समकालीन जनमत

Tag : समकालीन हिंदी कविता

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वासुकि प्रसाद ‘उन्मत्त’ की कविता जीवन की प्रतिक्रिया से कविता की प्रक्रिया तक ज़रूरी और नैसर्गिक यात्रा है

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आलोक कुमार श्रीवास्तव इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में साहित्यिक हस्तक्षेप कैसा हो, यह बात हर लोकतंत्र-प्रेमी साहित्यिक सोचता है। धूर्त सत्ता द्वारा जनता के...
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प्रभात प्रणीत की कविताएँ अपने समय की विडंबनाओं की परख हैं

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कुमार मुकुल जिस तरह चंद्र किसान जीवन के नये कवि हैं उसी तरह प्रभात प्रणीत नागर जीवन की नूतन आवाज हैं। चंद्र की कविताएँ अगर...
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अभिनव निरंजन की कविताएँ एक घर्षण हैं जिसके ताप से कवि अपने समय का बुख़ार नापता है

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवि अभिनव निरंजन अपनी कविताओं में रूपकों, स्थितियों एवं दृश्यों का विभेदन कर उसमें से कविता अर्जित करते हैं। उनके लिए ये...
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उस चाँद पर अब ख़ून के धब्बे हैं ..

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(आलोचना पत्रिका में प्रकाशित फ़रीद ख़ाँ की कविताओं पर एक नज़र) मोहम्मद उमर इस बार की हिंदी त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ के ‘अक्टूबर-दिसम्बर 2020’ के अंक...
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राही डूमरचीर आदिवासी समाज और जीवन के गहरे कंसर्न के कवि हैं

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विनय सौरभ राही डूमरचीर की कविताएँ पढ़ते हुए कुछ साधारण चीज़ें असाधारण तरीक़े से उनकी कविताओं में आती दिखती हैं। जैसे उनकी कविताओं के विषय।...
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उज्ज्वल भट्टाचार्य की कविताएँ जनविरोधी व्यवस्था में ख़ुद के होने की शिनाख़्त हैं

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संजय कुंदन हिंदी कविता की सुपरिचित मुख्यधारा के भीतर कई नियमित-अनियमित अंतर्धाराएं हैं, जो बिना मुखर हुए हिंदी कविता को विस्तृत कर रही हैं। उज्ज्वल...
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अंचित की कविताएँ मौजूदा दौर के संकटों की शिनाख़्त करती हैं

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रमण कुमार सिंह हाल के समय में हिंदी कविता में जिन कुछ नए युवा कवियों ने अपनी कविता से ध्यान आकृष्ट किया है, उनमें अंचित...
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आलोक की कविताएँ यथार्थ के धरातल पर उम्मीद के फूल हैं

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अच्युतानंद मिश्र   कविता लिखना, दुनिया को देखने जानने और समझने का एक संजीदा और जरूरी काम है। ऐसे में किसी युवा  कवि से यह...
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रेखा चमोली की कविताएँ हाशिए की आवाज़ हैं

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आशीष कुमार कविता अपने बचाव में हथियार उठाने का विचार है साहस की सीढ़ियां है कविता उमंग है उत्साह है खुद में एक बच्चे को...
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उपासना झा की कविताएँ स्त्री वेदना से स्त्री चेतना के सफ़र की अभिव्यक्ति हैं

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सोनी पाण्डेय जब भी स्त्री कविता से गुजरती हूँ मन कविता की आत्मा में कान लगा उसकी धड़कने(कहन) सुनने की कोशिश करने लगता है।मुझे याद...
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सविता पाठक की कविताएँ पितृसत्तात्मक चलन और पाखंड को उजागर करती हैं

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रुपम मिश्र सविता पाठक मूल रूप से कहानीकार हैं । कहानी की गद्यात्मकता उनकी कविताओं में भी बनी रहती है । सविता की कविताएँ एक...
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मृदुला की कविताएँ व्यवस्था की चमक के पीछे पसरे हुए अंधकार को उजागर करती हैं

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कामिनी त्रिपाठी स्वभाव से सरल-सहज मृदुला सिंह छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल सरगुजा के एक कॉलेज में पढ़ाती हैं | यूँ तो उनका जन्म और पढ़ाई–लिखाई...
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प्रतिभा की कविताएँ स्त्री जीवन के सवालों को मानव सभ्यता के सवालों से जोड़ती हैं

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बसन्त त्रिपाठी प्रतिभा कटियार उन कवियों में है जिनके पास अपनी आत्मीय भाषा तो है ही, अपनी भावनाओं से ज़रा दूर जाकर चीज़ों को देखने...
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अंतिम आदमी की हालत बयाँ करतीं विधान की कविताएँ

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कुमार मुकुल गुंजन श्रीवास्तव ‘विधान’ की कविताएँ ‘कवियों के कवि’ शमशेर बहादुर सिंह से लेकर सीधा नारा की तर्ज़ पर गांधी के ‘अंतिम आदमी’ की...
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छूटते हुए ज़रूरी प्रश्नों का कवि अंजन कुमार

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बसन्त त्रिपाठी   सत्ता संरचना में अंतर्निहित क्रूर आकांक्षाओं को जिन युवा कवियों ने रोजमर्रा के अनुभवों से पकड़ने में अतिरिक्त रूप से सजगता दिखाई...
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स्त्री जीवन के अनचीन्हे सच को दर्ज करतीं रजनी अनुरागी की कविताएँ

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संजीव कौशल रजनी अनुरागी की कविताओं से गुज़रना, शरीर के ताप को सीधे महसूस करना है वह ताप जिसमें धीरे धीरे एक स्त्री का जीवन...
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समवेत की आवाज़ हैं मनोज कुमार झा की कविताएँ

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सन्तोष कुमार चतुर्वेदी अब तलक जिन क्षेत्रों को दुर्गम समझा जाता था, आज की कविता वहाँ की यात्रा सहज ही कर लेती है। अब तलक...
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सियाह समय से परे एक नई सुबह की दरियाफ़्त करतीं शंकरानंद की कविताएँ

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प्रभात मिलिंद युवा कवि शंकरानंद की इन कविताओं को पढ़ना अपनी ही खोई हुई ज़मीन की तरफ़ फ़िर से लौटने, अपनी ही विस्मृत जड़ों को...
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अनुराधा अनन्या की कविताएँ आधी आबादी के पूरे सच को उजागर करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवयित्री अनुराधा अनन्या की कविताओं में स्त्री-विमर्श किन्हीं सिद्धान्तों या भारी भरकम वैचारिक जुगाली के बजाय एक व्यावहारिक और यथार्थ रूप...
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गौरव भारती की कविताएँ अपने समय और सियासत की जटिलताओं की शिनाख़्त हैं

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निशांत कोई कवि या कविता तब हमारा ध्यान खींचती है, जब वो हमारे भीतर के तारों को धीरे से छू दे । हमारे भावलोक में...
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