समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

साहित्य-संस्कृति

गज़ल ‘बहुलता की संस्कृति’ की रक्षा करने वाली विधा – डा. जीवन सिंह

समकालीन जनमत
डी. एम. मिश्र के गज़ल संग्रह ‘वो पता ढूँढे हमारा ’ का विमोचन सम्पन्न दुष्यन्त ने गज़ल को यथार्थपरक बनाया – कौशल किशोर डी. एम....
कविता

विश्वासी एक्का की कविताओं में प्रेम और संघर्ष दोनों ही परम स्वतंत्र और प्राकृतिक रूप में मिलते हैं

समकालीन जनमत
दीपक सिंह व्यक्ति जिस समाज से आता है उसकी चेतना के निर्माण में उसका अहम योगदान होता है | विश्वासी एक्का की कविताओं से गुजरते...
जनमतसिनेमा

‘ताशकंद फाईल्स’: जैसे खुली वैसे ही बंद…

समकालीन जनमत
अभिषेक मिश्र भारत में राजनीतिक विषयों पर फिल्म बनाना कठिन रहा है, शायद इसीलिए निर्माता-निर्देशकों ने प्रेम कहानी, पारिवारिक फिल्मों जैसे सामान्य और सुरक्षित विषयों...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

प्रख्यात लेखिका मधु कांकरिया को प्रेम चन्द सम्मान

समकालीन जनमत
बांदा. प्रख्यात उपन्यासकार एवं कथाकार मधु कांकरिया को आज एक समारोह में मुंशी प्रेमचन्द्र स्मृति कथा सम्मान से सम्मानित किया गया । यहां हारपर क्लब...
ग्राउन्ड रिपोर्टयात्रा वृतान्त

चैत में नीले रंग की धूम और अंबेडकर की याद

संजय जोशी
भटौली – इब्राहिमपुर, आज़मगढ़ / 14 अप्रैल 2019 आज़मगढ़ से  करीब 22 किमी आगे जाने पर जीयनपुर बाज़ार से एक रास्ता अन्दर की तरफ़ कंजरा...
कविताजनमत

अनिता भारती की कविताओं में अम्बेडकर

समकालीन जनमत
 अनिता भारती डॉ. अम्बेडकर एकमात्र ऐसे विश्वस्तरीय चिंतक है जिन्होने परिवार और समाज में स्त्री की स्थिति कैसी हो, इस पर गहन चिंतन-मनन किया। पुरूषों के...
जनमतपुस्तक

अंबेडकर पर रामायन की निगाह

समकालीन जनमत
हमारे देश के जिन महान मनुष्यों की दुनिया भर में ख्याति है उनमें अंबेडकर अन्यतम हैं । पेरी एंडरसन ने अपनी किताब ‘इंडियन आइडियोलाजी’ में...
सिनेमा

प्यार भरे अहसासों की ‘ नोटबुक ’

अभिषेक मिश्र
कश्मीर शुरू से ही फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं आदि की पसंद रहा है। शम्मी कपूर, राजेश खन्ना की कई यादगार फिल्में इसी की खूबसूरत वादियों में...
कविता

स्मृति और वर्तमान के द्वंद्व से उपजीं उषा की कविताएँ

समकालीन जनमत
आलोक रंजन इधर उषा राजश्री राठौड़ की कुछ कविताओं से रु ब रु होने का मौका मिला और पहले ही पाठ में वे कविताएँ आकर्षित...
साहित्य-संस्कृति

गिरमिटिया महोत्सव के रूप में आयोजित होगा 12वां लोकरंग, गयाना , मारीशस और सूरीनाम से आ रही टीम

समकालीन जनमत
गोरखपुर. कुशीनगर जिले के जोगिया जनूबी पट्टी गांव में हर वर्ष आयोजित होने वाला लोकरंग समारोह इस वर्ष 11-12 अप्रैल को आयोजित हो रहा है....
साहित्य-संस्कृति

