कविताजनमत सुषमा की कविताएँ प्रेम के विविध शेड्स को उभारती हैंसमकालीन जनमतFebruary 2, 2020February 2, 2020 by समकालीन जनमतFebruary 2, 2020February 2, 202003536 रत्नेश विश्वकसेन सुषमा गुप्ता की कविताएँ जिन्हें वह क्षणिकाएँ कहती हैं अनुभूतियों की कौंध है जिसे ठीक ठीक पकड़ कर अभिव्यक्त करने में सुषमा सफल...
कविताजनमत आरती की कविताएँ सवालों को बुनती हुई स्त्री का चित्र हैंसमकालीन जनमतJanuary 19, 2020January 19, 2020 by समकालीन जनमतJanuary 19, 2020January 19, 202003815 संजीव कौशल समाज तमाम तरह की राजनीतिक गतिविधियों का रणक्षेत्र है। यहां कोई न कोई अपनी राजनीतिक चाल चलता रहता है। ऐसे में कवि की...
कविताजनमत अपूर्णता से उपजे तनाव की कवयित्री हैं ज्योति शोभासमकालीन जनमतJanuary 12, 2020January 12, 2020 by समकालीन जनमतJanuary 12, 2020January 12, 202004346 आशीष मिश्र छुपने के लिए साँस भर जगह.. ज्योति शोभा की कविताओं में उतरने के लिए धैर्य अपेक्षित है। थोड़ी सी भी हड़बड़ी इसके सौंदर्य...
कविताजनमत स्त्री और प्रकृति की नूतन अस्तित्वमानता को स्वर देतीं ऋतु मेहरा की कविताएँसमकालीन जनमतDecember 29, 2019December 29, 2019 by समकालीन जनमतDecember 29, 2019December 29, 20192 3144 कुमार मुकुल ऋतु मेहरा की कविताएँ आपाधापी भरे जीवन और प्रकृति के विस्तृत वितान के मध्य एक तालमेल बिठाने का प्रयास करती कविताएं हैं।...
कविताजनमत भगवान स्वरूप कटियार की कविताएँ : जीवन को बचाने के लिए ज़रूरी है प्रेमसमकालीन जनमतDecember 15, 2019December 15, 2019 by समकालीन जनमतDecember 15, 2019December 15, 201902224 कौशल किशोर ‘आज हम सब/हो गए हैं/अपनी-अपनी सरहदों में जी रहे हैं छोटे-छोटे उपनिवेश और एक-दूसरे के लिए/पैदा कर रहे हैं भय, आतंक, दहशत/और गुलामी...
कविताजनमत सुघोष मिश्र की कविता वर्तमान की जटिलताओं से उपजे द्वंद्व की अभिव्यक्ति हैसमकालीन जनमतDecember 8, 2019December 8, 2019 by समकालीन जनमतDecember 8, 2019December 8, 20192 3246 आलोक रंजन सुघोष मिश्र की कविताओं को पढ़कर लगा कि उनकी कविताओं से परिचय कराना सरल कार्य नहीं है । इसके पीछे का एक सीधा...
कविताजनमत भाषा के अनोखे बर्ताव के साथ कविता के मोर्चे पर चाक चौबंद कवि कुमार विजय गुप्तसमकालीन जनमतDecember 1, 2019December 1, 2019 by समकालीन जनमतDecember 1, 2019December 1, 201913258 नवनीत शर्मा इस कवि के यहां अनाज की बोरियों का दर्द के मारे फटा करेजा नुमायां होता है…। यह उन शब्दों की तलाश में है...
कविताजनमत बबली गुज्जर की कविताएँ ‘औरत के मन की राह’ को एसर्ट करती हैंसमकालीन जनमतNovember 24, 2019November 24, 2019 by समकालीन जनमतNovember 24, 2019November 24, 20193 4509 अमरेंद्रनाथ त्रिपाठी प्रेम इन कविताओं में आवर्ती विषयवस्तु की तरह है। इसी के जरिये रचनाकार अन्य जरूरी संवेदनात्मक पक्षों पर भी मुखर हुआ है। एक...
कविता विनय सौरभ लोक की धड़कती हुई ज़मीन के कवि हैंसमकालीन जनमतNovember 3, 2019November 4, 2019 by समकालीन जनमतNovember 3, 2019November 4, 20194 4375 प्रभात मिलिंद कवि अपनी कविता की यात्रा पर अकेला ही निकलता है. जब इस यात्रा के क्रम में पाठक उसके सहयात्री हो जाएँ तो समझिए...
कविता रंजना मिश्र की कविताओं में जीवन उदासी के साये में खड़ा हुआ भी जिजीविषा से भरा रहता है।समकालीन जनमतOctober 27, 2019October 31, 2019 by समकालीन जनमतOctober 27, 2019October 31, 201914271 प्रतिमा त्रिपाठी भाषाई उठापटक, शब्दों के खेल और अर्थों के रचे हुये मायावी संसार से बोझिल होती हुई कविताओं के इस समय में रंजना मिश्रा...
कविताजनमत श्रम के सौंदर्य के कवि हैं अनवर सुहैलसमकालीन जनमतOctober 20, 2019October 20, 2019 by समकालीन जनमतOctober 20, 2019October 20, 201903442 ज़ीनित सबा अनवर सुहैल समकालीन हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार होने के साथ साथ महत्वपूर्ण कवि भी हैं. उन्हें लोग विशेष रूप से ‘गहरी जड़ें’ कहानी संग्रह और ‘पहचान’ उपन्यास...
कविताजनमत स्त्री जीवन की पीड़ाओं के नॉर्मलाइज़ होते जाने का विरोध हैं अपर्णा की कविताएँसमकालीन जनमतOctober 13, 2019October 13, 2019 by समकालीन जनमतOctober 13, 2019October 13, 20193 3696 संजीव कौशल अपर्णा अनेकवर्णा से मेरा परिचय उनकी कविताओं के रास्ते ही है और यह रास्ता इतना अलग और आकर्षक है कि यहां से गुज़रते...
कविताजनमत अंधेरे के ख़िलाफ़ ज़माने को आगाह करती हैं मुकुल सरल की कविताएँसमकालीन जनमतOctober 6, 2019October 6, 2019 by समकालीन जनमतOctober 6, 2019October 6, 20197 3424 गीतेश सिंह अभी कुछ सप्ताह पहले जब हम त्रिलोचन को याद कर रहे थे, तो उनकी एक कविता लगातार ज़ेहन में चलती रही -कविताएँ रहेंगी तो/ सपने...
कविताजनमत प्रज्ञा की कविता व्यक्ति पर समाज और सत्ता के प्रभाव से उठने वाली बेचैनी हैसमकालीन जनमतSeptember 29, 2019September 29, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 29, 2019September 29, 201903406 निकिता नैथानी ‘कविताएँ आती हैं आने दो थोड़ी बुरी निष्क्रिय और निरीह हो तो भी..’ इस समय जब लोग आवाज़ उठाने और स्पष्ट रूप से...
कविता एकांत और संवेदना की नमी में आकंठ डूबा कवि प्रभात मिलिंदसमकालीन जनमतSeptember 22, 2019September 24, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 22, 2019September 24, 201904074 रंजना मिश्र प्रभात मिलिंद की कविताओं से गुज़रना संवेदनशील आधुनिक मानव मन की निरी एकांत यात्रा तो है ही साथ ही परिवार समाज और देश...
कविताजनमत आत्मीयता का रंग और लोक का जीवट : इरेन्द्र की कविताएँसमकालीन जनमतSeptember 15, 2019September 15, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 15, 2019September 15, 20193 3965 कुमार मुकुल आत्मीयता इरेन्द्र बबुअवा की कविताओं का मुख्य रंग है। इस रंग में पगे होने पर दुनियावी राग-द्वेष जल्दी छू नहीं पाता। भीतर बहती...
कविताजनमत ईमानदार जवाबों की तलाश में : ऐश्वर्या की कवितासमकालीन जनमतSeptember 8, 2019September 8, 2019 by समकालीन जनमतSeptember 8, 2019September 8, 201914687 अपराजिता शर्मा ‘जानने की क्रिया प्रत्यक्ष और एकतरफ़ा नहीं हो सकती!’ पहचान और परिचय से आगे बढ़ने के लिए जानने की इस क्रिया से गुज़रना...
कविताजनमत ‘सफ़र है कि ख़त्म नहीं होता’ : सोनी पाण्डेय की कविताएँसमकालीन जनमतAugust 18, 2019August 18, 2019 by समकालीन जनमतAugust 18, 2019August 18, 20194 3333 मदन कश्यप हिन्दी में स्त्री कवयित्रियों की सांकेतिक उपस्थिति तो आदिकाल से रही है। लेकिन 1990 की दशक में जो बदलाव आया उसका एक सकारात्माक...
कविता विजय राही की कविताएँ वर्तमान के साथ अंतःक्रिया करती हैंसमकालीन जनमतAugust 11, 2019August 17, 2019 by समकालीन जनमतAugust 11, 2019August 17, 201903767 अलोक रंजन एक कवि का विस्तार असीमित होता है और यदि कवि अपने उस विस्तार का सक्षम उपयोग करते हुए अपनी आंतरिक व्याकुलता को समय...
जनमतशख्सियतस्मृति उजले दिनों की उम्मीद का कवि वीरेन डंगवालसमकालीन जनमतAugust 5, 2019August 5, 2019 by समकालीन जनमतAugust 5, 2019August 5, 201913498 मंगलेश डबराल ‘इन्हीं सड़कों से चल कर आते हैं आततायी/ इन्हीं सड़कों से चल कर आयेंगे अपने भी जन.’ वीरेन डंगवाल ‘अपने जन’ के, इस...