समकालीन जनमत

Tag : समकालीन कविता

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कुमार अरुण की कविताओं की भाषा के तिलिस्म में छुपा यथार्थ 

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कुमार मुकुल माँ को समन्दर देखने की बड़ी इच्छा कि आखिर कितना बड़ा होता होगा अरे बड़ा कितना जितना हमारे पैसों और जरूरतों के बीच...
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गणेश की कविताओं की इमेजरी महज़ काव्य उपादान नहीं उनके कवि-व्यक्तित्व की अंतर्धाराएँ हैं

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  निरंजन श्रोत्रिय अनूठे बिम्बों से युक्त काव्य-भाषा किसी कवि के अनुभूत जगत, संज्ञान, प्रश्नाकुलता, प्रतिभा, अभिप्राय, सरोकार और संवेदनों का प्रकट रूप होती है।...
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अनिता भारती की कविताओं में अम्बेडकर

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 अनिता भारती डॉ. अम्बेडकर एकमात्र ऐसे विश्वस्तरीय चिंतक है जिन्होने परिवार और समाज में स्त्री की स्थिति कैसी हो, इस पर गहन चिंतन-मनन किया। पुरूषों के...
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उम्मीद को अलग-अलग ढंग से पकड़ने की कोशिश हैं रमन की कविताएँ

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आर. चेतन क्रांति रमण कुमार सिंह की इन कविताओं में अपने मौजूदा समय को पकड़ने और उसकी क्षुद्रताओं, उसके खतरों, उसके खतरनाक इरादों और बदलावों...
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ज़मीनी हक़ीक़त बयाँ करतीं चंद्र की कविताएँ

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कुमार मुकुल चंद्र मेरी आज तक की जानकारी में पहले ऐसे व्‍यक्ति हैं जो खेती-बाड़ी में, मजूरी में पिसते अंतिम आदमी का जीवन जीते हुए पढ़ना-लिखना...
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स्त्री को उसके वास्तविक रूप में पहचाने जाने की ज़िद हैं शैलजा की कविताएँ

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दीपक कुमार शैलजा पाठक से परिचय मित्र पीयूष द्वारा शेयर की गई उनकी कविता ‘कुसुम कुमारी’ के माध्यम से हुआ। पहली ही नजर में इस...
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मानवीय रिश्तों की पहचान के कवि हैं गौरव पाण्डेय

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युवतम कवि गौरव पाण्डेय की ये कविताएँ पढ़कर अचरज होता है कि इतनी महीन संवेदनाओं वाला यह कवि अब तक कहाँ गुम था! घर-परिवार और...
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जटिल यथार्थ का सरल कवि जसबीर त्यागी

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संजीव कौशल जसबीर त्यागी आम जीवन में जितने सहज और सरल हैं वही सहजता और सरलता उनकी कविताओं में भी देखी जा सकती है लेकिन...
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समय की विद्रूपताओं की शिनाख़्त करतीं अनिल की कविताएँ

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निरंजन श्रोत्रिय युवा और चर्चित कवि अनिल करमेले की कविताओं से गुजरना अपने समकालीन समय-समाज की विद्रूपताओं की शिनाख्त करना है। यह दुष्कर कवि-कर्म वे...
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‘ अजीब समय के नए राजपत्र ’ के विरुद्ध तनकर खड़ी कविता

दीपक सिंह
पंकज चतुर्वेदी बहुत ही संवेदनशील और समय-सजग रचनाकार हैं | उनकी कविताओं से गुजरते हुए जन कवि गोरख पाण्डेय की कविता पंक्तियां बार-बार मन में...
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प्रतिरोध को बयां करती है कवि कौशल किशोर की “नयी शुरुआत”

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र जब हम जवानी के दौर में परवाज़ भर रहे होते हैं तो उस वक्त देश और समाज को लेकर उसके भीतर मौजूद तमाम हलचलों...
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कोमल ज़िद से एक बेहतर दुनिया के लिए बहस करती पराग पावन की कविताएँ

समकालीन जनमत
विवेक निराला पराग पावन हिन्दी-कविता की युवतर पीढ़ी के पहचाने जाने वाले कवि हैं। उनकी कविता एक ओर हमारे समकालीन यथार्थ को उघाड़ कर रखती...
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स्त्री की खुली दुनिया का वृत्त हमारे समक्ष प्रस्तुत करतीं कविताएँ

उमा राग
अच्युतानंद मिश्र निर्मला गर्ग की कविताओं में मौजूद सहजता ध्यान आकृष्ट करती है. सहजता से यहाँ तात्पर्य सरलीकरण नहीं है, बल्कि सहजता का अर्थ है...
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प्रेम के बहाने एक अलग तरह का सामाजिक विमर्श रचती पल्लवी त्रिवेदी की कविताएँ

उमा राग
निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री पल्लवी त्रिवेदी की कविताओं को महज़ ‘प्रेम कविताएँ’ या रागात्मकता की कविताएँ कहने में मुझे ऐतराज़ है। पल्लवी की विलक्षण काव्य-प्रतिभा...
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नित्यानंद गायेन की कविताओं में प्रेम अपनी सच्ची ज़िद के साथ अभिव्यक्त होता है

उमा राग
कुमार मुकुल   नित्यानंद जब मिलते हैं तो लगातार बोलते हैं, तब मुझे अपने पुराने दिन याद आते हैं। कवियों की बातें , ‘कांट का...
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अपने समय की आहट को कविता में व्यक्त करता कवि विवेक निराला

उमा राग
युवा कवि विवेक निराला की इन कविताओं को पढ़ कर लगता है मानो कविता उनके लिए एक संस्कार की तरह है-एकदम नैसर्गिक और स्वस्फूर्त! इन...
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रेतीले टिब्बों पर खड़े होकर काले बादलों की उम्मीद ओढ़ता कवि : अमित ओहलाण

उमा राग
कविता जब खुद आगे बढ़कर कवि का परिचय देने में सक्षम हो तो फिर उस कवि के लिए किसी परिचय की प्रस्तावना गढ़ने की ज़रुरत...
कविताजनमत

युवा कविता की एक सजग, सक्रिय और संवेदनशील बानगी है निशांत की कविताएँ

उमा राग
जब भी कोई नई पीढ़ी कविता में आती है तो उसके समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न होता है कि वह अपने से ठीक पहले की पीढ़ी...
कविताजनमतस्मृति

चार आयामों का एक कवि विष्णु खरे

उमा राग
मंगलेश डबराल   यह बात आम तौर पर मुहावरे में कही जाती है कि अमुक व्यक्ति के न रहने से जो अभाव पैदा हुआ है...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

समय के जटिल मुहावरे को बाँचती घनश्याम कुमार देवांश की कविताएँ

उमा राग
आज के युवा बेहद जटिल समय में साँस ले रहा है. पूर्ववर्ती पीढ़ी में मौजूद कई नायाब और सौंधे सुख उसकी पीढ़ी तक पहुँचने से...
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