समकालीन जनमत

Category : जनमत

जनमत

देश क्यों मौन है गंगा के लिए साधुओं के बलिदान पर ?

समकालीन जनमत
डॉ संदीप पांडेय   2011 में नवजवान साधू स्वामी निगमानंद की हरिद्वार में गंगा में अवैध खनन के खिलाफ अनशन करते हुए 115वें दिन जान...

उम्मीद को अलग-अलग ढंग से पकड़ने की कोशिश हैं रमन की कविताएँ

समकालीन जनमत
आर. चेतन क्रांति रमण कुमार सिंह की इन कविताओं में अपने मौजूदा समय को पकड़ने और उसकी क्षुद्रताओं, उसके खतरों, उसके खतरनाक इरादों और बदलावों...
जनमतमीडिया

क्या आप इन ढाई महीने के लिए चैनल देखना बंद नहीं कर सकते ? कर दीजिए

रवीश कुमार
अगर आप अपनी नागरिकता को बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। अगर आप लोकतंत्र में एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप...
जनमत

सूचना अधिकार कानून की अब किसे परवाह है

मनोज कुमार सिंह
बात 2007 की है। सूचना अधिकार कानून लागू हो गया था और उसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम कार्यक्रम हो रहे...
कविताजनमत

ज़मीनी हक़ीक़त बयाँ करतीं चंद्र की कविताएँ

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल चंद्र मेरी आज तक की जानकारी में पहले ऐसे व्‍यक्ति हैं जो खेती-बाड़ी में, मजूरी में पिसते अंतिम आदमी का जीवन जीते हुए पढ़ना-लिखना...
ख़बरजनमत

दिव्य कुंभ जहां पाखंड के नीचे इंसानियत कराहती है

के के पांडेय
इलाहाबाद में लगा अर्ध कुंभ अपने अंतिम चरण में है। दिव्य-कुंभ, स्वच्छ-,कुंभ, स्वस्थ-कुंभ, सुगम-कुंभ की सफलता का डंका पीटा जाने लगा है। झूठ और लूट...
जनमत

आदिवासियों और अन्य वन समुदायों के साथ एक बार फिर ऐतिहासिक अन्याय

समकालीन जनमत
फारेस्ट राइट अलायंस और भूमि अधिकार आन्दोलन वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नेचर कनसर्वेशन सोसायटी और टाइगर रिसर्च व कनसर्वेशन ट्रस्ट की याचिका पर सुप्रीम...
जनमतशख्सियतस्मृति

नामवर सिंह ने कभी अवकाश ग्रहण नहीं किया

प्रणय कृष्ण
नामवर सिंह नहीं रहे. 93 साल की उन्होंने उम्र पायी, लेकिन लगता है जैसे किसी विराट उपस्थिति ने अचानक हमें किसी न भरे जा सकने...
जनमतस्मृति

जनतांत्रिक मूल्यों की पक्षधर, निडर रचनाकार-अर्चना वर्मा

समकालीन जनमत
(हंस और कथादेश जैसी पत्रिकाओं का सार्थक सम्पादन कर साहित्यिक पत्रकारिता में स्त्री-हस्तक्षेप के लिए भरपूर गुंजाइश बनाने वाली अर्चना वर्मा गत 16 फरवरी को...
जनमत

शहीदों के ताबूतों के चुनावी व्यापार को रोको

पुरुषोत्तम शर्मा
एक तरफ पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आत्मघाती हमले और अब तक की सबसे ज्यादा शहादतों के दुःख और सदमे से देश अभी...
कविताजनमत

बादलों में आकार की खोज: रमणिका गुप्ता की कविताई

समकालीन जनमत
बजरंग बिहारी तिवारी नारीवादी आंदोलन का दूसरा दौर था. ‘कल्ट ऑफ़ डोमिस्टिसिटी’ को चुनौती दी जा चुकी थी. राजनीति में स्त्री की उपस्थिति को औचित्यपूर्ण,...
जनमत

एक सैनिक की मौत एक नागरिक की ही मौत है

समकालीन जनमत
शशांक मुकुट शेखर “हमारे बहादुर सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी.”- पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सत्ताधारी सहित देश के तमाम नेताओं ने...
जनमतमीडिया

कार्पोरेट न्यूज मीडिया : धनतंत्र के लिए और धनतंत्र-फासीवाद की सेवा में

आनंद प्रधान
अधिकांश न्यूज चैनलों पर इन दिनों 24×7 अहर्निश “बहस”, “महाबहस”, “दंगल”, “ताल ठोंक के” और इस जैसे और कई चर्चाओं के प्राइम टाइम कार्यक्रमों में...
जनमत

कमीशन खोरी होने पर सज़ा नहीं होगी, ऐसी शर्तों पर रफाल डील तो मोदी जी ही कर सकते हैं

रवीश कुमार
आज के हिन्दू में रफाल डील की फाइल से दो और पन्ने बाहर आ गए हैं। इस बार पूरा पन्ना छपा है और जो बातें...
ख़बरजनमत

दिव्य कुंभीकरण की भेंट चढ़ी निराला की प्रतिमा

के के पांडेय
वंसत पंचमी और महाप्राण निराला हम लोगों के लिए इलाहाबाद पहुँचने पर एक हो गए. आज वंसत पंचमी है. संगम और दोनों नदियों के तट...
जनमतसाहित्य-संस्कृति

निराला की कहानियाँ- आधुनिक बोध, प्रगतिशीलता व स्वाधीन चेतना की प्रबल अभिव्यक्ति

समकालीन जनमत
दुर्गा सिंह निराला के कहानी लेखन का समय 1920 ई के बाद का है। लेकिन पहली ही कहानी में आधुनिक बोध, प्रगतिशीलता व स्वाधीन चेतना...
कविताजनमत

ज्योत्सना की कविताएँ स्त्री-मन की करुणा और सम्वेदना का समकालीन पाठ हैं

समकालीन जनमत
देवेंद्र आर्य ज्योत्सना की कविताएँ स्त्री-मन की करुणा और सम्वेदना का समकालीन पाठ पेश करती हैं , पर उनका समकाल विद्रूप या भौकाल बन कर...
जनमत

सत्ता को सुहा नहीं रही बुद्धिजीवियों की मुखरता

शालू यादव   पिछले चार साल में जबसे भाजपा सरकार सत्ता में आई है तबसे राज्य आम जनता और बुद्धिजीवियों के प्रति कहीं अधिक असहिष्णु...
जनमतमीडिया

राजनीति बदलेगी तो मीडिया बदलेगा वरना वह और दुर्दांत हो जायेगा

अनिल यादव
* प्रमुख क्या है कर्म या भाग्य ! * उत्तम क्या है खेती या नौकरी ! * असल क्या है प्रेम या वासना ! *...
जनमत

बजट 2019 – भ्रामक दावे और जुमलों की बौछारें

दीपंकर भट्टाचार्य  नई दिल्‍ली. केन्‍द्रीय बजट लोकसभा चुनाव से पहले आम जनता की आंख में धूल झोंकने के लिए की गई जुमलों की बौछार भर...
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