में सभी बच्चे व बड़े भी कुछ न कुछ नया सीख रहे हैं। सभी एक्सपर्ट्स की निस्वार्थ भागीदारी हमें और ज़्यादा प्रतिभाग करने का बल देती है।
10 अप्रैल 2020 को श्री नवेंदु मठपाल द्वारा बनाया गया यह मंच, सभी एक्सपर्ट्स के आज तक के अनुभवों को हम तक सहज ढंग से पहुंचाने के लिए काफी है। बेहद ही आसान लहज़े से सभी एक्सपर्ट्स अपनी बातों को हम तक पहुंचाते हैं। ग्रुप को व्यवस्थित तौर से चलाने के लिए अलग-अलग एक्सपर्ट्स के दिन निर्धारित कर दिए गए हैं, जिनमें वे अपनी निपुणता से बाकियों को लाभान्वित करते हैं। दिन बाँटने का यह निर्णय मुझे बेहद ही उपयुक्त लगा, क्योंकि इससे बच्चा एक ही तरह के मोड में रहेगा। उसे स्कूल की तरह झट से मोड स्विच करना नहीं होगा।
दिन निर्धारित कर देना ही पहला ऐसा कदम है जो इस ग्रुप के सीखने की प्रक्रिया को स्कूली ढांचे से अलग करता है। जैसे स्कूल में कुछ बच्चे होते हैं, जिन्हें नियमों का पालन करना नहीं भाता, वैसे ही इस ग्रुप में कुछ ऐसे बच्चे भी शामिल हैं। उन्हें समझाने का ज़िम्मा है नवेंदु जी का। यह ऐसा मंच है जहाँ गलती करने पर शर्मिंदगी या डाँट नहीं झेलनी पड़ती, बल्कि एक और मौका दिया जाता है। यह विशेषता भी इसे बाकी सीखने-सिखाने के संस्थानों से अलग बनाती है।
इस ग्रुप में बच्चे भी काफी प्रतिभाशील हैं। समय समय पर अपनी प्रतिभा से वाक़िफ़ कराते ही रहते हैं। इन्हीं में से कुछ प्रतिभागी हैं – शीतल, डॉली, कृति, दीपिका, राधा, करनवीर और रोहित। बच्चों और बड़ों की जुगलबंदी ने ही इस ग्रुप को प्रगति की दिशा में बढ़ाया है। बच्चों की रचनाओं को सराहने के बहाने, उन्हें Education Mirror. Org वेबसाइट में प्रकाशित किया जाता है। परिणामस्वरूप बाकी बच्चे भी प्रेरित होकर अपनी रचनाएं साझा करने में नहीं झिझकते हैं।
जब चारों ओर अधिक मार्क्स लाने का कोलाहल ही सुनाई देता हो और रचनात्मकता के लिए जगह ही न बची हो, तब जश्न ए बचपन एक उम्मीद की किरण है। इस मंच की शुरूआत ही बच्चों में रचनात्मकता बढाने के उद्देश्य से हुई थी। और इसकी सफलता भी रचनात्मकता उजागर करना हो सकती है।
रिया (10वीं)
नानकमत्ता पब्लिक स्कूल



उत्तराखंड के “रचनात्मक शिक्षक मंडल” की पहल पर स्कूली बच्चों की रचनात्मकता को उभारने, बनाये रखने, बचाये रखने के लिये ग्रुप ‘जश्न ए बचपन’ की शुरुआत की गयी है। बच्चों को संगीत, साहित्य, सिनेमा, ओरेगामी, परिंदो की दुनिया से जोड़े रखने के लिये ग्रुप में प्रत्येक विषय के विशेषज्ञ बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं।

ग्रुप एडमिन श्री नवेन्दु मठपाल ने ग्रुप को सुचारु रुप से चलाने के लिए प्रत्येक विषय के लिए दिन सुनिश्चित किए हैं।

ग्रुप के नियम अनुसार सोमवार को कत्थक एवं संगीत के विषय में आस्था मठपाल और अमितांशु बच्चों को जानकारी देते हैं। मंगलवार को सभी बच्चे  भास्कर सती जी के दिशानिर्देशन में परिंदो की दुनिया की सैर करते हैं। बुधवार को पिथौरागढ़ से साहित्य पर अपनी पकड़ रखने वाले श्री महेश पुनेठा जी बच्चों को कहानी लेखन, कविता, समाचार लेखन आदि गतिविधियों में बच्चों का दिन भर संचालन करते हैं। इसी क्रम में वृहस्पतिवार को श्री संजय जोशी द्वारा फिल्मों की जानकारी दी जाती है। शुक्रवार को श्री कपिल शर्मा बच्चों को थियेटर के विषय में बताते हैं। शनिवार को श्री सुदर्शन जुयाल ओरेगामी सिखाते हैं। रविवार का दिन रंगों का दिन होता है। इस दिन श्री सुरेश लाल जी बच्चों की पेंटिंग की प्रतिभा को निखारते हैं।
सभी बच्चे इन कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर भागीदारी करते हैं।
इस ग्रुप की विशेषता यह है कि यहाँ सीखाने वाले और सीखने वाले दोनों को ही कुछ ना कुछ नया सीखने को अवश्य मिलता है।
दीक्षा करगेती

ढेला, रामनगर

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