समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

चित्रकला

मोनालिसा : तस्वीर के कई और रंग भी हैं

अशोक भौमिक
( मोनालिसा को लेकर  शताब्दी से भी ज्यादा समय से कई किस्म के  विवाद चलते रहे हैं।  कई इसे एक साधारण सा चित्र मानते हैं,...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति

समय के जटिल मुहावरे को बाँचती घनश्याम कुमार देवांश की कविताएँ

उमा राग
आज के युवा बेहद जटिल समय में साँस ले रहा है. पूर्ववर्ती पीढ़ी में मौजूद कई नायाब और सौंधे सुख उसकी पीढ़ी तक पहुँचने से...
कविता

‘ आज की कविताएं आत्मचेतस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है ’

अनिमेष फाउंडेशन लखनऊ की ओर से फ्लाइंग ऑफिसर अनिमेष श्रीवास्तव की स्मृति में ‘आज की कविता के स्वर’ एवम कविता पाठ का आयोजन किया गया....
पुस्तक

फ़ासीवाद की ओर यात्रा: चौराहे पर अमेरिका

गोपाल प्रधान
बड़े व्यवसायी, तानाशाह सरकार और फौजी ढांचे का यही संयुक्त मोर्चा सभी देशों में फ़ासीवादी शासन के उभार के वक्त नजर आया है. इसके अलावे...
स्मृति

मैंने गिर्दा को कैसे जाना

इन्द्रेश मैखुरी
(गिर्दा के स्मृति दिवस 22 अगस्त पर गिर्दा की याद) बात 1994 की है. उत्तराखंड आंदोलन पूरे ज़ोर पर था. इसी बीच में उत्तराखंड आंदोलन...
कहानीसाहित्य-संस्कृति

गांव की साझी सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन गति और उसके संकट को केन्द्र में रखती है हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’

(हाल ही में ‘पल-प्रतिपल’ में प्रकाशित हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’ को हमने समकालीन जनमत पोर्टल पर प्रकाशित किया , जिस पर पिछले दिनों...
पुस्तक

एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल : अर्थशास्त्र संबंधी काम की तैयारी

गोपाल प्रधान
मार्चेलो मुस्तो की किताब ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ का दूसरा खंड राजनीतिक अर्थशास्त्र संबंधी मार्क्स के अध्ययन पर केंद्रित है जिसकी शुरुआत...
कवितापुस्तकशख्सियतसाहित्य-संस्कृति

‘कुछ भी नहीं किया गया’: वीरेन डंगवाल की एक कविता का पाठ

समकालीन जनमत
नवारुण प्रकाशन ने अभी हाल में ‘कविता वीरेन’ (वीरेन डंगवाल की सम्पूर्ण कविताएँ) को प्रकाशित कर जारी किया है । वीरेन को याद करते हुए...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिसिनेमा

सुरों के उस्ताद, सुनने की उस्तादी

दिनेश चौधरी हरिभाई यानी पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी हमेशा थोड़ी जल्दी में होते हैं। वे आँधी की तरह आये, बाँसुरी की तान छेड़ी, खाना खाये...
कविताजनमत

विश्व कविता : तादयूश रुज़ेविच की कविताएँ

उमा राग
  〈 तादयूश रुज़ेविच (9 अक्टूबर 1921-24 अप्रैल 2014) पोलैंड के कवि, नाटककार और अनुवादक थे। उनकी कविताओं के बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुए...
ज़ेर-ए-बहसदुनियापुस्तकशख्सियत

एक और मार्क्स: वर्तमान को समझने के लिए मार्क्स द्वारा उपलब्ध कराए गए उपकरणों की जरूरत

गोपाल प्रधान
  2018 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से मार्चेलो मुस्तो की इतालवी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ प्रकाशित हुआ । अनुवाद...
कहानीजनमत

नेसार नाज़ की कहानी ‘मीरबाज़ खान’

दीपक सिंह
(नेसार नाज़ कथा साहित्य में बहुत परिचित नाम नहीं है | छत्तीसगढ़ के एक निहायत ही छोटे से कस्बे बैकुंठपुर (जो अब जिला मुख्यालय बन...
चित्रकला

भारतीय चित्रकला में स्त्री को उपेक्षित रखा गया है- अशोक भौमिक

सुधीर सुमन
पटना: 13 अगस्त 2018. ‘‘भारतीय चित्रकला में ज्यादातर पुरुषों और पितृसत्तात्मक समाज को महिमामंडित करने का कार्य ही किया गया है। स्त्रियों को दोयम दर्जे...
कविताजनमत

अनुज लगुन की नई कविताएँ : रोटी के रंग पर ईमान लिख कर चलेंगे

उमा राग
अनुज लुगुन ने जब हिंदी की युवा कविता में प्रवेश किया तो वह एक शोर-होड़, करियरिस्ट भावना की आपाधापी, सस्ती यशलिप्सा से बौराई और पुरस्कारों...
चित्रकला

शतवर्ष स्मरण : देबब्रत मुखोपाध्याय (1918-1991)

अशोक भौमिक
समकालीन जनमत के ‘ तस्वीरनामा ’ में इस बार चित्रकार देबब्रत मुखोपाद्ध्याय पर एक विशेष लेख और उनके चित्रों का एलबम प्रकाशित कर रहें हैं....
कविता

कौशल किशोर का कविता संग्रह ‘ नयी शुरुआत ‘ : ‘ स्वप्न अभी अधूरा है ‘ को पूरा करने के संकल्प के साथ

    शैलेन्द्र शांत  “नयी शुरुआत’ साठ पार कवि कौशल किशोर की कविता की दूसरी किताब है  । सांस्कृतिक , सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में...
साहित्य-संस्कृति

हमारी संवेदना को विस्तार देता है साहित्य : प्रोफेसर हरीश त्रिवेदी

समकालीन जनमत
वाराणसी. साहित्य चिंतक एवं अंग्रेजी के प्रोफेसर हरीश त्रिवेदी ने कहा है कि साहित्य हमारी संवेदना को विस्तार और निखार देता है. साहित्य दूसरों के...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

वीरेन डंगवाल की याद और सृजन, कल्पना, रंगों, शब्दों और चित्रों की दुनिया

डॉ. कामिनी त्रिपाठी शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बैकुंठपुर में आयोजित त्रिदिवसीय ‘वीरेन डंगवाल जन्म दिन समारोह’ का समापन 8 अगस्त को छात्राओं द्वारा वीरेन दा...
ख़बरशख्सियतसाहित्य-संस्कृतिस्मृति

कवि वीरेन डंगवाल के 71वें जन्मदिन पर बरस रही थी कवि की याद

समकालीन जनमत
(पांच अगस्त को हिंदी के कवि वीरेन डंगवाल का जन्म दिन होता है । देश भर में कवि की याद में हुए आयोजनों में से...
कहानीज़ेर-ए-बहससाहित्य-संस्कृति

समाज का सच सामने लाती है हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’

समकालीन जनमत
(कथाकार हेमंत कुमार की कहानी  ‘ रज्जब अली  ’ पत्रिका ‘ पल-प्रतिपल ’ में प्रकाशित हुई है. इस कहानी की विषयवस्तु, शिल्प और भाषा को...
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