समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

कविता

डॉ ज़रीन हलीम का कविता संग्रह ‘ आठ पहर ’: ‘परवाज की आदत है ….उड़ जाएंगे ’

कौशल किशोर
‘कविता के बीज नहीं होते/जो बाजारों में हों उपलब्ध/जो किसी एक ऋतु के हो बंधक/और घर-घर यूं ही पड़े मिलें/जो सबके हाथों मसले जाएं/जिनका कोई...
कविता

भास्कर लाक्षाकार की कविताएँ जीवन अनुभवों से निर्मित मनुष्य की स्पोन्टेनिटी से सृजित हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय क्या यह संभव है कि किसी कवि को अपने समय-समाज के तापमान का सम्यक ज्ञान हो, उसकी कविता विचार और भावनाओं से समृद्ध...
पुस्तक

रक्तनदी की यात्रा: पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण

गोपाल प्रधान
2023 में परिकल्पना से प्रकाशित बजरंग बिहारी तिवारी की किताब ‘हिंसा की जाति: जातिवादी हिंसा का सिलसिला’ किसी के भी रोंगटे खड़े करने में सक्षम...
पुस्तक

स्त्रियाँ अब प्रेम नहीं करतीं’: पुरुषसत्तात्मक समाज में स्त्रियों के सवाल उठाता कविता संग्रह

समकालीन जनमत
राजेश पाल मूर्तिकार, कवि, कथाकार व दलित चिंतक हीरालाल राजस्थानी का काव्य संग्रह “मै साधु नहीं” के बाद “स्त्रियाँ अब प्रेम नहीं करती” दूसरा कविता संग्रह हैं...
कविता

अमन त्रिपाठी की कविताएँ ‘सेन्स ऑफ़ बिलॉन्गिंग’ से उपजी हैं। 

समकालीन जनमत
वर्तिका पढ़ाई से इंजीनियर अमन , समर्थ अनुवादक और कवि के तौर पर सक्रिय हैं।  शहर देखने, प्रेम में रहकर प्रेम न कर पाने के...
पुस्तक

सुरेश कांटक का उपन्यास ‘ खेत ‘ : परिवर्तन का सांस्कृतिक दस्तावेज

कौशल किशोर
हिंदी साहित्य का बहुलांश नगरी व महानगरीय हुआ है। वहां मध्यवर्गीय जीवन, मन: स्थिति, उसकी विसंगतियां, जद्दोजहद आमतौर पर पढ़ने को मिलता है। यही कथा...
कविता

वंदना पराशर की कविताएँ शब्द एवं संवाद बचाने की कोशिश हैं

समकालीन जनमत
वंदना मिश्रा समकालीन कविता में अपना स्थान सुरक्षित कर चुकी ‘वंदना पाराशर’ की कविताएँ किसी परिचय की मोहताज नहीं. वंदना उन लोगों में से हैं...
साहित्य-संस्कृति

हिंदी और उर्दू के लेखकों के बीच एकता हो – असलम जमशेदपुरी

समकालीन जनमत
राजा सिंह और राजीव प्रकाश साहिर का कहानी पाठ  लखनऊ । जन संस्कृति मंच (जसम) और भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की ओर से हिंदी...
कविता

श्रीधर करुणानिधि की कविताएँ जटिल और क्रूर समय को व्यंजित करती हैं

समकालीन जनमत
योगेश प्रताप शेखर श्रीधर करुणानिधि के दो कविता–संग्रह प्रकाशित हुए हैं | ‘खिलखिलाता हुआ कुछ’ और ‘पत्थर से निकलती कराह’ | उन का पहला कविता...
कविता

नये मगध में : न्यू इंडिया का साहित्यिक तर्जुमा

सुशील मानव
 जब कुछ नयी निर्मित्ति होती है, कुछ नया रचा जाता है तो वो पुरातन की समृद्ध परंपरा, संस्कृति व स्मृतियों से जुड़कर, अपनी नव्यता को...
कविता

