ये चिराग जल रहे हैं हाँ, गिर्दा, तुम्हारा होना एक दिन अवश्य सार्थक होगानवीन जोशीMay 2, 2020May 2, 2020 by नवीन जोशीMay 2, 2020May 2, 202002962 वह बड़े सपने देखने वाला अनोखा रचनाकार था. अत्यन्त सहज, सरल और सुलभ इनसान. उसके सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में से एक है- ‘जैंता, एक दिन...
कविता भूख दुनिया की सबसे पहली महामारी हैसमकालीन जनमतMay 1, 2020May 1, 2020 by समकालीन जनमतMay 1, 2020May 1, 20200749 आज 1 मई है, जिसे पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. मजदूरों के सम्मान, उनके हक और उनके संघर्षों को...
शख्सियत प्रेम और परिवर्तन की तड़प से भरे क्रांतिकारी कवि एर्नेस्तो कार्देनाल मार्तिनेससमकालीन जनमतMarch 3, 2020March 3, 2020 by समकालीन जनमतMarch 3, 2020March 3, 202002285 मंगलेश डबराल रूबेन दारीओ, पाब्लो नेरूदा और सेसर वाय्यखो के बाद एर्नेस्तो कार्देनाल लातिन अमेरिकी धरती के चौथे बड़े कवि माने जाते हैं, जिनकी आवाज़...
ज़ेर-ए-बहस ‘हम देखेंगे’: सृजन एवं विचार के हक़ मेंसमकालीन जनमतMarch 1, 2020 by समकालीन जनमतMarch 1, 20205 2905 लेखकों एवं कलाकारों का कन्वेन्शन 1 मार्च 2020, जंतर मंतर, दिल्ली सुभाष गाताडे दिल की बीरानी का क्या मज़कूर है यह नगर सौ मर्तबा लूटा...
ख़बरज़ेर-ए-बहस बेखौफ नई आजादी और सपनों का नया मोर्चा: रोशन बागके के पांडेयJanuary 20, 2020January 20, 2020 by के के पांडेयJanuary 20, 2020January 20, 202013445 19 जनवरी 2020, इलाहाबाद। इतिहास कई बार खुद को दोहराता है और नए-नए रूप में दोहराता है । अभी से ठीक 1 बरस पहले जब...
साहित्य-संस्कृति नागार्जुन के उपन्यासों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजनसमकालीन जनमतOctober 19, 2019October 19, 2019 by समकालीन जनमतOctober 19, 2019October 19, 20197 1622 आत्माराम सनातन धर्म महाविद्यालय, जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि तथा रज़ा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 16 अक्टूबर को ‘नागार्जुन के उपन्यास : विविध आयाम’...
साहित्य-संस्कृति प्रतिरोध साहित्य का मूल स्वर है जो समाज निर्माण का स्वप्न लेकर चलता हैडॉ हरिओमSeptember 2, 2019September 3, 2019 by डॉ हरिओमSeptember 2, 2019September 3, 201904598 साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता रहा है. मतलब समाज जैसा है उसे वैसा ही दिखाने वाला लेखन साहित्य है. बचपन से हम...
शख्सियतसिनेमा अभिव्यक्ति के प्रति ईमानदार एक रचनाकार की त्रासदी ‘मंटो’समकालीन जनमतSeptember 23, 2018 by समकालीन जनमतSeptember 23, 20185 2902 अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ‘मंटो’ बायोपिक फिल्म की बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहा था। समय-समय पर आने वाले ट्रेलर या वीडियो के टुकड़े इंतिजार को...
जनमतसाहित्य-संस्कृति जनगीतों का सामाजिक सन्दर्भसमकालीन जनमतSeptember 23, 2018September 24, 2018 by समकालीन जनमतSeptember 23, 2018September 24, 201803620 डॉ. राजेश मल्ल साहित्य अपने अन्तिम निष्कर्षों में एक सामाजिक उत्पाद होता है। कत्र्ता के घोर उपेक्षा के बावजूद समय और समाज की सच्चाई...
ख़बर मार्क्स का चिंतन सिर्फ आर्थिक नहीं सम्पूर्ण मनुष्यता का चिंतन है: रामजी रायसमकालीन जनमतJune 10, 2018June 10, 2018 by समकालीन जनमतJune 10, 2018June 10, 201803449 मार्क्स ने मुनष्य को एक समुच्चय में नहीं एक सम्पूर्ण इकाई के रूप में समझा और कहा कि वह एक ही समय में आर्थिक, राजनीतिक,...
कवितासाहित्य-संस्कृति मरे हुए तालाब में लाशें नहीं विचारधाराएं तैर रही हैंआशुतोष कुमारMay 27, 2018May 27, 2018 by आशुतोष कुमारMay 27, 2018May 27, 201803246 “जंगल केवल जंगल नहीं है नहीं है वह केवल दृश्य वह तो एक दर्शन है पक्षधर है वह सहजीविता का दुनिया भर की सत्ताओं का...
जनमत मार्क्स और हमारा समयसमकालीन जनमतMay 23, 2018May 23, 2018 by समकालीन जनमतMay 23, 2018May 23, 20186 2692 भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने नयी दिल्ली स्थित उर्दू घर में 19 मई के दिन ‘ मार्क्स और हमारा समय ’ शीर्षक से...
जनमतदुनियाशख्सियतस्मृति कार्ल मार्क्स : एक जीवन परिचयगोपाल प्रधानMay 5, 2018May 5, 2018 by गोपाल प्रधानMay 5, 2018May 5, 201805237 दुनिया के मजदूरों के, सिद्धांत और कर्म दोनों मामलों में, सबसे बड़े नेता कार्ल मार्क्स (1818-1883) का जन्म 5 मई को त्रिएर नगर में हुआ...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति भारतीय समाज के बदलते वर्गीय एवं जातीय चरित्र को बारीकी से व्यक्त करने वाले कथाकार हैं मार्कण्डेयसमकालीन जनमतMay 2, 2018May 2, 2018 by समकालीन जनमतMay 2, 2018May 2, 20185 4621 मार्कंडेय ने भारतीय समाज के बदलते वर्गीय एवं जातीय चरित्र को बहुत ही बारीकी से अपनी कथाओं में व्यक्त किया है. सामाजिक ताने-बाने एवं राजनीतिक...
जनमत सभ्य होने की असलियतसमकालीन जनमतMarch 8, 2018July 7, 2020 by समकालीन जनमतMarch 8, 2018July 7, 202002765 सदानन्द शाही किसी समाज के सभ्य होने का सबसे बड़ा पैमाना यह है कि वह समाज स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार करता है. अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस...