समकालीन जनमत

Fearlessly expressing peoples opinion
  • HOME
  • ख़बर
  • जनमत
  • ज़ेर-ए-बहस
  • साहित्य-संस्कृति
    • कविता
    • चित्रकला
    • नाटक
    • जनभाषा
    • नाटक
  • फ़ील्ड रिपोर्टिंग
  • मल्टीमीडिया
  • राजनीति
  • समाज
  • सपोर्ट समकालीन जनमत
समकालीन जनमत
Image default
  • Home
  • जनमत
  • शहीदों के ताबूतों के चुनावी व्यापार को रोको
जनमत

शहीदों के ताबूतों के चुनावी व्यापार को रोको

by पुरुषोत्तम शर्माFebruary 17, 2019February 17, 20190640
Share0
एक तरफ पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आत्मघाती हमले और अब तक की सबसे ज्यादा शहादतों के दुःख और सदमे से देश अभी उभरा भी नहीं है, वहीं दूसरी ओर पूरे देश को युद्धोन्माद की दिशा में धकेल अपनी विफलताओं को छुपाने की राजनीति तेज हो गई है। इस घटना में शहीद हुए जवानों के ताबूतों का सत्ताधारी मंत्रियों और नेताओं द्वारा चुनावी रथ की तरह इस्तेमाल इन शहीदों का खुला अपमान है।
यह अपने शहीदों के लहू का चुनावी व्यापार है। कोई भी सच्चा देशभक्त इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है। इस लिए इस युद्धोन्माद को, शहीदों के ताबूतों के इस चुनावी व्यापार को रोकने की आवाज देश भर से उठनी चाहिए। देश भर में शिक्षा और व्यापार के लिए आए कश्मीरियों की इन साम्प्रदायिक युद्धोन्मादी ताकतों से हिफाजत के लिए देश के नागरिक समाज को सामने आना चाहिए।
राफेल घोटाले और हर मोर्चे पर अपनी सरकार की विफलताओं के चलते देश की जनता के हर तबके के आंदोलनों से मोदी सरकार घिरी हुई थी। पर मोदी सरकार, सत्ताधारी भाजपा और आरएसएस को तो जैसे चुनाव से ठीक पहले इस घटना ने एक बड़ा अवसर प्रदान कर दिया है। आज पूरा संघ परिवार देश के गुस्से को युद्धोन्माद भड़काने, देश भर में पढ़ रहे या व्यापार कर रहे कश्मीरियों पर हमला करने और मुस्लिम विरोधी भावनाएं भड़काने की दिशा में मोड़ने में सक्रिय हो गया है।
क्या हम यह भूल जाएं कि आज जिस आतंकी सरगना अजहर मसूद के संगठन ने पुलवामा की घटना की जिम्मेदारी ली है, आज से 20 वर्ष पहले उसे कश्मीर की जेल से निकालकर अफगानिस्तान के कंधार में तब की अटल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने ही छोड़ा था। क्या हम यह भी भूल जाएं कि तब अजहर मसूद को कंधार छोड़ने के लिए भाजपा के मंत्रियों के साथ एक अधिकारी के रूप में आज के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी गए थे। अजहर मसूद को भारत की जेल से पाकिस्तान भेजने वालों की ही आज सरकार है और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार भी उन्हीं में से एक हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने बदला लेने का दिन, समय और स्थान चुनने की सेना को पूरी छूट दे दी है। प्रधानमंत्री यह कह कर देश में युद्धोन्माद भड़काने की अगुवाई कर रहे हैं। पर सवाल यह उठता है कि मोदी जी आपकी सरकार की पांच साल चली कश्मीर नीति तो यही थी जिसे आप फिर दोहरा रहे हैं। कश्मीर समस्या के सैन्य समाधान का आपकी सरकार का खेल आखिर कश्मीर को कहां पहुंचा दिया है, इसकी समीक्षा होगी या नहीं ? जिस सर्जिकल स्ट्राइक को आप पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब और सबक सिखाना बता रहे थे, उससे कहीं बड़े नुकसान तो आपके राज में पाकिस्तान हमें कई बार पहुंचा चुका है।
आज इन पांच वर्षों में किसी बड़े युद्ध से ज्यादा नुकसान हमने अपने सैनिकों की जिंदगी खोकर झेला है। किसी भी समय से ज्यादा कश्मीरी नौजवान आज आतंकवादी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। पक्की खुफिया इनपुट के बावजूद पुलवामा में पहला इतना बड़ा आत्मघाती आतंकी हमला हो जा रहा है। जो खबरें आ रही हैं उसके अनुसार 19 साल का जो नौजवान इस घटना को अंजाम दिया, उसे फियादीन बनाने में भी आपकी कश्मीर नीति ने ही मजबूर किया।
पाकिस्तान के साथ घात – प्रतिघात और कश्मीरी जनता के सैन्य दमन के जिस सैन्य समाधान को संघ परिवार और भाजपा सरकारें कश्मीर समस्या का समाधान बता रही थी, पुलवामा की घटना उस नीति की पूरी तरह विफलता का प्रमाण है। जरूर कश्मीर समस्या पूर्व की कांग्रेस सरकारों द्वारा पैदा की गई समस्या है। पर मोदी सरकार और संघ परिवार इसके समाधान के जिस रास्ते पर देश को ले जा रहा है वह एक ऐसी अंधेरी सुरंग में जाने जैसा है जिससे निकलने का कोई दूसरा द्वार न हो। अगर हमें कश्मीर में पाकिस्तानी हस्तक्षेप को रोकना है तो कश्मीर समस्या का राजनीतिक समाधान निकालने की दिशा में पहल करनी होगी। कश्मीर के अंदर लोकतंत्र की बहाली और कश्मीरी आवाम के साथ ईमानदार संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए केंद्र की सत्ता से इस साम्प्रदायिक फासीवादी मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना जरूरी शर्त है।
PulwamaPulwama attackपुलवामा
Share0
previous post
बादलों में आकार की खोज: रमणिका गुप्ता की कविताई
next post
प्रतिरोध का सिनेमा ने की दीपा धनराज की फिल्म ‘वी हैव नॉट कम हियर टु डाई’ की स्क्रीनिंग
पुरुषोत्तम शर्मा
लेखक अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव हैं

Related posts

पुलवामा हमले से उठे सवाल

इन्द्रेश मैखुरीFebruary 16, 2019February 16, 2019

पुलवामा और नहीं ! भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध और नहीं !

समकालीन जनमतFebruary 27, 2019

एक सैनिक की मौत एक नागरिक की ही मौत है

समकालीन जनमतFebruary 16, 2019February 16, 2019

FACEBOOK UPDATE

Samkaleen Janmat

Popular Posts

तबला : उत्पत्ति और घराने

विष्णु प्रभाकरMarch 22, 2020
by विष्णु प्रभाकरMarch 22, 2020031262
तबले की उत्पत्ति और उसके नामकरण से संबंधित कई मत प्रचलित हैं. एक...

जेल में मक्खियों-मच्छरों के बीच तड़पता हूँ कि...

समकालीन जनमतJune 2, 2020June 7, 2020

111 शिक्षकों, कार्यकर्ताओं, डाक्टरों, अधिवक्ताओं ने डाॅ. कफील...

समकालीन जनमतMay 10, 2020May 13, 2020

राजग के स्वर्णिम दिन बीत चुके हैं ?

रवि भूषणJanuary 5, 2019January 5, 2019

कार्ल मार्क्स की एक नई जीवनी

गोपाल प्रधानMay 5, 2020May 6, 2020

Latest Tweets

Reply Retweet Favorite

DONATE US


@2019 - samkaleenjanmat.in.
समकालीन जनमत
FacebookTwitterInstagramPinterestGoogleYoutube
  • HOME
  • ख़बर
  • जनमत
  • ज़ेर-ए-बहस
  • साहित्य-संस्कृति
    • कविता
    • चित्रकला
    • नाटक
    • जनभाषा
    • नाटक
  • फ़ील्ड रिपोर्टिंग
  • मल्टीमीडिया
  • राजनीति
  • समाज
  • सपोर्ट समकालीन जनमत

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy