समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

जनमतमीडिया

राजनीति बदलेगी तो मीडिया बदलेगा वरना वह और दुर्दांत हो जायेगा

अनिल यादव
* प्रमुख क्या है कर्म या भाग्य ! * उत्तम क्या है खेती या नौकरी ! * असल क्या है प्रेम या वासना ! *...
ख़बरसाहित्य-संस्कृति

अनामिका को दिया गया रेवांत मुक्तिबोध सम्मान

(स्त्री संघर्ष पुरुषों के विरुद्ध नहीं विपरीत विचारधारा के खिलाफ है।) रोली शंकर ‘उन्होंने चिट्ठी मरोड़ी/और मुझे कोंच दिया काल-कोठरी में/अपनी कलम से मैं लगातार/खोद रही...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

गोरख स्मृति दिवस पर व्याख्यान और काव्य पाठ का आयोजन

विष्णु प्रभाकर
इलाहाबाद. 29 जनवरी को परिवेश और जन संस्कृति मंच की तरफ से गोरख स्मृति व्याख्यान और काव्यपाठ का आयोजन किया गया. प्रो. अवधेश प्रधान ने...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

गोरख की याद में कोरस का ‘सुनना मेरी भी दास्ताँ’

समकालीन जनमत
गोरख स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर 28 जनवरी को कालिदास रंगालय परिसर में कोरस ने कृष्णा सोबती को समर्पित करते हुए गोरख संगीत और...
कविता

कविता के सोलह दस्तावेज़ : गोरख की भोजपुरी कविताएँ

मृत्युंजय
गोरख का काव्य-संसार गहन द्वंद्वात्मक है। उसमें 70 के दशक का उद्दाम वेग और 80 के दशक का ठहराव एक साथ है। सधी हुई दिल...
कविता

‘ गोरख की यादें, उनकी रचनाएँ हम सबको जीने की वजह देती हैं ’

समकालीन जनमत
जलेश्वर उपाध्याय कविता और प्रेम दो ऐसी चीजें हैं जहाँ मनुष्य होने का मुझे बोध होता है। प्रेम मुझे समाज से मिलता है और मैं...
सिनेमा

‘ठाकरे’ नवाजुद्दीन की विस्फोटक प्रतिभा की विफलता का स्मारक क्यों है ?

आशुतोष कुमार
अगर आप बाल ठाकरे और उनकी राजनैतिक शैली के प्रति पहले से ही भक्तिभाव से भरे हुए नहीं हैं, तो फिल्म ‘ ठाकरे ‘ आपको...
नाटक

‘ गगन दमामा बाज्यो ‘ देख दर्शक इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाने लगे

बलिया.  उत्तर प्रदेशीय मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ जनपद शाखा बलिया और संकल्प साहित्यक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया के संयुक्त तत्वाधान में 26 जनवरी को...
कवितास्मृति

गोरख के काव्य में सादगी, अभिधा का सौंदर्य है-चन्द्रेश्वर

गोरख पाण्डेय की स्मृति में लखनऊ में कार्यक्रम शीर्षस्थ कथा लेखिका कृष्णा सोबती को श्रद्धांजलि दी गई लखनऊ. हिन्दी कविता की जो सुदीर्घ परम्परा है,...
सिनेमा

सिनेमाई उत्सव से निकली बहसें

     ओंकार सिंह सिनेमा हमेशा से ही कुछ कहने, सुनने व दिखाने का सशक्त माध्यम रहा है। एक गतिमान समाज के लिये यह जरूरी है...
कविता

स्त्री को उसके वास्तविक रूप में पहचाने जाने की ज़िद हैं शैलजा की कविताएँ

समकालीन जनमत
दीपक कुमार शैलजा पाठक से परिचय मित्र पीयूष द्वारा शेयर की गई उनकी कविता ‘कुसुम कुमारी’ के माध्यम से हुआ। पहली ही नजर में इस...
चित्रकला

शैलेन्द्र कुमार के छाया चित्र और समय की गति

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार तथा ललित कला अकादमी पटना के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले महत्वाकांक्षी आयोजन, कला मंगल श्रृंखला के तहत,...
चित्रकला

अनुभूतियों के चित्रकार कौशलेस

आरा (बिहार). पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर और कला एवं संस्कृति विभाग गोवा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में, 25 जनवरी से 01 फरवरी 2019 तक...
व्यंग्यसाहित्य-संस्कृति

“नो-फ़ेल पॉलिसी तालीम का नहीं देश की सुरक्षा का मसला है”

समकालीन जनमत
लोकेश मालती प्रकाश {हाल ही में संसद ने शिक्षा अधिकार कानून में संशोधन कर कानून में बच्चों को आठवीं तक फ़ेल नहीं करने की नीति...
कविता

मानवीय रिश्तों की पहचान के कवि हैं गौरव पाण्डेय

समकालीन जनमत
युवतम कवि गौरव पाण्डेय की ये कविताएँ पढ़कर अचरज होता है कि इतनी महीन संवेदनाओं वाला यह कवि अब तक कहाँ गुम था! घर-परिवार और...
कहानीशख्सियत

मैं सोसाइटी की चोली क्या उतारूँगा जो है ही नंगी

विष्णु प्रभाकर
(उर्दू के चर्चित कहानीकार सआदत हसन मंटो की आज पुण्यतिथि है । प्रस्तुत है उन पाँच कहानियों के बारे में जिन पर अश्लीलता के आरोप...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

हिन्दी के शेक्सपियर: रांगेय राघव

समकालीन जनमत
अभिषेक मिश्र  हममें से अधिकांश लोग जिस उम्र तक अपने लक्ष्य को लेकर उधेड़बुन में ही रहते हैं, आज कल कई लोग जिस उम्र के...
सिनेमा

13 वां गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल 19-20 जनवरी को

गोरखपुर.  गोरखपुर फिल्म सोसाइटी और जन संस्कृति मंच द्वारा 13वें गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 19-20 जनवरी को सिविल लाइंस स्थित गोकुल अतिथि भवन में...
नाटक

संगवारी ढ़ेला वर्कशॉप : बच्चों के साथ सार्थक थिएटर की शुरुआत

समकालीन जनमत
कपिल शर्मा रामनगर (उत्तराखंड). संस्कृति का सबसे ज़रूरी आयाम होता है, संस्कृति कर्म को विविध विधाओं के ज़रिए हाशिए पर के समाज तक पहुंचाना। रचनात्मक...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

महाअरण्य की माँ- महाश्वेता देवी

समकालीन जनमत
अभिषेक मिश्र वर्षों पहले ‘दैनिक हिंदुस्तान’ में प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर का एक साप्ताहिक कॉलम आया करता था, जिसमें वो सांप्रदायिकता, राष्ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता आदि विषयों...
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