समकालीन जनमत

Category : पुस्तक

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कितने बहानों के बीच देश काल: अरुणाभ सौरभ का काव्य संग्रह ‘किसी और बहाने से’

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रोमिशा  जाने कितने बहानों से कवि अपने ईर्द -गिर्द के समाज, देश, काल में क्या सब देख लेता है और उसी देखने के क्रम में...
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कुर्सी के लिए कत्ल: गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
2019 में शब्दलोक प्रकाशन से छपी किताब ‘सत्ता की सूली’ को तीन पत्रकारों ने मिलकर लिखा है । इस किताब ने वर्तमान पत्रकारिता को चारण...
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जंग के बीच प्रेम और शांति की तलाश का आख्यान है ‘अजनबी जज़ीरा’

जनार्दन
आग में खिलता गुलाब? अपने अंतिम दिनों में सद्दाम हुसैन जिन सैनिकों की निगरानी में रहते रहे उन सैनिकों को ‘सुपर ट्वेल्व’ कहा जाता था।...
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मानव विकास का भौतिकवादी नजरिया

गोपाल प्रधान
हिंदी भाषा में कुछ भी वैचारिक लिखने की कोशिश खतरनाक हो सकती है । देहात के विद्यार्थियों के लिए कुंजी लिखना ही इस भाषा का...
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पुस्तक अंश : मार्क्स के आखिरी दिन

समकालीन जनमत
( अपने जीवन के आखिरी सालों में मार्क्स ने अपना शोध नये क्षेत्रों में विस्तारित किया- ताजातरीन मानव शास्त्रीय खोजों का अध्ययन किया, पूंजीवाद से...
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टूटे पंखों से परवाज़ तक: आत्मीयता की अंतहीन तलाश

भारत में हिंदी साहित्य के विकास क्रम को देखें तो पता चलता है कि 19वीं शताब्दी से पहले साहित्य का विषय सिर्फ ईश्वर, राजा, सामंत...
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खेती का इतिहास

गोपाल प्रधान
 2020 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास यानी नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित सुषमा नैथानी की किताब ‘अन्न कहाँ से आता है’ सही अर्थ में हिंदी की...
जनमतपुस्तकसाहित्य-संस्कृति

सेवासदनः नवजागरण, हिन्दी समाज और स्त्री

दुर्गा सिंह
हिन्दी भाषा में  प्रेमचंद ने पहला उपन्यास ‘सेवासदन’ लिखा। उर्दू भाषा में यह ‘बाज़ारे हुश्न’ नाम से लिखा गया था। हिन्दी में ‘सेवासदन’ नाम से...
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क्रांतिकारी दुनिया-‘रेवोल्यूशनरी वर्ल्ड: ग्लोबल अपहीवेल इन द माडर्न एज’

2021 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस से डेविड मोटाडेल के संपादन में ‘रेवोल्यूशनरी वर्ल्ड: ग्लोबल अपहीवेल इन द माडर्न एज’ का प्रकाशन हुआ । संपादक की...
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चोटी की पकड़ः देशी सत्ता-संस्कृति, औपनिवेशिक नीति और स्वदेशी आन्दोलन की अनूठी कथा

दुर्गा सिंह
चोटी की पकड़ निराला का महत्वपूर्ण उपन्यास है। यह उपन्यास 1946 ईस्वी में किताब महल, इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ था। हालांकि इसे लिखकर पूरा करने...
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इतिहास की सीख: मार्क्सिज्म 1844-1990: ओरिजीन्स, बिट्रेयल, रीबर्थ

गोपाल प्रधान
1992 में रटलेज से रोजर एस गाटलिएब की किताब ‘मार्क्सिज्म 1844-1990: ओरिजीन्स, बिट्रेयल, रीबर्थ’ का प्रकाशन हुआ । किताब के नौ अध्याय चार हिस्सों में...
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धर्म के आवरण में विद्रोह की अनूठी अभिव्यक्ति

गोपाल प्रधान
कनक तिवारी की 2021 में सूर्य प्रकाशन मन्दिर, बीकानेर से प्रकाशित किताब ‘ विद्रोही वेदान्ती का भारत बोध (विवेकानन्द को समझने की कोशिश) ’ को...
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सरहद और सुरक्षा

गोपाल प्रधान
2021 में हेमार्केट बुक्स से हर्षा वालिया की किताब ‘ बार्डर & रूल : ग्लोबल माइग्रेशन, कैपिटलिज्म, ऐंड द राइज आफ़ रेशियल नेशनलिज्म ’ का...
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‘बलमा जी का स्टूडियो’ लोक की लय से लबरेज़ कहानी संग्रह है

समकालीन जनमत
गति उपाध्याय ‘यशपाल कथा सम्मान’ से सम्मानित कहानी संग्रह ‘बलमा जी का स्टूडियो’ लोक साहित्य और लोक भाषा की महत्वपूर्ण दस्तावेजी कृति है | भविष्य...
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क्रांतिकारी विचारों की दास्तान

गोपाल प्रधान
लेखक ने जोर देकर कहा है कि मार्क्स को समझना बौद्धिक व्यायाम मात्र नहीं है। उनके विचार अधिकाधिक अराजक होती जा रही दुनिया को समझने...
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मार्क्सवाद और उत्तर-मार्क्सवाद

गोपाल प्रधान
2021 में रटलेज से अलेक्स कलीनिकोस, स्तातिस कूवेलाकिस और लुचिया प्रादेला के संपादन में ‘ रटलेज हैंडबुक आफ़ मार्क्सिज्म ऐंड पोस्ट-मार्क्सिज्म’ का प्रकाशन हुआ ।...
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पूंजीवाद क्या है

गोपाल प्रधान
2020 में हेमार्केट बुक्स से हदास थिएर की किताब ‘ ए पीपुल’स गाइड टु कैपिटलिज्म: ऐन इंट्रोडक्शन टु मार्क्सिस्ट इकोनामिक्स ’ का प्रकाशन हुआ ।...
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गुलामी के प्रतिरोध में स्त्री

गोपाल प्रधान
2020 में वर्सो से स्टेला दाज़्दी की किताब ‘ए किक इन द बेली: वीमेन, स्लेवरी ऐंड रेजिस्टेन्स’ का प्रकाशन हुआ । लेखिका ने नौ साल...
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‘दर्द के काफ़िले’ संग कविता का सफर

प्रशांत जैन दर्द का समंदर शायरी में जितना गहरा होता है, जीवन में उसकी अनुभूति उससे भी ज्यादा गहरी होती है। इस कोरोना काल से...
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कुल्ली भाट: निराला की रचना-धर्मिता और व्यक्तित्व में एक मोड़

दुर्गा सिंह
कुल्ली भाट, निराला की ऐसी रचना है, जो खुद उनके लेखन में भू-चिन्ह  की तरह है। इसका रचनाकाल 1937-38 ईसवी का है। पुुुस्तिका के रूप...
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