समकालीन जनमत

Tag : गरीबी

ज़ेर-ए-बहस

भारत जो एक जीवन-वृक्ष था उसे बड़ी बेरहमी से धराशायी किया जा रहा है

सबा नक़वी आज की तारीख में पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर सघन हिन्दुत्व की लामबंदी क्यों की जा रही है? क्या हमने अचानक अपने...
ज़ेर-ए-बहस

महामारियां अवसाद बुनती हैं!

जनार्दन
महामारियां और आपदाएं जीवन-जगत को आकार प्रदान करती हैं; उनकी मानसिकता के ढांचे को तोड़कर नए ढांचे का निर्माण करती हैं –आपदाएं नवीन और परिवर्तनकामी...
शख्सियत

प्रेमचंद और अर्थशास्त्र के विद्यार्थी

(31 जुलाई को प्रेमचंद की 140वीं जयंती के अवसर पर समकालीन जनमत जश्न-ए-प्रेमचंद का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर 30-31 जुलाई को समकालीन...
जनमत

निर्धन निर्माण अभिकरणों का योगदान और बेरोजगारी    

जनार्दन
मेहनत करने के बाद भी निर्धनता का विलोपन न होना अप्राकृतिक है. अप्राकृतिक निर्धनता का सर्जन शक्तिशाली संस्थाओं द्वारा होता है, जिसे वह अपनी जन-विरोधी...
Fearlessly expressing peoples opinion