समकालीन जनमत

Category : कविता

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कुमार अरुण की कविताओं की भाषा के तिलिस्म में छुपा यथार्थ 

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कुमार मुकुल माँ को समन्दर देखने की बड़ी इच्छा कि आखिर कितना बड़ा होता होगा अरे बड़ा कितना जितना हमारे पैसों और जरूरतों के बीच...
कविताजनभाषा

‘ई बिकट अंधेरे जुग मा ना, मनई मनई का देखि सके’

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शैलेन्द्र कुमार शुक्ल आधुनिक अवधी कविता के सबसे लोकप्रिय और मशहूर कवि चंद्रभूषण त्रिवेदी ‘रमई काका’ (1914-1982) हैं। उनकी कविताओं की लोकप्रियता को लेकर आलोचकों...
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गणेश की कविताओं की इमेजरी महज़ काव्य उपादान नहीं उनके कवि-व्यक्तित्व की अंतर्धाराएँ हैं

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  निरंजन श्रोत्रिय अनूठे बिम्बों से युक्त काव्य-भाषा किसी कवि के अनुभूत जगत, संज्ञान, प्रश्नाकुलता, प्रतिभा, अभिप्राय, सरोकार और संवेदनों का प्रकट रूप होती है।...
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अनुराधा सिंह की कविताओं में ‘प्रेम एक विस्तृत संकल्पना’

समकालीन जनमत
अनुपम सिंह अपने समकालीनों पर लिखते समय, उन पर कोई निर्णयात्मक वाक्य लिखना खतरा उठाने जैसा होता है. या कहें भविष्य में उसके ख़ारिज और...
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बृजराज सिंह की कविता आधे के इनकार की कविता है

यूँ तो कविता का काम बहुधा व्यंजना से चलता है पर कविता को अभिधा से भी बहुत परहेज नहीं रहा है. आधुनिक कविता के लिए...
कविताजनमत

‘मिथिलेश की कविताएँ हमारे समय के आसन्न खतरों के प्रति आगाह करती हैं’

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय  युवा कवि मिथिलेश कुमार राय की कविताएँ छोटे-छोटे वाक्य विन्यास के जरिये कविता का वह संसार रचती है जो बहुत सहज और आत्मीय...
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‘गगन गिल ‘मातृमूलक’ दुःखों और उदासियों को रचने वाली कवयित्री हैं’

अनुपम सिंह गगन गिल ने कविता में अपने ज़िम्मे जो काम लिया है, वह है स्त्री की पारम्परिक नियति को उद्घाटित करना. प्रकृति में इतने...
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जीवन के ठाठ का कवि: हरेकृष्ण झा

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मैथिली साहित्य जगत को अपनी समकालीन कविताओं के माध्यम से नई ऊँचाई तक ले जाने वाले कवि हरे कृष्ण झा का 70 वर्ष की आयु...
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विश्वासी एक्का की कविताओं में प्रेम और संघर्ष दोनों ही परम स्वतंत्र और प्राकृतिक रूप में मिलते हैं

समकालीन जनमत
दीपक सिंह व्यक्ति जिस समाज से आता है उसकी चेतना के निर्माण में उसका अहम योगदान होता है | विश्वासी एक्का की कविताओं से गुजरते...
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अनिता भारती की कविताओं में अम्बेडकर

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 अनिता भारती डॉ. अम्बेडकर एकमात्र ऐसे विश्वस्तरीय चिंतक है जिन्होने परिवार और समाज में स्त्री की स्थिति कैसी हो, इस पर गहन चिंतन-मनन किया। पुरूषों के...
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स्मृति और वर्तमान के द्वंद्व से उपजीं उषा की कविताएँ

समकालीन जनमत
आलोक रंजन इधर उषा राजश्री राठौड़ की कुछ कविताओं से रु ब रु होने का मौका मिला और पहले ही पाठ में वे कविताएँ आकर्षित...
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चंदन सिंह की कविताएँ अपने प्राथमिक कार्यभार की ओर लौटती कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र चन्दन सिंह कविता से प्राथमिक काम लेने वाले कवि हैं। इस दौर में जब कविता के मत्थे ही सारी जिम्मेदारियाँ थोपी जा रही...
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यथार्थ और स्वप्न के लिए बराबर खुली हुई आँख हैं निकिता की कविताएँ

समकालीन जनमत
ज्योत्स्ना मिश्र दिये कहाँ जलाएं आखिर ?रोशनी से जगमगाते घरों में या अंधेरे से भरे हुए दिलों में निकिता नैथानी गढ़वाल से एक युवा जागरूक...
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पहली पुण्यतिथि पर बलिया ने याद किया केदार नाथ सिंह को

कवि केदारनाथ सिंह की स्मृति में बलिया में हुआ कार्यक्रम केदार जी से हमारी पीढ़ी ने बहुत कुछ सीखा – निलय उपाध्याय केदारनाथ सिंह भोजपुरी...
कविता

नयी धुन और नया गीत रचती हैं उषा राय की कविताएँ

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कविताओं में सब कविताएँ नहीं होतीं। जिसे हम कविता कहते हैं, वह भी समूची कविता नहीं होती। कविता किसी शब्द संरचना के भीतर खुद को...
कविताशख्सियतस्मृति

विद्रोह की मशाल है सावित्रीबाई फुले की कविताएँ

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अनिता भारती (आज 10 मार्च सावित्रीबाई फुले का परिनिर्वाण दिवस है। आज के दिन को पिछले कई सालों से दलित महिला दिवस के रूप में...

उम्मीद को अलग-अलग ढंग से पकड़ने की कोशिश हैं रमन की कविताएँ

समकालीन जनमत
आर. चेतन क्रांति रमण कुमार सिंह की इन कविताओं में अपने मौजूदा समय को पकड़ने और उसकी क्षुद्रताओं, उसके खतरों, उसके खतरनाक इरादों और बदलावों...
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ज़मीनी हक़ीक़त बयाँ करतीं चंद्र की कविताएँ

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कुमार मुकुल चंद्र मेरी आज तक की जानकारी में पहले ऐसे व्‍यक्ति हैं जो खेती-बाड़ी में, मजूरी में पिसते अंतिम आदमी का जीवन जीते हुए पढ़ना-लिखना...
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बादलों में आकार की खोज: रमणिका गुप्ता की कविताई

समकालीन जनमत
बजरंग बिहारी तिवारी नारीवादी आंदोलन का दूसरा दौर था. ‘कल्ट ऑफ़ डोमिस्टिसिटी’ को चुनौती दी जा चुकी थी. राजनीति में स्त्री की उपस्थिति को औचित्यपूर्ण,...
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ज्योत्सना की कविताएँ स्त्री-मन की करुणा और सम्वेदना का समकालीन पाठ हैं

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देवेंद्र आर्य ज्योत्सना की कविताएँ स्त्री-मन की करुणा और सम्वेदना का समकालीन पाठ पेश करती हैं , पर उनका समकाल विद्रूप या भौकाल बन कर...
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