समकालीन जनमत

Author : समकालीन जनमत

963 Posts - 0 Comments
साहित्य-संस्कृति

भोजली : मित्रता और प्रकृति के प्रति समर्पण की मिसाल

समकालीन जनमत
पीयूष कुमार लोकसंस्कृति के मूल में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और उसके मानवीय एकीकरण की भावना की जलधारसंचरित रहती है। छत्तीसगढ़ में इसी तरह का...
शख्सियत

104 की अमृता: आशिक और अदीब मरते कहाँ हैं

समकालीन जनमत
पीयूष कुमार 2023 में अमृता एक सौ चार की हुईं। इस फानी दुनिया को तो उनके जिस्म ने 2005 में विदा कहा था पर आशिक...
कविता

सच के रास्तों ने दुर्गम ही बनाया है जीवन को : ज्योति चावला की कविताएँ

समकालीन जनमत
अनुपम त्रिपाठी ‘यह उनींदी रातों का सफर है’ ज्योति चावला का नया कविता संग्रह है। इस संग्रह में उनकी पचास कविताएँ संकलित हैं जोकि उनके...
ख़बर

संयुक्त किसान मोर्चा ने क्रांति दिवस पर किया प्रदर्शन

समकालीन जनमत
मऊ संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आवाहन पर मऊ के किसान और खेतिहर मजदूर संगठनों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की चली...
ख़बर

क्रांति दिवस पर वामदलों ने निकाला जुलूस

समकालीन जनमत
आज़मगढ़ 9 अगस्त, क्रांति दिवस के अवसर पर वामदलों के तरफ से आज़मगढ़ नरौली प्राइवेट बस स्टैंड से आज़मगढ़ रिक्शा स्टैंड तक मार्च निकाला गया।...
कविता

नरेश अग्रवाल की कविताएँ जनता के संघर्षों की सहचरी हैं

समकालीन जनमत
विपिन चौधरी यह संसार आश्चर्य से भरा हुआ है लेकिन अभी तक सभी आश्चर्य खोजे नहीं जा सके हैं. मगर दुख खोज लिए गए हैं।...
जनमतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद आज होते तो ‘ठाकुर का कुआं’ न लिखकर ‘ठाकुर की कुर्सी’ कहानी लिखते

समकालीन जनमत
आज़मगढ़ प्रेमचंद जयंती के अवसर पर 31 जुलाई 2023 को आज़मगढ़ के रैदोपुर स्थित राहुल चिल्ड्रेन एकेडमी में एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी का...
जनमत

अमेरिका में एफर्मेटिव एक्शन की वापसी: कोटा, विविधता और विपन्नता

समकालीन जनमत
अरुंधति काटजू  समानता बनाम विविधता इस निर्णय का प्रभाव केवल विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं रह गया है। अश्वेत लोगों और महिलाओं को नियुक्तियों में लाभ...
कविता

विमलेश त्रिपाठी की कविताएँ  हमारे समय में अभिव्यक्ति पर मंडराते ख़तरों की शिनाख़्त करती हैं

समकालीन जनमत
राजेश जोशी विमलेश की कविताएँ इस समय की कविता की सबसे बड़ी उलझन की ओर संकेत करती हैं। प्रोद्यौगिकी ने समय की गति को इतना...
ख़बरजनमत

मणिपुर की घटना पर नागरिकों ने किया मार्च

समकालीन जनमत
आज़मगढ़। मणिपुर की घटना को लेकर विपक्षी राजनीतिक दल और नागरिक मंच के तरफ से कुंवर सिंह उद्यान से मार्च निकाला गया। मार्च मे लोग,...
कविता

ललन चतुर्वेदी की कविताएँ अमानवीकरण के ख़िलाफ़ प्रतिरोध हैं

समकालीन जनमत
वसु गंधर्व कविता जीवन के भुलाए जा रहे ज़रूरी सत्यों का स्मरण भी है। यह एक प्रतिसंसार का आह्वान भी है जहाँ उस करुणा की...
कविता

मुन्नी गुप्ता की कविताएँ अपने समय की पीड़ा और परिदृश्य के सच को उजागर करती हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय समकालीन युवा काव्य परिदृश्य में मुन्नी गुप्ता एक दस्तक देता हुआ नाम है। उनकी कविताओं में व्यंग्य और कटाक्ष छितरा हुआ है लेकिन...
जनमतज़ेर-ए-बहस

यूनिफ़ार्म सिविल कोड: मामला नीयत का है

समकालीन जनमत
जी.एन. देवी एक अनीश्वरवादी के लिए जो विचार ईश्वर का है, वही भारत के लिए यूनिफ़ार्म सिविल कोड के प्रस्ताव का है। स्वयं में यह...
कविता

भास्कर लाक्षाकार की कविताएँ जीवन अनुभवों से निर्मित मनुष्य की स्पोन्टेनिटी से सृजित हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय क्या यह संभव है कि किसी कवि को अपने समय-समाज के तापमान का सम्यक ज्ञान हो, उसकी कविता विचार और भावनाओं से समृद्ध...
पुस्तक

स्त्रियाँ अब प्रेम नहीं करतीं’: पुरुषसत्तात्मक समाज में स्त्रियों के सवाल उठाता कविता संग्रह

समकालीन जनमत
राजेश पाल मूर्तिकार, कवि, कथाकार व दलित चिंतक हीरालाल राजस्थानी का काव्य संग्रह “मै साधु नहीं” के बाद “स्त्रियाँ अब प्रेम नहीं करती” दूसरा कविता संग्रह हैं...
कविता

अमन त्रिपाठी की कविताएँ ‘सेन्स ऑफ़ बिलॉन्गिंग’ से उपजी हैं। 

समकालीन जनमत
वर्तिका पढ़ाई से इंजीनियर अमन , समर्थ अनुवादक और कवि के तौर पर सक्रिय हैं।  शहर देखने, प्रेम में रहकर प्रेम न कर पाने के...
जनमत

नीरो की बांसुरी

समकालीन जनमत
दिनेश अस्थाना उ0प्र0 के गोंडा से भाजपा के बाहुबली सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के सर्वेसर्वा ब्रजभूषण शरण सिंह की महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न...
कविता

वंदना पराशर की कविताएँ शब्द एवं संवाद बचाने की कोशिश हैं

समकालीन जनमत
वंदना मिश्रा समकालीन कविता में अपना स्थान सुरक्षित कर चुकी ‘वंदना पाराशर’ की कविताएँ किसी परिचय की मोहताज नहीं. वंदना उन लोगों में से हैं...
कविता

श्रीधर करुणानिधि की कविताएँ जटिल और क्रूर समय को व्यंजित करती हैं

समकालीन जनमत
योगेश प्रताप शेखर श्रीधर करुणानिधि के दो कविता–संग्रह प्रकाशित हुए हैं | ‘खिलखिलाता हुआ कुछ’ और ‘पत्थर से निकलती कराह’ | उन का पहला कविता...
कविता

डोरियन लाउ की कविताएँ मानवता के अंतर्विरोधों को रेखांकित करती हैं

समकालीन जनमत
रंजना मिश्र 10 जनवरी, 1952 को जन्मी डोरियन लाउ/ लॉक्स के अब तक छह कविता संग्रह प्रकाशित हैं।  वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑर्गोन में रचनात्मक लेखन...
Fearlessly expressing peoples opinion