जनमत खोई चीज़ों का शोक: जीवन की स्मृतियों से झकझोर खायी कविताएँसमकालीन जनमतFebruary 6, 2022February 6, 2022 by समकालीन जनमतFebruary 6, 2022February 6, 2022039 अनुपम सिंह समकालीन हिंदी कविता में सविता सिंह प्रकृति के क़रीब रहने वाली कवियों में से हैं। सविता सिंह प्रकृति के प्रत्येक क्रियाकलाप को अनिवार्य...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति प्रेम के निजी उचाट से लौटती स्त्री की कविता : विपिन चौधरी की कवितायेँउमा रागJuly 8, 2018July 8, 2018 by उमा रागJuly 8, 2018July 8, 20182 3270 विपिन की कवितायेँ लगातार बाहर-भीतर यात्रा करती हुईं एक ऐसी आंतरिकता को खोज निकालती हैं जो स्त्री का अपना निजी उचाट भी है और दरख्तों,...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति पराजय को उत्सव में बदलती अनुपम सिंह की कविताएँसमकालीन जनमतJune 24, 2018June 19, 2019 by समकालीन जनमतJune 24, 2018June 19, 20192 3446 (अनुपम सिंह की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे वे अपने साथ हमें पितृसत्ता की एक बृहद प्रयोगशाला में लिए जा रहीं हैं...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति इस क्रूरता पर हम सिर्फ़ रोयेंगें नहीं: सविता सिंहउमा रागApril 20, 2018April 21, 2018 by उमा रागApril 20, 2018April 21, 201813163 सविता सिंह आज कल मेरी सैद्धांतिक समझ इस बात को समझने में खर्च हो रही है कि किसी देश में छोटी बच्चियों के साथ इतना घिनौना...