समकालीन जनमत

Month : November 2020

कविता

भारत की कविताएँ कोमलता को कुचल देने वाली तानाशाही कठोरता का प्रतिकार हैं

समकालीन जनमत
 विपिन चौधरी अपना रचनात्मक स्पेस अर्जित करने के बाद हर युवा रचनाकार पहले अपनी देखी, समझी हुई उस सामाजिक समझ को पुख्ता करता है जिससे...
ख़बर

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लाखों किसानों का दिल्ली कूच

पुरुषोत्तम शर्मा
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के 500 से ज्यादा किसान संगठनों के “दिल्ली चलो” आह्वान के तहत किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू...
कविता

हर्ष की कविताएँ रचनात्मक आश्वस्ति देती हैं

समकालीन जनमत
हर्ष अपनी कविताओं के जरिए एक रचनात्मक आश्वस्ति देते हैं बेहतर भविष्य को बुनने का. उनका दखल केवल विषयों के सटीक चयन तक ही नहीं...
साहित्य-संस्कृति

पढ़त :: वे डरते हैं… :: मनोज कुमार

समकालीन जनमत
पहले एक किस्सा :: बात बहुत पुरानी भी नहीं है। यही लगभग 100 साल पहले – सन 1920 की बात है। बात इतनी दूर की...
शिक्षा

पितृसत्तात्मक समाजों में राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया: स्त्री शिक्षा और स्वतंत्रता के आइने में

समकालीन जनमत
रविवार 1 नवम्बर 2020 को कोरस के फेसबुक लाइव चैट पर दर्शकों की मुलाकात हुई राधिका मेनन और शिवानी नाग से l डॉ. राधिका मेनन...
शख्सियत

क्रांतिकारी सांख्यिकीविद

समकालीन जनमत
( अंग्रेजी अखबार बिज़नेस स्टैंडर्ड में 14 नवंबर को प्रकाशित आर्चिस मोहन  के लेख का हिंदी अनुवाद, अंग्रेजी से अनुवाद : इन्द्रेश मैखुरी ) देश...
ख़बर

बिहार चुनाव में जनता का एजेंडा आया सामने, बंगाल और अन्य चुनावों के लिए बनेगा उदाहरण: दीपंकर भट्टाचार्य

समकालीन जनमत
    ◆ चुनाव परिणाम की तुलना भाजपा-जदयू 2015 की बजाए 2010 से करे, साफ दिखेगा एनडीए के खिलाफ है यह जनादेश. ◆ जनता ने...
भाषा

उर्दू की क्लास : मुलज़िम और मुजरिम का फ़र्क़

( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम की शृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की बारहवीं          क़िस्त में मुलज़िम और मुजरिम के फ़र्क़...
कविता

रोमिशा की कविताओं में मैथिल स्त्री का अंतर्जगत बहुत मुखर है

समकालीन जनमत
रमण कुमार सिंह हाल के वर्षों में जिन युवा कवयित्रियों ने मैथिली साहित्य के क्षितिज पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की है, उनमें रोमिशा प्रमुख...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध की कविताः जमाने का चेहरा भी, भविष्य का नक्शा भी

समकालीन जनमत
प्रणय कृष्ण मुक्तिबोध ने बहुत तरह से अपनी कविता को व्याख्यायित करने की कोशिश की है. वह कालयात्री है, वह जन चरित्री है, लेकिन मेरी...
शिक्षा

बिटिया चाहे जेतना पढ़ ल्या करै के अहै चूल्है चउका

कीर्ति शहर से तीन साल बाद अपने गाँव सामंतपुर लौटी ,गाँव का रंग ढंग तो काफी बदल गया, सड़कें चौड़ीकरण योजना से प्रभावित शेषनाग की...
साहित्य-संस्कृति

जाति के झूठे वर्णवादी आधारों का प्रत्याख्यान है बिल्लेसुर बकरिहा

दुर्गा सिंह
बिल्लेसुर बकरिहा, निराला की चर्चित रचना है। विधा के बतौर इसे रेखाचित्र के रूप में भी रखा जा सकता है, लेकिन है यह एक उपन्यासिका...
कविता

दीपक जायसवाल की कविताएँ अतीत और वर्तमान की तुलनात्‍मक प्रतिरोधी विवेचना हैं

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल अतीत और वर्तमान के तुलनात्‍मक प्रतिरोधी विवेचन और वैचारिक जद्दोजहद दीपक जायसवाल की कविताओं में आकार पाते हैं। समय के अभेद्य जिरहबख्‍तर को भेद...
ज़ेर-ए-बहस

प्रकृति के प्रांगण में मानव की विनाश लीला!

जनार्दन
हर शहर कोहरे के साये में लिपटा हुआ है। हर तरफ़ सांसें उखड़ रहीं हैं और हर जिंदगी परेशान सी है; यह सब क्यों हो...
स्मृति

एक नाराज़ सूरज डूब गया

समकालीन जनमत
अच्युतानंद मिश्र प्रगतिशील धारा से सम्बद्ध वरिष्ठ लेखक विष्णुचंद्र शर्मा(1/4/1933-2/11/2020) का 2 नवम्बर को निधन हो गया। सोचता हूँ वे अगर इस वाक्य को सुनते...
कविता

जोराम यालाम नाबाम की कविताएँ जीवन की आदिम सुंदरता में शामिल होने का आमंत्रण हैं

समकालीन जनमत
बसन्त त्रिपाठी जोराम यालाम नाबाम की कविताओं में आतंक, भय, राजनीतिक दाँव-पेंच, खून-खराबे से त्रस्त जीवन को आदिम प्रकृति की ओर आने का आत्मीय आमंत्रण...
Fearlessly expressing peoples opinion