समकालीन जनमत

Category : शख्सियत

जनमतशख्सियतस्मृति

दलित साहित्य को शिल्प और सौंदर्यबोध देने वाले भाषा के मनोवैज्ञानिक थे मलखान सिंह

सुशील मानव
परसों शाम को फोन पर बात हुई, मैंने पूछा था, सर नया क्या लिख रहे हैं इन दिनों। उन्होंने जवाब में कहा था- “ये मेरे...
जनमतशख्सियतस्मृति

उजले दिनों की उम्मीद का कवि वीरेन डंगवाल

समकालीन जनमत
मंगलेश डबराल ‘इन्हीं सड़कों से चल कर आते हैं आततायी/ इन्हीं सड़कों से चल कर आयेंगे अपने भी जन.’ वीरेन डंगवाल ‘अपने जन’ के, इस...
जनमतशख्सियतस्मृति

कटरी की रुक्मिनी: कविता का अलग रास्ता

डॉ रामायन राम
वीरेन डंगवाल 70 के दशक की चेतना के कवि हैं। कविता के क्षेत्र मे उनका प्रवेश 70 के दशक में हुआ । यह वह समय...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद का स्त्रीधर्म

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र भारतीय नवजागरण और राष्ट्रीय आन्दोलन को स्त्री-अस्मिता की जमीन से देखते हुए पार्थ चटर्जी प्रभृत चिंतकों ने राष्ट्रीय आन्दोलन और स्त्रीवादी संघर्ष में...
जनमतशख्सियतस्मृति

नायक विहीन समय में प्रेमचंद

समकालीन जनमत
प्रो. सदानन्द शाही कुछ तारीखें कागज के कैलेण्डरों पर दर्ज होती हैं और याद रखी जाती हैं या पर कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद की दलित स्त्रियाँ: वैभव सिंह

समकालीन जनमत
वैभव सिंह प्रेमचंद जितना पुरुष-जीवन का अंकन करने वाले कथाकार हैं, उतना ही स्त्रियों के जीवन के भी विविध पक्षों को कथा में व्यक्त करते...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद के स्त्री पात्र: प्रो.गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक होने के साथ साथ ज़ेरे बहस भी रहा है । दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य...
जनमतशख्सियतस्मृति

किसान आत्म-हत्याओं के दौर में प्रेमचंद – प्रो. सदानन्द शाही

समकालीन जनमत
 प्रो.सदानन्द शाही किसानों की आत्म हत्यायें हमारे समाज की भयावह सचाई है। भारत जैसे देश में किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं यह शर्मशार कर देने...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

‘प्रेमचंद : घर में’ से एक प्रसंग-शिवरानी देवी प्रेमचंद

समकालीन जनमत
(‘प्रेमचंद : घर में’ प्रेमचंद के निधन के बाद उनकी पत्नी शिवरानी देवी द्वारा संस्मरणों की एक शृंखला के रूप में लिखी गई पुस्तक है।...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

कफ़न: एक बहुस्तरीय कहानी

समकालीन जनमत
प्रो. सदानंद शाही कफ़न प्रेमचन्द की ही नहीं हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में एक है। कफ़न एक बहुस्तरीय कहानी है, जिसमें घीसू और माधव की बेबसी, अमानवीयता और निकम्मेपन...
कहानीशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

प्रेमचंद की याद: संजय जोशी

संजय जोशी
हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक रूप देकर उसे आम जन...
जनमतशख्सियतस्मृति

सदगति : ‘ग़म क्या सिर के कटने का’*

समकालीन जनमत
प्रो. सदानन्द शाही सदगति दलित पात्र दुखी की कहानी है। दुखी ने बेटी की शादी तय की है। साइत विचरवाने के लिए पं0. घासीराम को बुलाने...
जनमतशख्सियतस्मृति

मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया : गजानन माधव मुक्तिबोध

समकालीन जनमत
एक छाया-चित्र है । प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं । प्रसाद गम्भीर सस्मित । प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य । विभिन्न विचित्र प्रकृति...
जनमतशख्सियतस्मृति

प्रेमचंद ने ‘अछूत की शिकायत’ को कथा-कहानी में ढाला

डॉ रामायन राम
  1914 में हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका सरस्वती में हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत प्रकाशित हुई थी,जिसमे कवि ने अछूतों के साथ होने...
जनमतशख्सियतस्मृति

नई पीढ़ी को भी उम्दा साहित्य के संस्कार देने वाले प्रेमचंद

अभिषेक मिश्र
कहा जाता है ‘साहित्य समाज का दर्पण है’। साहित्यकारों से भी यही अपेक्षा रखी जाती है। पर धीरे-धीरे आजादी मिलने से पूर्व और इसके बाद...
जनमतशख्सियतस्मृति

रेलवे स्टेशन पर प्रेमचन्द

समकालीन जनमत
डॉ. रेखा सेठी अभी हाल ही में नयी दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर मुझे प्रेमचन्द की लोकप्रियता का नया अनुभव हुआ। स्टेशन के लगभग हर...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

महाजनी सभ्यता : प्रेमचंद

समकालीन जनमत
महाजनी सभ्यता मुज़द: ए दिल कि मसीहा नफ़से मी आयद; कि जे़ अनफ़ास खुशश बूए कसे मी आयद। ( हृदय तू प्रसन्न हो कि पीयूषपाणि...
जनमतशख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

‘सांप्रदायिकता और संस्‍कृति’ : प्रेमचंद (प्रेमचंद पर शृंखला की शुरुआत)

समकालीन जनमत
31 जुलाई को कथाकार प्रेमचंद का जन्‍मदिन है। समकालीन जनमत अपने पाठकों के लिए आज से 31 जुलाई तक प्रेमचंद पर एक विशेष शृंखला की शुरुआत...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

व्यक्तित्व में सरल और विचार में दृढ़: राजेन्द्र कुमार

समकालीन जनमत
विनोद तिवारी पचहत्तर पार : राजेंद्र कुमार राजेंद्र सर हमारे प्रिय अध्यापकों में रहे हैं । वह अपने व्यक्तित्व में नितांत सहज, सरल और साधारण...
कविताशख्सियत

यथार्थ के अन्तर्विरोधों को उदघाटित करते कवि राजेन्द्र कुमार

कौशल किशोर
( जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कवि और आलोचक राजेन्द्र कुमार (24/7/1943) आज  76 साल के हो गए. एक शिक्षक, कवि, आलोचक और एक ...
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