ग्राउन्ड रिपोर्ट महाकुंभ 2025 : भक्ति और संस्कृति का बाजारके के पांडेयJanuary 24, 2025February 3, 2025 by के के पांडेयJanuary 24, 2025February 3, 20250168 जिस देश में सदियों से भक्ति की स्थापित परंपरा के समानांतर वैकल्पिक धाराएं पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक चाहे वह सामाजिक, राजनीतिक अथवा...
स्मृति समकालीन जनमत की तरफ से कामरेड कवि सुरजीत सिंह पातर को श्रद्धांजलिसमकालीन जनमतMay 12, 2024May 12, 2024 by समकालीन जनमतMay 12, 2024May 12, 20240123 “तब मुझे क्या पता था कहने वाले सुनने वाले इस तरह पथराएँगे कि शब्द निरर्थक से हो जाएँगे, कॉमरेड कवि सुरजीत सिंह पातर नहीं रहे।...
साहित्य-संस्कृति भोजली : मित्रता और प्रकृति के प्रति समर्पण की मिसालसमकालीन जनमतSeptember 1, 2023September 1, 2023 by समकालीन जनमतSeptember 1, 2023September 1, 20230190 पीयूष कुमार लोकसंस्कृति के मूल में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और उसके मानवीय एकीकरण की भावना की जलधारसंचरित रहती है। छत्तीसगढ़ में इसी तरह का...
ख़बर साहित्य का रस, बसंत के रंग, आपके संगसमकालीन जनमतMarch 3, 2022March 3, 2022 by समकालीन जनमतMarch 3, 2022March 3, 2022029 रिया कदम बढ़ाते ही रुक से गए। ऑटो से उतरने के बाद, जैसे ही क़दमों ने देह को गेट तक पहुंचाया, आँखों के सामने जो...
दुनिया नेक हौसलों से भरा दिल दुनिया को खूबसूरत बनाता हैजनार्दनFebruary 16, 2022February 16, 2022 by जनार्दनFebruary 16, 2022February 16, 2022026 राह चलते, मिलते-जुलते, पढ़ते-पढ़ाते कई दफ़ा ऐसे किरदार मिलते हैं, जो बहुत दूर होकर भी साथ चलने लगते हैं। भौगोलिक और सरहदी दूरियां बेमानी हो...
साहित्य-संस्कृति जनचेतना की मशाल ‘विप्लवी पुस्तकालय गोदरगावां’ साहित्यिक तीर्थस्थल हैकौशल किशोरDecember 1, 2021December 12, 2021 by कौशल किशोरDecember 1, 2021December 12, 2021051 फणीश्वर नाथ रेणु ने कहा था कि भारत के सामाजिक जीवन को जानना है तो लेखकों को गांवों की ओर जाना चाहिए। जन संस्कृति मंच,...
कहानीसाहित्य-संस्कृति श्यामा: औपनिवेशिक भूमि-व्यवस्था, वर्णवाद के बीच अंतरजातीय प्रेम की कहानीदुर्गा सिंहNovember 17, 2021November 20, 2021 by दुर्गा सिंहNovember 17, 2021November 20, 20210317 निराला की कहानी ‘श्यामा’, हिंदी की एक महत्वपूर्ण कहानी है। यह कहानी एक ब्राह्मण लड़के और लोध जाति की लड़की के प्रेम की कहानी है।...
साहित्य-संस्कृति प्रगतिशील साहित्य के पक्ष में बहस का एक तेवर : केदारनाथ अग्रवाल का आलोचनात्मक लेखनगोपाल प्रधानOctober 10, 2021June 12, 2021 by गोपाल प्रधानOctober 10, 2021June 12, 20210273 केदारनाथ अग्रवाल के आलोचनात्मक लेखन पर उनके जीवनकाल में ध्यान नहीं दिया गया । रामविलास शर्मा भी उनके गद्य की तारीफ़ उनकी चिट्ठियों के प्रसंग...
शख्सियत वीरेन डंगवाल की याद में संगोष्ठी और कविता पाठसमकालीन जनमतAugust 5, 2021August 5, 2021 by समकालीन जनमतAugust 5, 2021August 5, 20210632 वीरेन की कविताएं काली ताकतों की पहचान करती हैं – कौशल किशोर अलका पांडे, सीमा सिंह, शालिनी सिंह और श्रद्धा बाजपेई ने कविताओं का पाठ...
ज़ेर-ए-बहस समझें जीवन बूझें भाषाअनुपमा श्रीवास्तवSeptember 16, 2020September 20, 2020 by अनुपमा श्रीवास्तवSeptember 16, 2020September 20, 202002546 मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ काश पूछो कि मुद्दआ क्या है !! एक थी हिन्दी, नीम के पेड़ो के नीचे झूमती गाती अपने...
