समकालीन जनमत

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इंजीकरी: सहेली सा संवाद करतीं, समय की भाषा गढ़तीं बिल्ब पत्र सरीखी कविताएँ

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अर्चना लार्क कवि अनामिका अनु का कविता संग्रह ‘इंजीकरी’। बिल्वपत्र’ सरीखी इस संग्रह की कविताओं को पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं कि पाठक का...
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आरिफा एविस का उपन्यास “नाकाबन्दी” कश्मीर के हाथ-पाँव में बँधी अदृश्य बेड़ि़यों को दृश्यमान करता है

कौशल किशोर
  आरिफा एविस की औपन्यासिक कृति है “नाकाबन्दी”। यह कश्मीर की जमीनी हकीकत को सामने लाती है। इसमें कल्पना की उड़ान नहीं बल्कि यहाँ का...
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पार्वती: कवि-कहानीकार शेखर जोशी की अपनी धरती और अपने लोगों से बहुत गहरे प्यार की कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
सदाशिव श्रोत्रिय मैं देखता हूं कि हमारे अधिकांश लेखक “ नौस्टाल्जिया” शब्द का प्रयोग अक्सर इसके नकारात्मक अर्थ में ही करते हैं । मेरे ख्याल...
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साधारण लोग असाधारण शिक्षक: निराशा के कुहासे को काटती कहानियाँ

समकालीन जनमत
प्रतिभा कटियार सरल होना इतना कठिन क्यों होता है आखिर? सीधी सी बात होती है फिर वह भाषा के जाल में उलझकर क्यों एक पहेली...
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रिक्त स्थान और अन्य कविताएँ: इन कविताओं से गुज़रते हुए प्रेम और कोमलता की बहुत सारी तहों से हमारा साबिका पड़ता है

समकालीन जनमत
प्रियदर्शन ऐसी कई किताबें हैं जिन पर पिछले दिनों लिखने की इच्छा होती रही लेकिन लिखना टलता रहा। शिवप्रसाद जोशी का कविता संग्रह ‘रिक्त स्थान...
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‘1232 km: कोरोना काल में एक असम्भव सफ़र’: लाकडाउन की याद है?

गोपाल प्रधान
2021 में राजकमल से विनोद कापड़ी की ‘1232 km: कोरोना काल में एक असम्भव सफ़र’ को याद रखा जाना चाहिए ताकि वर्तमान सत्ता के जन...
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शिक्षा और स्वतंत्रता- बेल हुक्स की किताब ‘टीचिंग टु ट्रान्सग्रेस: एजुकेशन ऐज द प्रैक्टिस आफ़ फ़्रीडम’

गोपाल प्रधान
1994 में रटलेज से बेल हुक्स की किताब ‘टीचिंग टु ट्रान्सग्रेस: एजुकेशन ऐज द प्रैक्टिस आफ़ फ़्रीडम’ का प्रकाशन हुआ । लेखिका ने किताब की...
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कमला सिंघवी की किताब ‘दाम्पत्य के दायरे’ के बहाने कुछ बातें

समकालीन जनमत
निकिता हाल ही में मैंने “कमला सिंघवी” की पुस्तक “दाम्पत्य के दायरे” पढ़ा, जिसे पढ़ते समय एक स्थान पर बैठे हुए ही मानो मैंने एक...
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ज़ीरो माइल पटना : तीन धाराओं से बनी किताब

समकालीन जनमत
पटना, 21 दिसंबर। जिस तरह पटना तीन नदियों से घिरा है उसी तरह संजय कुंदन की किताब भी कहानी, उपन्यास और कविताओं से मिलाकर बनी...
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एक भारत ऐसा भी

गोपाल प्रधान
भाषा सिंह की किताब ‘अदृश्य भारत: मैला ढोने के बजबजाते यथार्थ से मुठभेड़’ का प्रकाशन 2012 में पेंगुइन बुक्स से हुआ। किताब को एकाधिक अर्थों...
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सोपान जोशी की किताब ‘जल थल मल’-आधुनिक जीवन का ज्ञानकोश

गोपाल प्रधान
राजकमल से 2018 के बाद 2020 में छपी सोपान जोशी की किताब ‘जल थल मल’ को देखने के बाद हूक सी पैदा होती है कि...
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हिंदुत्व के उत्थान से उपजी निराशा

गोपाल प्रधान
अभय कुमार दुबे की किताब ‘हिंदू-एकता बनाम ज्ञान की राजनीति’ का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से 2019 में हुआ । शीर्षक ही बिना किसी लाग लपेट...
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राजनीतिक प्रतिरोध में अहिंसा की भूमिका

गोपाल प्रधान
किताब में यही बताया गया है कि बीसवीं सदी में जनता ने हिंसा के बगैर सत्ता पर कब्जा करने की क्षमता अर्जित की । लेखकों...
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एक देश बारह दुनिया: समकालीन भारत में विकास के विरोधाभासों का रेखाचित्र

समकालीन जनमत
नीरज  एक स्वतंत्र देश के तौर पर भारत के लिए 75 वर्षों का अरसा कोई लंबा समय तो नहीं है। लेकिन, यह भी सच है...
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‘उड़ता बनारस’: स्थापत्य में फ़ासीवाद                                       

गोपाल प्रधान
सुरेश प्रताप की किताब ‘ उड़ता बनारस ’ हमसे वर्तमान शासन के कुछ कारनामों को गहरी निगाह से देखने की मांग करती है । पिछले...
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विभाजन की विभीषिका और उत्तराखंड के इतिहास की गुमशुदगी की परत में लिपटा एक बयान

के के पांडेय
यह कथा सानीउडियार क्षेत्र, जिला बागेश्वर (पहले अल्मोड़ा) उत्तराखंड के एक व्यक्ति हाजी अब्दुल शकूर की है। उनका खानदान उन्नीस सौ ईस्वी से कुछ पहले...
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स्मृतियों के कथ्य में जीवनानुभव की अभिव्यक्ति

समकालीन जनमत
राम विनय शर्मा ‘ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल’ पत्रकार और लेखक उर्मिलेश के संस्मरणों का संकलन है। ‘प्रमुखतः इसमें साहित्य-संस्कृति और मीडिया से सम्बद्ध लोगों, प्रसंगों...
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सरकार का अपने ही नागरिकों से युद्ध

गोपाल प्रधान
लेख के शीर्षक से भ्रम सम्भव है कि यह किताब नागरिकता संबंधी कानूनों के बारे में है लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश की सरकार लम्बे...
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वैश्विकता और स्‍थानीयता को जोड़ने वाली आत्‍मालोचना युक्‍त भावना

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल ताइवान के वरिष्ठ कवि, आलोचक ली मिन-युंग की कविताएँ आजादी, प्रेम और स्‍वप्‍न की भावनाओं को सहज और सचेत ढंग से स्‍वर देती...
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