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संयुक्त किसान मोर्चा ने क्रांति दिवस पर किया प्रदर्शन

मऊ

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आवाहन पर मऊ के किसान और खेतिहर मजदूर संगठनों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की चली आ रही कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के विरोध में “कॉर्पोरेट लुटेरे भारत छोड़ो-खेती छोड़ो” की मांग के को लेकर जिला मुख्यालय पर  जोरदार प्रदर्शन किया तथा राष्ट्रपति को संबोधित दस सूत्री मांग पत्र जिला प्रशासन को सौपा।

लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमारे राष्ट्रीय संसाधनों जैसे जंगल, नदी और अन्य जल संसाधन और कृषि भूमि पर कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए मित्र पूंजीपतियों के साथ साजिश रच रही है।

जिससे किसानों का एक बड़ा वर्ग जो भारत की आबादी का लगभग 52 प्रतिशत है, वह बर्बाद हो रहा है I उन्हें अपने जीवन और आजीविका से उखाड़ फेंका और विस्थापित किया जा रहा है और उन्हें प्रवासी श्रमिक बनने और गुलाम जैसी परिस्थितियों में रहने और काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

हम किसान और खेतिहर मजदूर केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के नव उदारवादी नीतियों और असंवेदनशील प्रशासन के कारण भारत में लाखों किसान परिवार गंभीर रूप से कंगाली और बदहाली का शिकार हो रहे हैं।

एक ओर आसियान जैसी बहु प्रशिक्षित व्यवस्था के तहत मुक्त व्यापार समझौते ने घरेलू बाजार में किसानों को मिलने वाली आवश्यक सुरक्षा को नष्ट कर दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप नकदी फसल की कीमतों में प्रणालीगत और लंबी गिरावट आई है। दूसरी ओर बीज, उर्वरक, कीटनाशक, बिजली, सिंचाई और पानी की आपूर्ति सहित सभी इनपुट सब्सिडी को खत्म किया जा रहा है।

जिसके परिणाम स्वरुप उत्पादन की लागत में भारी वृद्धि हुई है। किसान आंदोलन ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था और प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी।

इन कानूनों का उद्देश कृषि भूमि, कृषि बाजारों और अनाज सहित कृषि उपज जो देश की खाद सुरक्षा के लिए आवश्यक है पर सीधे नियंत्रण के माध्यम से कारपोरेट मुनाफाखोरी को सुविधाजनक बनाना था।

वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में आदिवासी महिलाओं और आदिवासी लोगों के साथ जो हो रहा है उसने पूरे देश की अंतरात्मा से झकझोर दिया है। एसकेएम ने मणिपुर हिंसा पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को बर्खास्त करने और जल्द से जल्द शांति बहाली करने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। हमने सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश के साथ सभी मुद्दों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन का भी आग्रह किया था। हम इस संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की निर्णय की सराहना करते हैं।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सरोज सिंह, अनुभव दास, जयप्रकाश धूमकेतु, सत्य प्रकाश सिंह एडवोकेट, वीरेंद्र कुमार, बसंत कुमार, रामजी सिंह, बाबू राम पाल, रामु प्रसाद, डॉक्टर त्रिभुवन शर्मा, विश्वराज, क्रांति नारायण सिंह, रामप्रवेश यादव, शैलेंद्र कुमार, सिकंदर, संजीव, सुनील, शिव मूरत गुप्ता, विद्याधर, हीरा, गोकुल, रामबली राजभर, साधु यादव, फेंकू राजभर, विष्णु कुमार, पवन कुमार, सिंटू सिंह, बहादुर लाल , जितेंदर ऑटो आदि उपस्थित रहे ।

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