जनमत हुड़किया बौल पहाड़ की संस्कृति नहीं, बेगार प्रथा का अवशेष हैपुरुषोत्तम शर्माJuly 26, 2020July 26, 2020 by पुरुषोत्तम शर्माJuly 26, 2020July 26, 202002521 आजकल कई लोग पहाड़ में पहले होने वाले हुड़किया बौल की नकल करते उसे पहाड़ की संस्कृति के रूप में प्रचारित करते रहते हैं। हुड़किया बौल...
साहित्य-संस्कृति आदिवासी स्त्री को ग़र सही मायनों में समझना है तो हमें अपने पैमाने बदलने होंगे : डॉ. स्नेहलता नेगीसमकालीन जनमतJuly 8, 2020July 8, 2020 by समकालीन जनमतJuly 8, 2020July 8, 202002582 कोरस के फेसबुक लाइव ‘स्त्री-संघर्ष का कोरस’ में बीते रविवार 5 जुलाई को डॉ. स्नेहलता नेगी ने ‘स्त्री स्वतन्त्रता के संबंध में आदिवासी समाज’ विषय...
ज़ेर-ए-बहस सभी आवाज़ों को मजबूत करना, सभी गीतों को ताकत देना तथा सवाल खड़े करना ही कला का सच्चा काम है: टी.एम. कृष्णासमकालीन जनमतJune 24, 2020June 24, 2020 by समकालीन जनमतJune 24, 2020June 24, 202002746 टी. एम. कृष्णा (अवधेश जी द्वारा मुझे हिन्दी में बोलने के लिए बोला गया है लेकिन मेरा हिन्दी तो बहुत खराब है मैं हिंगलिश बोलूँगा।...
साहित्य-संस्कृति तुपकी की सलामी का लोकपर्व : बस्तर का गोंचासमकालीन जनमतJune 23, 2020June 23, 2020 by समकालीन जनमतJune 23, 2020June 23, 202003411 रथयात्रा की बात करते ही जगन्नाथपुरी की बात जेहन में आ जाती है लेकिन इसका एक बस्तरिया संस्करण भी है जिसे ‘गोंचा तिहार’ कहा जाता...
ये चिराग जल रहे हैं हाँ, गिर्दा, तुम्हारा होना एक दिन अवश्य सार्थक होगानवीन जोशीMay 2, 2020May 2, 2020 by नवीन जोशीMay 2, 2020May 2, 202002968 वह बड़े सपने देखने वाला अनोखा रचनाकार था. अत्यन्त सहज, सरल और सुलभ इनसान. उसके सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में से एक है- ‘जैंता, एक दिन...
ज़ेर-ए-बहस ‘ हमारा सबसे बड़ा दुश्मन ’डा. अली अहमद फ़ातमीAugust 27, 2019August 28, 2019 by डा. अली अहमद फ़ातमीAugust 27, 2019August 28, 201903036 (फ़िराक गोरखपुरी की एक अप्राप्य और गुमनाम किताब) जिन लोगों ने फ़िराक़ गोरखपुरी की शायरी को आमतौर से और शख्सियत को क़रीब से देखा और...
साहित्य-संस्कृति प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भोजली पर्वसमकालीन जनमतAugust 16, 2019December 9, 2019 by समकालीन जनमतAugust 16, 2019December 9, 201903538 पीयूष कुमार हमारे यहाँ छत्तीसगढ़ की संस्कृति प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और उसके मानवीय एकीकरण की भावना से अनुपूरित है। यह समय समय पर लोक...
ज़ेर-ए-बहस हम देश को कौन सी कहानी सुनायें साथी!समकालीन जनमतJuly 18, 2019 by समकालीन जनमतJuly 18, 201902456 अंशु मालवीय 2019 के आम चुनावों के नतीजों ने हमे जो दिखाया है उसकी तमाम वजहें विश्लेषकों और विद्वानों ने गिनाई है, उनमें ज़्यादातर वजहें...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति आखिरी दौर की डायरी और एक कहानी -मधुकर सिंहसमकालीन जनमतJuly 15, 2019 by समकालीन जनमतJuly 15, 201902173 (मधुकर जी ने अपने आखिरी दिनों में अपनी डायरी में राजनीति, खेल, फिल्म आदि पर कुछ टिप्पणियां और साहित्य-संस्कृति से जुड़ी यादों के साथ-साथ कुछ...
साहित्य-संस्कृति वर्ष 2018 का ‘वारियर एल्विन सम्मान’ पोस्तोबाला कोसमकालीन जनमतNovember 24, 2018November 24, 2018 by समकालीन जनमतNovember 24, 2018November 24, 201812464 लोककला एवं संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान के लिए 'दुनिया इन दिनों' पत्रिका द्वारा दिया जाने वाला प्रसिद्ध 'वारियर एल्विन सम्मान' वर्ष 2018 के लिए पश्चिम...