समकालीन जनमत

Tag : समकालीन हिंदी कविता

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प्रेम की अँजोरिया फैलाती हैं नीरज की कविताएँ

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रमण कुमार सिंह अवधी पृष्ठभूमि के कवि नीरज की कविताएँ किसान जीवन और संस्कृति से हमारा साक्षात्कार कराती हैं। सबसे ज्यादा आकर्षित करती है उनकी...
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जसिंता केरकेट्टा की कविताएँ सत्ता की भाषा के पीछे छुपी मंशा को भेद कर उसके कुटिल इरादों को बेनकाब करती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री जसिंता केरकेट्टा की कविताओं को महज जनजातीय स्मृतियों अथवा चेतना की कविताएँ कहना न्यायसंगत न होगा। अपने पर्यावरण और जातीय स्मृतियों...
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मेहजबीं की कविताएँ अपने समय की अंतहीन बेचैनी का बयान हैं

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संजय कुमार कुंदन मेहजबीं की कविताएँ और नज़्में बातें करती हैं, दुनिया-जहान की बातें. कविताएँ और नज़्में बस हिन्दी और उर्दू के शब्दों की उल्लेखनीय...
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सुशील कुमार की कविताएँ मौजूदा सत्ता संरचना और व्यवस्था का प्रतिपक्ष रचती हैं

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कौशल किशोर   मुक्तिबोध कालयात्री की बात करते हैं। मतलब कविता अपने काल के साथ सफर करती है । उसका अटूट रिश्ता काल से है...
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शुभम श्री की कविताएँ: मामूली से दिखने वाले बेहद ज़रूरी सवाल

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दीपशिखा शुभम की कविताएँ हमारे समय और समाज में मौजूद रोज़मर्रा के उन तमाम दृश्यों और ज़रूरतों की भावनात्मक अभिव्यक्ति हैं, जिन्हें आमतौर पर देखते...
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सपना भट्ट की कविताएँ: निर्मम हक़ीक़त के मध्य जीवन की आर्द्रता बचाने की जद्दोजहद

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मंजुला बिष्ट हमारा मौजूदा समय मानवीय संघर्ष के साथ अदृश्य स्वास्थ्य शत्रु की गिरगिटिया गिरफ्त में है। हमारे समक्ष सपनों व निर्मम हकीकत के मध्य...
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संजय शेफर्ड की कविताएँ: आजकल मैं तुम्हारी हँसी ओढ़ता हूँ..

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गणेश गनी तो वह टीले दर टीले चढ़ते हुए चैहणी दर्रे के ठीक ऊपर पहुँच ही गया। बादल ठीक उसके समानांतर तैर रहे हैं। जो...
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गोलेन्द्र की कविताएँ: अपनी बोली में जनता के दुखों और आक्रोश को ज़ाहिर करती नयी कलम

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अनुपम त्रिपाठी समकालीन जनमत के लिए ‘नई कलम’ में आज बात करते हैं गोलेन्द्र पटेल की कविताओं पर। कई बार कच्चेपने की अपनी एक अलग...
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शिरीष कुमार मौर्य की कविता में पहाड़ अपनी समस्त शक्ति एवं सीमाओं के साथ उपस्थित होता है

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‘मनुष्यता के ग्रीष्म में रहता कवि- शिरीष कुमार मौर्य’ वसंत आते-आते मैं शिवालिक के ढलानों पर खिला फूल हूँ जंगली घासों का थोड़ी ही है...
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स्त्री जीवन के यथार्थ को दर्शाती मंजुला बिष्ट की कविताएँ

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सोनी पाण्डेय   मैं अक्सर सोचती हूँ कि पुरुषवादी समाज में हमेशा से औरतों का आंकलन ऐसा क्यों रहा कि वह कहने को विद्या की...
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रामेश्वर प्रशान्त की कविताएँ जनता के रिसते ज़ख्मों का दस्तावेज़ हैं

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राणा प्रताप ________________________________________ ‘भविष्य उन लोगों का होगा जिन्हें आधुनिक समाज की आत्मा की पकड़ होगी और अत्यंत परिशुद्ध सिद्धांतों को छोड़कर जीवन की अपेक्षाकृत...
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तनुज की कविताएँ

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प्रशांत विप्लवी “कविता की नब्ज़ को छूकर हम महसूस कर सकते हैं कि उसमें हमारा कितना रक्त, कितने ताप और दबाव का प्रवाह दौड़ रहा...
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फ़िरोज़ की कविताएँ इस राजनीतिक सन्निपात में एक सचेत बड़बड़ाहट हैं

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प्रभात मिलिंद फ़िरोज़ खान की ये कविताएँ फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ आक्रोश की कविताएँ है। काव्य-वक्रोक्ति की अनुपस्थिति में ये अपने लहज़े में थोड़ी खुली हुई...
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रवि निर्मला सिंह की कविताएँ जातिवाद की जड़ों और उसकी चोट की तल्ख़ पहचान हैं

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हीरालाल राजस्थानी आज के युवा रचनाकार मार्क्स के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी भली भांति समझते हैं और जाति के सवालों तथा समतामूलक समाज के निर्माण...
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दिलीप दर्श की कविताएँ सामाजिक द्वन्द्व को उकेरती हैं

कौशल किशोर दिलीप दर्श की रचनात्मक स्थितियां वर्तमान के द्वन्द्व से तैयार होती हैं। इनमें सामाजिक संघर्ष, अतीत की सीखें, शोषक-शासक शक्तियों की पहचान, वर्ग...
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प्रमोद पाठक की कविताओं में काव्य ध्वनियाँ संगीत की तरह सुनाई देती हैं

प्रभात इस तरह मेरा झुकना अधर में लटका हुआ छूट गया है.. प्रमोद एन्द्रिकता के कवि हैं। जब वे कविता लिखते हैं उनकी इन्द्रियाँ साँस...
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कविता कादम्बरी की कविताएँ अपने समय के संघर्षों के आब और ताब को दर्ज करती हैं

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विशाखा मुलमुले एक तारे के होने भर से नहीं रहता खाली आसमान , हमारी खोजी नजरें आसमान में खोज ही लेती है वह तारा ।...
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राकी गर्ग की कविताएँ उदासी से जूझती हैं

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निरंजन श्रोत्रिय युवा कवयित्री राकी गर्ग की ये कविताएँ नितांत निजी एवं उनके अनुभव संसार की कोमलतम अभिव्यक्तियाँ हैं। इन अनुभवों में जातीय स्मृतियाँ हैं,...
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देवयानी की कविताएँ ग़लती करने की ख़ुदमुख्तारी को हासिल करने की जद्दोजहद हैं

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हिमांशु पण्ड्या प्रारंभिक दौर के स्त्री लेखन में परम्परा के नाम पर बनी शृंखला की अदृश्य कड़ियों को नज़र के सामने लाने पर बल रहा,...
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शिव कुशवाहा की कविताएँ अपने समय के संघर्षों को दर्ज करती हैं

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कौशल किशोर युवा कवियों ने कविता को नया तेवर दिया है। यह कथ्य तथा शिल्प दोनों स्तर पर देखा जा सकता है। कविता के क्षेत्र...
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