रचना सिर्फ सकलम नहीं बल्कि सकर्मक होनी चाहिए

समकालीन जनमत
75 पार राजेन्द्र कुमार : प्रो राजेन्द्र कुमार के सम्मान में उमड़ा नागरिक समाज इलाहाबाद। सेंट जोसेफ कालेज स्थित होगेन हाल में वरिष्ठ कवि, आलोचक...
कविता

चंदन सिंह की कविताएँ अपने प्राथमिक कार्यभार की ओर लौटती कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र चन्दन सिंह कविता से प्राथमिक काम लेने वाले कवि हैं। इस दौर में जब कविता के मत्थे ही सारी जिम्मेदारियाँ थोपी जा रही...
जनमतस्मृति

‘ रुको कि अभी शेष है जिंदगी की जिजीविषा, प्राण और सांस, शेष है धरती, आकाश और क्षितिज ’

  (वरिष्ठ रचनाकार और आदिवासी, दलित और स्त्री मुद्दों पर सक्रिय रहीं सामाजिक कार्यकर्ता रमणिका गुप्ता (22.4.1929 – 26.3.2019) के निधन पर जन संस्कृति मंच...
साहित्य-संस्कृतिस्मृति

‘ वह धर्म कहलाने योग्य नहीं जिसके सिद्धांत और आदेश किसी जाति या देश के अध:पतन के कारण हो ’

समकालीन जनमत
( आज गणेश शंकर विद्यार्थी का शहादत दिवस है. 23 मार्च 1931 की सुबह कानपुर में दंगे की आग को शांत करते और पीड़ित लोगों...
ख़बरनाटक

भगत सिंह के विचारों का प्रतिरूप: गगन दमामा बाज्यो

समकालीन जनमत
अभिषेक मिश्र संचालक और निर्देशक शिल्पी मारवाह और उनकी टीम के माध्यम से सुखमंच थियेटर अपने सामयिक और संदेशपरक नाट्य प्रस्तुतियों की दिशा में उल्लेखनीय...
कविता

यथार्थ और स्वप्न के लिए बराबर खुली हुई आँख हैं निकिता की कविताएँ

समकालीन जनमत
ज्योत्स्ना मिश्र दिये कहाँ जलाएं आखिर ?रोशनी से जगमगाते घरों में या अंधेरे से भरे हुए दिलों में निकिता नैथानी गढ़वाल से एक युवा जागरूक...
कविता

पहली पुण्यतिथि पर बलिया ने याद किया केदार नाथ सिंह को

कवि केदारनाथ सिंह की स्मृति में बलिया में हुआ कार्यक्रम केदार जी से हमारी पीढ़ी ने बहुत कुछ सीखा – निलय उपाध्याय केदारनाथ सिंह भोजपुरी...
कविता

नयी धुन और नया गीत रचती हैं उषा राय की कविताएँ

समकालीन जनमत
कविताओं में सब कविताएँ नहीं होतीं। जिसे हम कविता कहते हैं, वह भी समूची कविता नहीं होती। कविता किसी शब्द संरचना के भीतर खुद को...
जनमतमीडिया

72 दिनों के लिए गोदी मीडिया के डिबेट का बहिष्कार करे और उससे लड़ कर दिखाए विपक्ष

रवीश कुमार
  मीडिया हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं का एक अग्रणी चेहरा है। इन पांच सालों में गोदी मीडिया बनने की प्रक्रिया तेज़ ही हुई है, कम नहीं...
नाटक

थियेटर और कला की जन-सैद्धांतिकी पर संवाद करती जरूरी किताब

दुर्गा सिंह
एक कलाकार/रचनाकार जीवन-जगत के क्रिया-व्यापार की पुर्नरचना करता है। हालांकि इस पुर्नरचना के लिए तत्संबंधी शास्त्रों में प्रशिक्षण की बात कही गयी है, यथा प्रतिभा,...
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