डोरियन लाउ की कविताएँ मानवता के अंतर्विरोधों को रेखांकित करती हैं

समकालीन जनमत
रंजना मिश्र 10 जनवरी, 1952 को जन्मी डोरियन लाउ/ लॉक्स के अब तक छह कविता संग्रह प्रकाशित हैं।  वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑर्गोन में रचनात्मक लेखन...
पुस्तक

लम्हों की चीख़ : दर्द-ए-इतिहास भी और पैगाम भी

कौशल किशोर
कोरोना का भयानक दौर बीत गया। पर आज भी उसे याद करते ही मन मस्तिष्क सिहर उठता है। वह एक बड़ी त्रासदी थी। हम सब...
कविता

वंदना मिश्रा की कविताएँ स्त्री जीवन की जटिलताओं को उकेरती हैं

समकालीन जनमत
अमरजीत कौंके हिंदी की समकालीन स्त्री कविता में वंदना मिश्रा एक महत्वपूर्ण नाम है .उनकी कविताएँ समकालीन समाज के संकटों और विसंगतियों को अपने कलेवर...
कविता

प्रतिभा चौहान की कविताएँ प्रकृति और सृष्टि की पक्षधरता का विमर्श हैं

समकालीन जनमत
शिरोमणि महतो सुपरिचित कवयित्री प्रतिभा चौहान की कविताएँ हिन्दी के वैविध्यपूर्ण साहित्यिक संसार में एक अलग स्थान रखती हैं। यूँ तो अनेक विषयों पर कविताएँ...
साहित्य-संस्कृति

‘ शिवमंगल सिद्धांतकर क्रांतिकारी आशावाद के कवि हैं ’

समकालीन जनमत
वरिष्ठ वामपंथी कवि-विचारक शिवमंगल सिद्धांतकर के कविता संग्रह ‘अंधेरे की आंख’ और संस्मरण-संग्रह ‘संस्मरण संभव’ पर विचार-गोष्ठी व परिचर्चा का आयोजन  पटना। गांधी संग्रहालय, पटना...
ख़बरपुस्तकसाहित्य-संस्कृति

कोई दिया तो जला दो ज़रा उजाला हो

समकालीन जनमत
कौशल किशोर  आज़मगढ़, 21मई, 2023 जितेन्द्र कुमार ‘नूर’ के ग़ज़ल संग्रह ‘यादों के बहाने’ का लोकार्पण शहर के ठण्डी सड़क स्थित गरुण होटल के सभागार...
कविता

देवव्रत डंगवाल की कविताएँ प्रतिरोध और उम्मीद की खोज हैं

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी युवावस्था मनुष्य के जीवन की सबसे बेचैन अवस्था है. इसी दौर में भी प्रतिरोध के स्वर अधिक तेज़ होने लगते हैं और नकार...
स्मृति

राकेश दिवाकर: जिसमें चांद की शीतलता और सूरज का ताप था

सुधीर सुमन
स्मृति दिवस 18 मई के अवसर पर वह रंगों की दुनिया में जीता था। लिखित शब्द भी उसे जैसे खुद को रंग देने के लिए...
सिनेमा

सिनेमा : शिक्षा का एक नया आयाम

समकालीन जनमत
अतुल कुमार ‘सिनेमा इन स्कूल’ अभियान लगातार अपना कार्य क्षेत्र बढ़ा रहा है. इस अभियान की शुरुआत नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के साथ शुरू हुई थी...
कविता

अमरजीत कौंके की कविताओं में आम आदमी का जीवन और संघर्ष प्रमुखता से झलकता है।

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय अमरजीत कौंके मूलतः पंजाबी भाषा के कवि हैं। उन्होंने पंजाबी-हिन्दी के बीच अनुवाद की महत्वपूर्ण आवाजाही की है। इन सबके साथ वे हिन्दी...
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