Friday, December 1, 2023
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मजदूर दिवस पर संगवारी थिएटर ग्रुप द्वारा जनगीतों और कविताओं की प्रभावशाली प्रस्तुति

पूर्व निधारित कार्यक्रम के अनुसार आज 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर समकालीन जनमत के फेसबुक पेज से संगवारी थियेटर ग्रुप द्वारा लाइव प्रस्तुति दी गई | संगवारी टीम ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत तुर्की के प्रसिद्ध कवि नाज़िम हिक़मत की मशहूर नज़्म ‘तुम्हारे हाथ’ से की । जाहिर है ये मजदूरों के ही हाथ हैं और मजदूर दिवस पर इससे बेहतर कोई और शुरुआत नहीं हो सकती थी ।
तुम्हारे हाथ
पत्थरों की तरह संगीन
जेल में गाये गये तमाम गीतों की तरह मनहूस,
बोझ ढोनेवाले जानवरों की तरह अनाड़ी, सख़्त
और भूखे बच्चों के चेहरों की तरह नाराज़ हैं.
मधुमक्खियों की तरह कुशल और सहनशील,
दूध से भरी छातियों की तरह भरपूर,
कुदरत की तरह दिलेर,
और अपनी खुरदरी खाल में दोस्ताना अहसास छुपाये
तुम्हारे हाथ.
यह दुनिया बैल के सींग पर नहीं टिकी है,
तुम्हारे हाथों ने सम्हाल रखी है यह दुनिया…..
संगवारी टीम ने दूसरे गीत के रूप में क्रांतिकारी गीतकार व गायक विलास घोगरे का मशहूर गीत ‘एक कथा सुनो रे लोगों’ को बड़ी ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया | यह गीत अपने आप में मजदूर जीवन की कारुणिक महागाथा है ।
‘हम मजदूर की करुण कहानी /और करीब से जानों / एक कथा सुनों रे लोगों’
इस गीत के पश्चात संगवारी टीम ने स्वरचित गीत ‘अरे नरेंदर कुछ तो बोल’ की बड़ी ही उर्जस्वित प्रस्तुत दी जिसमें आक्रोश, दुःख, निराशा व चुनौती के स्वर एकमेक हो गए | इस गीत के बाद जैसे ही उन्होंने मुक्तिबोध की कविता का अंश ‘अब तक क्या किया/ जीवन क्या जिया’ को गीत के रूप में उठाया तो लगा जैसे पूंजीवाद और नरेंदर एक हो गए हों और कवि का सवाल समष्टि से व्यष्टि की ओर निर्दिष्ट हो गया है |
गीतों का यह सिलसिला नाज़िम से चलते हुए जब मखदूम मोहिउद्दीन के गीत ‘ये जंग है जंगे आज़ादी आज़ादी के परचम के तले/ हम हिन्द के रहने वालों की महकूमों की मजलूमों की’ तक पहुंचा तो लगा जैसे संघर्ष का एक चक्र पूरा हो गया |
संगवारी की आज के कार्यक्रम की टीम में शामिल थे अनिरुद्ध संगवारी, देवव्रत, निखिल, संदीप, आदिल और संदीप । इनमें से गिटार पर थे अनिरुद्ध और ढपली पर थे देवव्रत ।
संगवारी की इन तमाम भावपूर्ण प्रस्तुतियों के साथ जनमत परिवार की तरफ से सभी मजदूर भाई बहनों को मजदूर दिवस की हार्दिक बधाई |
इस पूरी प्रस्तुति को समकालीन जनमत के पेज पर जाकर अथवा नीचे दिए गए लिंक पर जाकर देखा सुना जा सकता है.
दीपक सिंहhttp://samkaleenjanmat.in
युवा आलोचक दीपक सिंह छत्तीसगढ़ में हिंदी पढ़ाते हैं । इनसे deepak8768@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है ।
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