समकालीन जनमत

Category : कविता

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कबीर और नागार्जुन की जयंती से जन एकता सांस्कृतिक यात्रा आरम्भ

समकालीन जनमत
बेगूसराय. आज ज्येष्ठ पूर्णिमा दिनांक 28/06/2018 को जन संस्कृति मंच की ओर से कबीर और आधुनिक कबीर नागार्जुन की सम्मिलित जयंती मनायी गयी। इस जयंती...
कविताग्राउन्ड रिपोर्टजनमतसाहित्य-संस्कृति

अनुपम सिंह की कविताओं पर जसम की घरेलू गोष्ठी की रपट

राम नरेश राम
अनुपम की कविताएँ अपने वक्त, अपने समाज और अपनी काया के अनुभव से उपजी हुई कविताएँ हैं- योगेंद्र आहूजा पिछली 23 जून 2018 को जसम...
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‘समय है सम्भावना का’ : सत्ता के मौन की पहचान है

राम नरेश राम
जगदीश पंकज जी का कविता संग्रह ‘समय है सम्भावना का’ इसी वर्ष आया है. जगदीश पंकज जी नवगीतकार हैं. दलित साहित्य में नवगीत की कोई...
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महेश्वर स्मृति आयोजन में युवा कवि अदनान कफ़ील दरवेश और विहाग वैभव का काव्य पाठ

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महेश्वर चाहते थे कि कवि-लेखकों और जनता के बीच कम से कम दूरी हो: आलोक धन्वा महेश्वर की लड़ाई को आगे बढ़ाने की जरूरत है:...
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पराजय को उत्सव में बदलती अनुपम सिंह की कविताएँ

समकालीन जनमत
(अनुपम सिंह की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे वे अपने साथ हमें पितृसत्ता की एक बृहद प्रयोगशाला में लिए जा रहीं हैं...
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सहज काव्‍य‍कथाओं सी हैं अदनान की कविताएँ

समकालीन जनमत
अदनान की कविताओं से गुजरना अपने समय के लोक से गुज़रना और उसकी त्रासदियों को जानते हुए उसकी लाचारी को अपनी लाचारी में बदलते देखना...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

कुमार मुकुल की कविताएँ : लोकतंत्र के भगवाकरण की समीक्षा

समकालीन जनमत
30 वर्षों से रचनारत कुमार मुकुल के कविता परिदृश्य का रेंज विशाल और वैविध्य से भरा है , प्रस्तुत कविताओं में आज के समय को...
कवितासाहित्य-संस्कृति

‘ चन्द्रेश्वर की कविताएं सरल पर लिखना उतना ही कठिन ’

समकालीन जनमत
चन्द्रेश्वर प्रेम और प्रतिरोध के कवि हैं. ऐसी कविताओं की जरूरत थी. ये अपनी रचना प्रक्रिया और कन्टेन्ट में समकालीन कविताएं हैं. यहां व्यंग्य चित्र...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

विहाग वैभव की कविताएँ : लोक जीवन के मार्मिक संवेदनात्मक ज्ञान की कविताएँ हैं- मंगलेश डबराल

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  युवा कवि विहाग वैभव की कविताओं में क्रांति, विद्रोह, विरोध, निषेध के तीखे स्वर हैं और वह प्रेम भी है जिसे संभव करने के...
कविताशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

जनकवि सुरेंद्र प्रसाद की 84वीं जयंती मनाई गई

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बी. आर. बी. कालेज , समस्तीपुर के सभागार में 17 मई, 2018 को जन संस्कृति मंच और आइसा के संयुक्त तत्वावधान में मिथिलांचल के दुर्धर्ष...
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‘ मृत्युंजय की कविताएं आम अवाम की बेचैनी, क्षोभ, अवसाद, दुख, पीड़ा और गुस्से का इजहार हैं ’

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच की ओर से छज्जूबाग, पटना में युवा कवि मृत्युंजय के काव्यपाठ और बातचीत का आयोजन हुआ. मृत्युंजय ने ‘यां’, ‘नश्वर-सी सुंदरता’, ‘...
कविता

एक कविता: दोष नहीं कुछ इसमें [अद्दहमाण]

मृत्युंजय
विद्वानों के मुताबिक़ अद्दहमाण [अब्दुल रहमान] का काल 12वीं सदी के कुछ पहले ही ठहरता है। यहाँ कुछ छंद उनके ग्रंथ ‘संदेस–रासक‘ से चुने गए...
कवितासाहित्य-संस्कृति

मरे हुए तालाब में लाशें नहीं विचारधाराएं तैर रही हैं

आशुतोष कुमार
“जंगल केवल जंगल नहीं है नहीं है वह केवल दृश्य वह तो एक दर्शन है पक्षधर है वह सहजीविता का दुनिया भर की सत्ताओं का...
कविता

एक कविता : मेट्रो-महिमा : वीरेन डंगवाल

मृत्युंजय
नवारुण प्रकाशन से वीरेन डंगवाल की समग्र कविताओं का संग्रह 'कविता वीरेन' छपने वाला है जिसमें उनके सभी संग्रहों और उसके बाद की अन्य कविताएँ...
कवितासाहित्य-संस्कृति

अच्युतानंद मिश्र की कविताएँ : अपने जीवनानुभवों के साथ ईमानदार बर्ताव की कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
विष्णु नागर अच्युतानंद मिश्र की छवि एक अच्छे कवि, गंभीर अध्येता और एक आलोचक की बनी है। इधर हमारी कविता में अनकहे की अनुपस्थिति बढ़ती...
कविताशख्सियत

यातना का प्रतिकार प्रेम

समकालीन जनमत
मंगलेश की कविता ने प्रेम को बराबर एक सर्वोच्च मूल्य के तौर पर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन एकान्त में नहीं, यातना के बरअक्स; क्योंकि...
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प्रदीप कुमार सिंह की कविताएँ : विह्वल करने से ज़्यादा विचार-विकल करती हैं

उमा राग
नदी समुद्र में जाकर गिरती है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन यह सच्चाई तो प्रदीप की कविता को पता है कि नदी अपना दुःख...
कवितासाहित्य-संस्कृति

एक कविता: चोरी-चुप्पे [प्रकाश उदय]

मृत्युंजय
कविता 'चुप्पे-चोरी', जो एक लड़की की बहक है। यह लड़की गाँव की है, नटखट है। उसने उड़ने के लिए चिड़िया के पंख और गोता लगाने...
कविताज़ेर-ए-बहस

हरम सरा नहीं कविता चाहिए

‘ जेंडर बाइनरिज़्म ’ दोनों ध्रुवों के बीच पड़ने वाली सारी चीज़ों को परिधि पर फेंक देता है. यह स्थापित करता है कि स्याह और...
कविता

व्यवस्था की विसंगतियों पर प्रहार है देव नाथ द्विवेदी की गजलों में

समकालीन जनमत
लखनऊ में देव नाथ द्विवेदी के  गजल संग्रह ‘ हवा परिन्दों पर भारी है ’ का विमोचन और परिसंवाद कौशल किशोर लखनऊ. ‘ हिन्दुस्तानी जबान में...
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