समकालीन जनमत

Tag : Savita pathak

स्मृति

प्रो. लाल बहादुर वर्मा: एक प्रोफ़ेसर जिसने विविधता का मतलब बताया

समकालीन जनमत
सविता पाठक ये माना जिन्दगी है चार दिन की बहुत होते हैं यारों ये चार दिन भी -फ़िराक़  प्रो लालबहादुर वर्मा नहीं रहे। ये ख़बर...
कविता

सविता पाठक की कविताएँ पितृसत्तात्मक चलन और पाखंड को उजागर करती हैं

समकालीन जनमत
रुपम मिश्र सविता पाठक मूल रूप से कहानीकार हैं । कहानी की गद्यात्मकता उनकी कविताओं में भी बनी रहती है । सविता की कविताएँ एक...
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