समकालीन जनमत

Category : पुस्तक

जनमतपुस्तकसाहित्य-संस्कृति

कुल्ली भाट: निराला की रचना-धर्मिता और व्यक्तित्व में एक मोड़

दुर्गा सिंह
कुल्ली भाट, निराला की ऐसी रचना है, जो खुद उनके लेखन में भू-चिन्ह  की तरह है। इसका रचनाकाल 1937-38 ईसवी का है। पुुुस्तिका के रूप...
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जनविरोधी सत्ता के ख़िलाफ़ नाटक का हथियार

समकालीन जनमत
सुधाकर रवि बचपन से दो गीत सुनता आ रहा हूँ। दोनों गीत काफी महशूर हैं. पहला है- पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों। दूसरा...
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मार्क्सवाद की समझ

गोपाल प्रधान
2019 में डेमोक्रेसी ऐट वर्क से रिचर्ड डी वोल्फ़ की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग मार्क्सिज्म’ का प्रकाशन हुआ । पतली सी इस किताब में लेखक का कहना...
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मानव श्रम का इतिहास

गोपाल प्रधान
2019 में मंथली रिव्यू प्रेस से पाल काकशाट की किताब ‘हाउ द वर्ल्ड वर्क्स: द स्टोरी आफ़ ह्यूमन लेबर फ़्राम प्रीहिस्ट्री टु द माडर्न डे’...
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विश्व पूंजीवाद और लोकतंत्र का अधिग्रहण

गोपाल प्रधान
(सदी की शुरुआत में प्रकाशित इस किताब को पढ़ते हुए लग रहा था कि वर्तमान भारत की कथा पढ़ रहा हूं।) 2001 में द फ़्री...
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समाजवाद के बारे में कुछ बुनियादी बातें

गोपाल प्रधान
2005 में स्टर्लिंग से माइकेल न्यूमैन की किताब ‘सोशलिज्म: ए ब्रीफ़ इनसाइट’ का प्रकाशन हुआ । चित्रों के साथ उसका नया संस्करण 2010 में वहीं...
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आलोक रंजन की किताब सियाहत

समकालीन जनमत
ममता सिंह सियाहत कितना अलग सा नाम है न! अधिकतर लोगों के लिए अंजाना, नया सा जबकि इससे मिलता जुलता लफ़्ज़ सियासत है जिससे देश...
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‘ रोजा लक्जेमबर्ग : द बायोग्राफी ’

गोपाल प्रधान
2019 में वर्सो से जे पी नेट्ल की किताब ‘ रोजा लक्जेमबर्ग: ए बायोग्राफी’ का प्रकाशन हुआ । दो खंडों में लिखी इस जीवनी की...
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विनोद पदरज के ‘देस’ की कविताओं में भारतीय लोक अपनी विडंबनाओं व ताकत के साथ व्यक्त हुआ है

कुमार मुकुल
  ‘देस’ में संकलित विनोद पदरज की कविताएँ इंडिया से अलग भारतीय लोक की सकारात्‍मक कथाओं को उनकी बहुस्‍तरीय बुनावट के साथ प्रस्‍तुत करती हैं। इन...
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पूंजीवाद का संक्षिप्त इतिहास

गोपाल प्रधान
2017 में बाडली हेड से यनाइस वरफ़काइस की किताब ‘टाकिंग टु माइ डाटर एबाउट द इकोनामी: ए ब्रीफ़ हिस्ट्री आफ़ कैपिटलिज्म’ का प्रकाशन हुआ। ग्रीक...
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अनिल अनलहातु का पहला काव्य संग्रह ‘बाबरी मस्जिद तथा अन्‍य कविताएँ’ विकास के विडम्बनाबोध की अभिव्यक्ति है

कुमार मुकुल
अपनी विश्‍व प्रसिद्ध पुस्‍तक ‘सेपियन्‍स’ में युवाल नोआ हरारी संस्‍कृति और तथाकथित मनुष्‍यता पर सवाल उठाते लिखते हैं- …हमारी प्रजाति, जिसे हमने निर्लज्‍ज ढंग से...
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‘चंचला चोर’ की तलाश उर्फ़ एक सभ्यता की चीरफाड़

समकालीन जनमत
प्रियदर्शन उपन्यास की शुरुआत एक लड़के के ज़िक्र से होती है जिसे महीना नहीं आता। आलोचक अचानक सतर्क हो जाता है कि या तो यह...
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मार्क्स का जीवन और लेखन

गोपाल प्रधान
 2018 में वर्सो से स्वेन-एरिक लीदमान की स्वीडिश में 2015 में छपी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘ ए वर्ल्ड टु विन : द लाइफ़ ऐंड...
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शिक्षा में ‘बैंकिग व्यवस्था’ के बरक्श ‘उत्पीड़ितों के शिक्षा शास्त्र’ की खोज

डॉ. दीनानाथ मौर्य “मेरी माँ ने मुझे सिखाया था की ईश्वर बहुत अच्छा है, इसलिए मैंने यह निष्कर्ष निकाला कि समाज में जो वर्गभेद है,...
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बहुत सी भ्रांतियों को तोड़ती किताब- इस्लाम की ऐतिहासिक भूमिका

समकालीन जनमत
मुहम्मद उमर हम जब कभी बुकशॉप से किताबों को खरीदने जाया करते, तो एम एन राय की पुस्तक ‘इस्लाम की ऐतिहासिक भूमिका’ सामने ही रखी...
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बल्ली के यहां उम्मीद का एक बच्चा है, जो सारी तानाशाहियों और पूंजी के फैलाये अंधेरे के ऊपर बैठा है

दुर्गा सिंह
हिंदी ग़ज़ल में बल्ली सिंह चीमा एक लोकप्रिय नाम हैं। यह उनका पांचवां ग़ज़ल संग्रह है। इसकी भूमिका हमारे दौर के महत्वपूर्ण आलोचक प्रणय कृष्ण...
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समय, समाज, संवेदना को व्यक्त करती है ‘मेक्सिको: एक घर परदेश में’

समकालीन जनमत
ममता सिंह सवाल है कि आख़िर हम यात्रा वृत्तांत क्यों पढ़ते हैं, किसी जगह, देश की भौगोलिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक जगहों के बारे में तो इंटरनेट...
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‘ वैधानिक गल्प ’ में गल्प कुछ भी नहीं है

समकालीन जनमत
डॉ बृजराज सिंह बचपन में स्कूल की किताबों में नैतिक शिक्षा का एक पाठ हुआ करता था, सिद्धार्थ और देवदत्त की कहानी वाला। जिसमें देवदत्त...
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हिन्दी समाज के स्वास्थ्य का पैरामीटर है हेमंत कुमार का कहानी संग्रह

दुर्गा सिंह
रज्जब अली, हेमंत कुमार का पहला कहानी संग्रह है। इसमें कुल छः कहानियां हैं। इन सभी कहानियों की खासियत यह है, कि इसमें व्यवस्थागत प्रश्न...
जनमतपुस्तक

सत्य का अनवरत अन्वेषण हैं राकेश रेणु के ‘इसी से बचा जीवन’ की कविताएँ

सुशील मानव
  कविता क्या है और इसका काम क्या है- इस पर अनेक बातें हैं, अनेक परिभाषाएं हैं। लेकिन मौजूदा समय सत्य पर संकट का समय...
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