समकालीन जनमत

Tag : मुक्तिबोध

पुस्तक

मुक्तिबोध : सर्जक और विचारक

रामजी राय
पुस्तक-चर्चा सेवाराम त्रिपाठी की किताब ‘मुक्तिबोध : सर्जक और विचारक’ बहुत पहले ही मुझे मिली थी। फुरसत के क्षणों में उसके चैप्टर्स पलटता रहा हूँ।...
साहित्य-संस्कृति

बेसबब हुआ ग़ालिब दुश्मन आसमां अपना

रामजी राय
 (मुक्तिबोध पर मेरी किताब ‘स्वदेश की खोज’ पर बौद्धिक चोरी के आरोप पर कुछ बातें ) हम कहाँ के दाना थे, किस हुनर में यक़तां...
साहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध पूँजीवादी समाज की जड़ को पकड़ने वाले कवि हैं :  डॉ. वंदना चौबे

 “मुक्तिबोध की रचनाधर्मिता और हमारा समय” पर संगोष्ठी वाराणसीः प्रलेस की बनारस इकाई की सचिव और आर्य महिला पीजी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर डॉ. वंदना...
ख़बर

रामजी राय की किताब ‘मुक्तिबोध: स्वदेश की खोज’ का रायपुर में हुआ विमोचन

समकालीन जनमत
रायपुर. ऐसा बहुत कम होता है जब साहित्य के किसी आयोजन में लोगों की अच्छी-खासी मौजूदगी देखने को मिलती है. सामान्य तौर पर साहित्यिक आयोजन...
शख्सियत

मुक्तिबोध की अख़बारनवीसी

दुर्गा सिंह
हिन्दी साहित्य में आधुनिक और प्रगतिशील चेतना के साथ सर्जना करने वालों में गजानन माधव मुक्तिबोध का नाम सबसे प्रमुख है। कविता, कहानी, आलोचना तथा...
शख्सियत

त्रिलोचन के नामवर और नामवर के त्रिलोचन

समकालीन जनमत
(त्रिलोचन के जन्मदिन पर समकालीन जनमत के पाठकों के लिए प्रस्तुत है त्रिलोचन की डायरी पर शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक की अवधेश प्रधान द्वारा लिखी गई...
साहित्य-संस्कृति

हिंदी में प्रगतिशील आंदोलन

गोपाल प्रधान
हिंदी में प्रगतिशील आंदोलन की स्थिति को समझने के लिए उसके जन्म के समय की राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर ध्यान देना जरूरी है । सन 1929...
साहित्य-संस्कृति

मजदूर दिवस पर संगवारी थिएटर ग्रुप द्वारा जनगीतों और कविताओं की प्रभावशाली प्रस्तुति

दीपक सिंह
पूर्व निधारित कार्यक्रम के अनुसार आज 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर समकालीन जनमत के फेसबुक पेज से संगवारी थियेटर ग्रुप द्वारा लाइव...
जनमतशख्सियतस्मृति

“यह थी भूमिका हम-तुम मिले थे जब” मुक्तिबोध स्मरण (जन्मदिन 13 नवम्बर)

रामजी राय
मुक्तिबोध और उनकी कविता के बारे में लोग कहते हैं कि वो विकल-बेचैन, छटपटाते कवि हैं. लेकिन देखिये तो दरअसल, मुक्तिबोध कविता की विकलता के...
कवितासाहित्य-संस्कृति

उमेश पंकज का कविता पाठ: ‘मेहतर से नहीं कोई इंसान बेहतर’

कौशल किशोर
लखनऊ, 25 अगस्त। ‘वह पेड़ पर चढ़ कर/हरा बन गयी…..पेड़ से वह गिर गयी/रोप दी गयी मिट्टी में/वह फिर से उग रही है/उस तरह जिस...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध मेरे लिए -अच्युतानंद मिश्र

समकालीन जनमत
अच्युतानंद मिश्र फ़िराक ने अपने प्रतिनिधि संग्रह ‘बज़्मे जिंदगी रंगे शायरी’ के संदर्भ में लिखा है, जिसने इसे पढ़ लिया उसने मेरी शायरी का हीरा...
साहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध आस्था देते हैं मुक्ति नहीं

समकालीन जनमत
प्रियदर्शन मुक्तिबोध और ख़ासकर उनकी कविता ‘अंधेरे में’ पर लिखने की मुश्किलें कई हैं। कुछ का वास्ता मुक्तिबोध के अपने बेहद जटिल काव्य विन्यास से...
साहित्य-संस्कृति

अंतःकरण और मुक्तिबोध के बहाने

रामजी राय
(मुक्तिबोध के जन्मदिन पर समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय का आलेख) 2017 में मुक्तिबोध की जन्मशताब्दी गुज़री है और 2018 मार्क्स के जन्म...
साहित्य-संस्कृति

आधुनिक सभ्यता-संकट की प्रतीक-रेखा (मुक्तिबोध और स्त्री-प्रश्न)

प्रणय कृष्ण
मुक्तिबोध जयंती पर विशेष   स्त्री स्वाधीनता और उस स्वाधीनता की अभिव्यक्ति के प्रश्न को जितनी गहनता और विस्तार मुक्तिबोध-साहित्य में मिला वैसा हिन्दी साहित्य...
साहित्य-संस्कृति

लोक और जन की आवाज़: त्रिलोचन और मुक्तिबोध

मिथिला विश्वविद्यालय  में मुक्तिबोध-त्रिलोचन जन्म शताब्दी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने मुक्तिबोध त्रिलोचन जन्मशताब्दी के अवसर पर दो दिवसीय...
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