समकालीन जनमत

Tag : hindi poetry

कविता

प्रकृति प्रेमी और अन्याय के विरुद्ध  संकल्पबद्ध कवि चंद्रकुँवर बर्त्वाल

समकालीन जनमत
कल्पना पंत ‘प्राची से झरने वाली आशा का तो अंत नहीं’ एक पूरा दिन चंद्रकुँवर बर्त्वाल से संबंधित क्षेत्रों के भ्रमण में बीता. वह स्थान...
कविता

ज्योति की कविताएँ चुप्पी का सौंदर्य बयां करती हैं

अनुपम सिंह
ज्योति तिवारी को मैं पिछले लगभग पाँच वर्षों से जानती हूँ। ज्योति भी मुझे जानती हों ज़रूरी नहीं। वैसे तो वह ज़्यादातर निष्क्रिय ही  दिखाई...
ज़ेर-ए-बहस

हिंदी कविता में हिंदुत्व का प्रिस्क्रिप्शन

राजन विरूप
“दुर्भाग्यवश, हिंदी-साहित्य के अध्ययन और लोक-चक्षु-गोचर करने का भार जिन विद्वानों ने अपने ऊपर लिया है, वे भी हिंदी साहित्य का संबंध हिंदू जाति के...
कविता

‘ फ्री कालिंग है पर बातचीत के हालात नहीं हैं ‘

समकालीन जनमत
आठ मई की शाम समकालीन जनमत द्वारा आयोजित फ़ेसबुक लाइव में जब कवि पंकज चतुर्वेदी अपने कविता पाठ के लिए प्रस्तुत हुए तो काफ़ी देर...
कविता

माटी पानी : सत्ता और समय की पहचान

समकालीन जनमत
रवि श्रीवास्तव सदानंद शाही के कविता संकलन ‘माटी-पानी’ को पढ़ते हुए मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर याद आया- ‘ जो उलझी थी कभी आदम के...
कविता

विमल किशोर की कविताएं

समकालीन जनमत
1980 के दशक में लखनऊ में गठित ‘महिला संघर्ष मोर्चा’ से विमल किशोर ने सामाजिक जीवन का आरम्भ किया। वे इस संगठन की सह संयोजक...
कविता

कई आँखोंवाली कविताओं के कवि शशांक मुकुट शेखर

समकालीन जनमत
कृष्ण समिद्ध नये और बनते हुए कवि पर लिखना बीज में बंद पेड़ के फल के स्वाद पर लिखने जैसा है । फिर भी यह...
साहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध आस्था देते हैं मुक्ति नहीं

समकालीन जनमत
प्रियदर्शन मुक्तिबोध और ख़ासकर उनकी कविता ‘अंधेरे में’ पर लिखने की मुश्किलें कई हैं। कुछ का वास्ता मुक्तिबोध के अपने बेहद जटिल काव्य विन्यास से...
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