समकालीन जनमत

Tag : समकालीन हिंदी कविता

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विमल भाई की कविताएँ क्वीयर कविता के संघर्ष और सौंदर्यबोध की बानगी हैं

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अखिल कत्याल विमल भाई, अलविदा! कुछ एक साल पहले की बात है। अपनी मित्र अदिति अंगिरस के साथ मैं एक ‘क्वीयर कविताओं’ के संग्रह का...
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भरत प्रसाद की कविताएँ: यह शरीर जो कारागृह है घोंट रहा मेरा पक्षीपन

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आशीष त्रिपाठी                                                                          भरत प्रसाद कवि हैं । कवि होने की सभी शर्तों को पूरा करते कवि । उनकी कविताओं की दुनिया घर से बाहर,...
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नरेश गुर्जर की कविता दृश्य की पृष्ठभूमि पर ठहरी हुई निगाह है

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बबली गुर्जर कविताओं की सरलता उनकी ख़ूबसूरती का पैमाना होती है। कुछ कविताएँ किसी पदबंध के अधीन नहीं होती। उन्हें सुनते पढ़ते समय जिया भी...
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वसु गन्धर्व की कविताएँ मन्द्र उपस्थिति के मुखर स्वर हैं

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रंजना मिश्र कुछ स्वर अपनी मन्द्र उपस्थिति में अधिक सुन्दर, अधिक मुखर होते हैं। वे कोमल, गझिन और एकान्तिक होते हुए भी अपनी ज़मीन पर...
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प्रवीण परिमल की कविताओं में प्रेम है तो अन्याय का प्रतिकार भी

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कौशल किशोर प्रवीण परिमल की कविताओं पर आलोचक प्रो रविभूषण का कहना है ‘जो प्रेम नहीं करता, वह मनुष्य ही नहीं है।…..प्रेम ही जीवन है।...
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मरहूम कवयित्री शहनाज़ इमरानी की कविताएँ उम्मीद का हाथ थामे रास्ता दिखाएंगी

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मेहजबीं मरहूम कवयित्री शहनाज़ इमरानी की कविताएँ अपने वर्तमान समय की राजनीतिक सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों का दस्तावेज़ हैं। समाज का कोई कोना उनकी सूक्ष्म दृष्टि...
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नेहा नरुका की कविताएँ समझ और साहस के संतुलन की अभिव्यक्ति हैं

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मदन कश्यप युवा कवि नेहा नरूका का यथार्थ को देखने का दृष्टिकोण इतना अलग और मौलिक है कि वह आकर्षित ही नहीं करता, बल्कि कई...
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मनीष आज़ाद की कविताएँ क्रांति की कामना को बचाए रखती हैं

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प्रियदर्शन मूलतः अपनी सामाजिक सक्रियता और मानवाधिकारों के पक्ष में अपनी लड़ाई की वजह से सत्ता की आंखों की किरकिरी बने और जेल तक जा...
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पंखुरी सिन्हा की कविताएँ: तबाही के बरख़िलाफ़ स्मृतियों की पुकार

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विपिन चौधरी जब कोई कविता, संसार के किसी भी शहर के भीतर बसी सामूहिक स्मृतियों के साथ उस शहर के इतिहास और वहाँ के सामाजिक...
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हम सभी के घर में गणित के जादूगर हैं: ऊषा दशोरा की कविताएँ

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अरुण शीतांश स्त्री जीवन की विडंबनाओं पर बहुत सारी कविताएँ हमने पढ़ी हैं और उनके माध्यम से उस जीवन की तमाम कही अनकही जटिलताओं से...
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सुजाता गुप्ता की कविताएँ समाज की कुरूप सच्चाइयों से उपजी अकुलाहट हैं।

सौम्या सुमन कवि केदारनाथ सिंह ने कहा है कि कविता के पास अपना विचार होना चाहिए और जीवन जगत के बारे में उसका विचार जितना...
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भास्कर चौधुरी की कविताएँ: यहाँ कोई सरहद नहीं है

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कौशल किशोर समकालीन रचनाशीलता दबाव में है। रचनाकार के निजी जीवन, अनुभव संसार, भाव-संवेदना,  लय-ध्वनि सभी अतिरिक्त दबाव में हैं। यह उसके अन्तर्य पर बाह्य...
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प्रदीप सैनी की कविताएँ अपने समय में फैलाई जा रही अविश्वसनीयता के ख़िलाफ़ प्रतिरोध दर्ज करती हैं

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अनुपम त्रिपाठी एक छोटी सी कहानी से बात शुरू करूँ। एकबार जंगल के सभी जानवर पुराने राजा यानी शेर से बहुत तंग आ गए। तो...
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रक्षा की कविताएँ भारतीय समाज में स्त्री जीवन का बेबाक और साहसिक बयान हैं

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निरंजन श्रोत्रिय कविता सिर्फ वाक्यावलियों, पंक्ति विन्यास या किसी विचार के शब्दबद्ध होने से ही संभव नहीं होती। अपने समय-समाज में घट रहे दृश्यों, दृष्टांतों...
जनमत

“तुम्हारे होने से होता है सब” मायामृग की कविताएँ

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गणेश गनी राजस्थान के कवि माया मृग की कविताएँ अपनी ओर एक गहरे आकर्षण से खींचती हैं। उनकी कविताओं में कल्पना यथार्थ को और मार्मिक...
पुस्तक

पार्वती: कवि-कहानीकार शेखर जोशी की अपनी धरती और अपने लोगों से बहुत गहरे प्यार की कविताएँ हैं

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सदाशिव श्रोत्रिय मैं देखता हूं कि हमारे अधिकांश लेखक “ नौस्टाल्जिया” शब्द का प्रयोग अक्सर इसके नकारात्मक अर्थ में ही करते हैं । मेरे ख्याल...
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पुष्पराग की कविताएँ संवेदना और पर्यावरण को सहेजने की कोशिश हैं

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निरंजन श्रोत्रिय   पुष्पराग की कविताओं का मूल स्वर एक ऐसे युवा एक्टिविस्ट का वह तेवर है जो अपने परिवेश में व्याप्त विषमताओं को लेकर...
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चंद्रेश्वर की कविताएँ सरलता और संघर्ष को ज़रूरी जीवन मूल्य के रूप में बरतने का आग्रह हैं

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कौशल किशोर चंद्रेश्वर चार दशक से साहित्य सृजन में रत कवि, आलोचक और गद्यकार हैं। उनके तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ‘अब भी’...
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कल्पना पंत की कविता अबोध-अनछुए मौलिक जीवन को बचाने की आकांक्षा है

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कल्पना मनोरमा कविता क्या है? कोई मुझसे पूछे तो मैं यही कहूँगी कि कविता एक निहायत ज़रूरी ज्योतित आवाज़ है. जो पहले उसे जगाती है...
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अणु शक्ति सिंह की कविताएँ स्त्री जीवन की जटिलताओं का मार्मिक विस्तार हैं

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निरंजन श्रोत्रिय स्त्री के एकाकीपन के अनेक संस्तर होते हैं-जटिल और पीड़ादायक। एक अनचाहे शून्य से भरी हुई स्त्री एक सुलगता सवाल है जिसे हल...
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