समकालीन जनमत

Category : कविता

कवितामल्टीमीडिया

यह कैसा फागुन आया है !

समकालीन जनमत
( मुजफ्फरपुर के धरमपुर गांव में भाजपा नेता द्वारा बोलेरो गाड़ी से कुचलकर 9 बच्चों को मार डालने की घटना पर कवि एवं संस्कृतिकर्मी संतोष...
कवितासाहित्य-संस्कृति

चंद्रशेखर आजाद के सपनों का भारत बनना अभी बाकी-सुधीर विद्यार्थी

समकालीन जनमत
  आगरा. सरदार भगत सिंह शहीद स्मारक समिति और राधामोहन गोकुल स्मारक समिति के तत्त्वाधान में चंद्रशेखर आजाद के 87वें शहीदी दिवस पर आज ‘क्रांतिकारियों...
कविता

तुलसीदास और उनकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं : प्रो. इरफ़ान हबीब

समकालीन जनमत
  प्रो.कमलानंद झा की पुस्तक ‘ तुलसीदास का काव्य-विवेक और मर्यादाबोध ’ का लोकार्पण और परिचर्चा   अलीगढ (उत्तर प्रदेश).  प्रख्यात इतिहासकार प्रो. इरफ़ान हबीब...
कवितासाहित्य-संस्कृति

“ कब याद में तेरा साथ नहीं/ कब हाथ में तेरा हाथ नहीं ”

सुधीर सुमन
घाटशिला (झारखण्ड) में प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘जश्ने फ़ैज़ ‘ की रिपोर्ट घाटशिला में 17 फरवरी को प्रलेस की ओर से होने वाले...
कवितासाहित्य-संस्कृति

जनपक्षधरता से लैस हैं कौशल किशोर की कविताएं

समकालीन जनमत
  लखनऊ में वरिष्ठ कवि एवं संस्कृतिकर्मी कौशल किशोर का एकल काव्य पाठ और परिचर्चा का आयोजन संदीप कुमार सिंह नागरिक परिषद्, लखनऊ द्वारा इंडियन...
कवितासाहित्य-संस्कृति

फ़ैज़ की पूरी शायरी लोकतांत्रिक भावनाओं की मिसाल है : प्रणय कृष्ण

समकालीन जनमत
  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जसम द्वारा ‘जश्न-ए-फ़ैज़ ‘का आयोजन  अम्बरीन आफ़ताब अलीगढ (उत्तर प्रदेश) . जन संस्कृति मंच की अलीगढ़ इकाई ने 14 फरवरी...
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‘ प्रेमकथा एहि भाँति बिचारहु ’

समकालीन जनमत
  (संत वैलेन्टाइन की तरह प्रेम के पक्षधर मगर कई मामलों में उनसे भिन्न संत रविदास थे। उनकी  रचना जगत में प्रेम एक विराट भाव...
कवितासाहित्य-संस्कृति

गंगा-जमुनी तहजीब और आज़ादी के पक्ष में है संजय कुमार कुंदन की शायरी : प्रो. इम्तयाज़ अहमद

समकालीन जनमत
  शायर संजय कुमार कुंदन के संग्रह ‘भले, तुम नाराज हो जाओ’ पर बातचीत   पटना. ‘‘हटा के रोटियां बातें परोस देता है/ इस सफ़ाई...
कवितासाहित्य-संस्कृति

अकबर अलाहाबादी बनाम मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम

समकालीन जनमत
  मेंहदी हुसैन तन्ज़, मज़ाह और ज़राफत की शायरी का मैदान कोई आसान मैदान नहीं है। इस मैदान में सिर्फ एक साहबे नज़र, साहबे मुशाहेदा,...
कवितासाहित्य-संस्कृति

‘जश्ने फैज़’ ने अभियान का रूप लिया, आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, लखनऊ, पटना, दरभंगा में हो रहा है आयोजन

समकालीन जनमत
आगरा में 13 फरवरी को होने जा रहा ‘जश्ने फैज़’ का आयोजन ऐतिहासिक रूप लेने जा रहा है. किसी एक लेखक या रचनाकार को लेकर...
कविता

लोक गीतों में चौरी चौरा विद्रोह -‘ माई रहबू ना गुलाम, न बहइबू अंसुआ ’

समकालीन जनमत
( ये लोकगीत कथाकार -लेखक सुभाष कुश्वाहा की पुस्तक  ‘चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आंदोलन ’ से लिए गए हैं )   दोहा गोरखपुर में...
कवितासाहित्य-संस्कृति

‘यह तश्ना की है गज़ल, इस शायरी में गाने-बजाने को कुछ नहीं’

समकालीन जनमत
तश्ना आलमी की याद में लखनऊ में सजी गज़लों की शाम लखनऊ । तश्ना आलमी की शायरी गहरे तक छूती है। ऐसा लगता है कि...
कवितासाहित्य-संस्कृति

युग की नब्ज़ धरने वाली गोरख की कविता मुक्ति स्वप्न की कविता है- अवधेश

समकालीन जनमत
इलाहाबाद में गोरख स्मृति दिवस  इलाहाबाद, 29 जनवरी. परिवेश और जन संस्कृति मंच की ओर से 29 जनवरी को इलाहाबाद छात्र संघ भवन में जनकवि गोरख पांडेय की पुण्यतिथि के मौक़े पर ‘ गोरख स्मृति दिवस ’ का आयोजन हुआ। आयोजन दो सत्रों में बँटा हुआ था। पहला...
कवितानाटकसाहित्य-संस्कृति

‘हमारे वतन की नयी ज़िन्दगी हो’

समकालीन जनमत
कोरस ने पटना में ‘एक शाम गोरख के नाम’ अयोजित किया पटना , 28 जनवरी. कोरस द्वारा जनकवि गोरख पांडेय की स्मृति दिवस के पूर्व...
कवितासाहित्य-संस्कृति

गोरख के गीतों के साथ देश-दुनिया और समाज को बेहतर बनाया जा सकता है: अरुण कमल

सुधीर सुमन
क्रांतिकारी जनकवि गोरख पांडेय की स्मृति में हिरावल ने किया आयोजन गोरख के हिंदी-भोजपुरी के जनगीतों और गजलों का गायन हुआ पटना: 28 जनवरी. ‘गोरख...
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