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उपेक्षा के विरोध में किसानों ने जताया रोष, 27 को राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम की घोषणा

मोदी सरकार की उपेक्षा के खिलाफ देश के किसानों ने 16 मई 2020 को एक राष्ट्रव्यापी रोष कार्यक्रम आयोजित किया। एआईकेएससीसी के आह्वान पर आयोजित किसान सम्मान दिवस के इस मौके पर किसान संगठनों ने किसानों को सम्मनित किया। किसान अपनी मांगों के समर्थन में 27 मई  को राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
इस मौके पर किसान महासभा के बैनर तले बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्रा, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किये गए। कार्यक्रमों में किसान महासभा के ज्यादातर शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत, शिव सागर शर्मा, फूलचंद ढेवा, राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा, पूरन महतो, रामचन्द्र कुलहरि, जयतु देशमुख, रामआधार सिंह, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व बिहार प्रदेश अध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव, विधायक सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक चन्द्रदीप सिंह, उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, कृपा नारायण सिंह, नत्थीलाल पाठक, गुरुनाम सिंह, गोरा सिंह सहित तमाम नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
वैशाली में रोष प्रदर्शन
कई जगह कार्यक्रमों में किसानों को कोरोना वालंटियर्स के रूप में सम्मनित भी किया गया। पटना में किसान महासभा और पटरी वेंडर्स यूनियन ने इस दौर में सरकार द्वारा उपेक्षित कोरोना वालंटियर्स सफाई कर्मचारियों को भी सम्मनित किया। इस मौके पर अपने संदेश में किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजा राम सिंह ने केन्द्र सरकार के देशव्यापी अनियोजित व विवेकहीन लाॅकडाउन से किसानों, खेत मजदूरों तथा प्रवासी मजदूरों द्वारा सामना किये जा रहे संकट को कम न करने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है।
औरंगाबाद में ट्रेन के नीचे आकर मारे गये 16 मजदूरों, औरैया में मारे गए 24 मजदूरों सहित देश भर में उन हजारों प्रवासी मजदूरों की मौत पर, जो साधन न मिलने से अपने घरों के लिए पैदल निकल लिये थे और रास्ते में मर गये, किसान महासभा और एआइकेएससीसी ने गहरा शोक व संवेदना व्यक्त किया है।
किसान महासभा ने आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य सरकारों की आपराधिक अव्यवस्था इन हजारों मौतों के लिए जिम्मेदार है। यह मौत नहीं सरकार द्वारा रचा गया जनसंहार है। इस मौके पर किसान सांगठनों ने विशाखापट्टनम में एलजी सिंथेटिक्स के कारखाने से जहरीली गैस की प्रवाह से हुई मौतों में मरने वालों को श्रद्धांजलि दी।
नालंदा में रोष प्रदर्शन
किसान संगठनों ने कहा कि किसान देशभक्त खाद्यान्न योद्धा हैं, जिन्होंने घाटे की खेती, कठिन परिस्थितियों व बाधाओं के बावजूद कोरोना संकट से मुकाबला करते हुए लोगों के लिए खाद्यान्न को सुरक्षित किया है। परन्तु केन्द्र व राज्य सरकारों ने इस बात को कोई सम्मान नहीं दिया है। इस लिए एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने तय किया था कि वह किसान जनता के सामने खड़े ज्वलन्त सवालों पर 16 मई 2020 को सुबह 9 बजे किसानों को बधाई देने व सम्मानित कराने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित कराएगी।
एआईकेएससीसी ने अपनी मुख्य मांग सभी किसानों व खेत मजदूरों की सम्पूर्ण कर्जमुक्ति को दोहराते हुए कहा है कि सरकार को सभी किसानों के पुराने केसीसी कर्ज माफ कर देने चाहिए और फसल बुआई के लिए नए केसीसी कर्ज तुरंत जारी करना चाहिए। इस सच्चाई के दृष्टिगत कि हाल ही में सरकार ने मित्र कारपोरेटों के 68,607 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किये हैं, यह करना उसके लिए आसान होना चाहिए। सरकार को अपने अतिरिक्त खर्च को अति धनी लोगों पर टैक्स लगाकर और विदेशों में जमा कालाधन को वापस लाकर पूरा करना चाहिए।
एआईकेएससीसी ने यह मांग भी उठाई कि डीजल के दाम घटाकर 22 रुपए लीटर किये जाएं, क्योंकि कच्चे तेल के दाम में तेज गिरावट के बाद हवाई विमान के पेट्रोल एटीएफ के दाम 22.54 रु0 प्रति लीटर कर दिये हैं। उसने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि वह खाद्यान्न सामग्री की सरकारी खरीद बढ़ाकर सभी लोगों को खाना देने के लिए आपूर्ति बढ़ाए, मनरेगा में काम बढ़ाकर सबको रोजगार दे और यह सुनिश्चित करे कि सभी प्रवासी मजदूर बिना खर्च किये घर लौट सकें और उन्हें खाना, काम तथा पूरा वेतन भुगतान किया जाए।
पश्चिम बंगाल के नदिया में रोष प्रदर्शन
देश में करीब 20 करोड़ प्रवासी मजदूर गांव लौट रहे हैं और उनकी जरूरतें गांव में ही पूरी होनी हैं। अतः एआईकेएससीसी  ने अपने सभी सदस्यों तथा किसान संगठनों से अपील की है कि वह 27 मई 2020 को किसानों की सभी मांगों पर, जिन्हें सरकारें नजरंदाज कर रही हैं, बड़े अभियान के साथ विरोध संगठित करना चाहिए। इन मांगों में फसल को हुए नुकसान तथा न बिकी तथा सड़ गयी फसल का पूरा मुआवजा, प्रति परिवार 10,000 रुपये प्रतिमाह का कोविड मुआवजा, पीएम किसान सहयोग को 18,000 रु0 किया जाना, मुफ्त बीज व खाद दिया जाना, सभी फसलों का, सब्जी, फल, दूध, अंडे व शहद समेत सी-2 $ 50 फीसदी के दर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होना तथा सरकारी खरीद की गारंटी होना, सभी बटाईदार किसानों को उचित व बराबर मुआवजा दिया जाना तथा सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होना, आदि शामिल हैं।
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