समकालीन जनमत

Category : पुस्तक

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रेत समाधि: मृत्यु भी जीवन का हिस्सा है! 

जनार्दन
“बरसात का पानी बूँद-बँद बढ़ता हुआ दरार के आखिरी मुकाम पर पहुँचकर ठहर जाता, बूँद की एक थैली बना पीछे से बढ़ती आती बूँदों को...
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 गांधी की सोच : हिंद स्वराज के बहाने

गोपाल प्रधान
आजादी के पचहत्तर साल पूरे होने पर उचित होगा कि भारत की स्वाधीनता के साथ जुड़े प्रसंगों और व्यक्तियों तथा विचारों की जांच परख नये...
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अमेरिका में अहिंसक प्रतिरोध

गोपाल प्रधान
2019 में सिटी लाइट्स बुक्स से माइकेल जी लांग के संपादन में ‘वी द रेजिस्टेन्स: डाकुमेंटिंग ए हिस्ट्री आफ़ नानवायलेन्ट प्रोटेस्ट इन द यूनाइटेड स्टेट्स’...
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‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ की लेखन प्रक्रिया

गोपाल प्रधान
इसके लेखकद्वय घोषणापत्र के लेखन से पहले ही क्रांतिकारियों के बीच चर्चित हो चुके थे । इसके कारण ही लीग ने उन्हें यह दायित्व सौंपा...
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कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र की कहानी

गोपाल प्रधान
2022 में हेड आफ़ जीयस से चाइना मेविल की किताब ‘ए स्पेक्टर, हांटिंग: चाइना मेविल आन द कम्युनिस्ट मेनिफ़ेस्टो’ का प्रकाशन हुआ। उन्नीसवीं सदी के...
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अंबेडकर और समाजवाद

गोपाल प्रधान
2021 में पालग्रेव मैकमिलन से वी गीता की किताब ‘भीमराव रामजी अंबेडकर ऐंड द क्वेश्चन आफ़ सोशलिज्म इन इंडिया’ का प्रकाशन हुआ। लेखिका अंबेडकर के...
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पीटर ग्रे की दृष्टि में शिक्षा का प्रतिदर्श

समकालीन जनमत
राम विनय शर्मा शिक्षा मनुष्य के चहुँमुखी विकास का सबसे प्रमुख माध्यम है। विद्वानों ने शिक्षा को तरह-तरह से परिभाषित करने का प्रयास किया है।...
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समकाल की आवाज़ – कुछ कवि, कुछ नोट्स

उमा राग
कुमार मुकुल   आँखें आशंकित थीं हाथों ने कर दिखाया अजेय की कविताएँ ठोस ढंग से विवेक की ताकत को अभिव्‍यक्‍त करती श्रम की संस्‍कृति...
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आधुनिक स्त्री जीवन का दस्तावेज : मिट्टी का दुःख

समकालीन जनमत
डॉ. वंशीधर उपाध्याय बीसवीं सदी के अंतिम दशक में हिंदी काव्य परम्परा के भीतर जो स्वर उभरे उनमें स्त्री रचनाकारों की लेखनी का स्वर मुकम्मल...
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इंजीकरी: सहेली सा संवाद करतीं, समय की भाषा गढ़तीं बिल्ब पत्र सरीखी कविताएँ

समकालीन जनमत
अर्चना लार्क कवि अनामिका अनु का कविता संग्रह ‘इंजीकरी’। बिल्वपत्र’ सरीखी इस संग्रह की कविताओं को पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं कि पाठक का...
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आरिफा एविस का उपन्यास “नाकाबन्दी” कश्मीर के हाथ-पाँव में बँधी अदृश्य बेड़ि़यों को दृश्यमान करता है

कौशल किशोर
  आरिफा एविस की औपन्यासिक कृति है “नाकाबन्दी”। यह कश्मीर की जमीनी हकीकत को सामने लाती है। इसमें कल्पना की उड़ान नहीं बल्कि यहाँ का...
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पार्वती: कवि-कहानीकार शेखर जोशी की अपनी धरती और अपने लोगों से बहुत गहरे प्यार की कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
सदाशिव श्रोत्रिय मैं देखता हूं कि हमारे अधिकांश लेखक “ नौस्टाल्जिया” शब्द का प्रयोग अक्सर इसके नकारात्मक अर्थ में ही करते हैं । मेरे ख्याल...
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साधारण लोग असाधारण शिक्षक: निराशा के कुहासे को काटती कहानियाँ

समकालीन जनमत
प्रतिभा कटियार सरल होना इतना कठिन क्यों होता है आखिर? सीधी सी बात होती है फिर वह भाषा के जाल में उलझकर क्यों एक पहेली...
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रिक्त स्थान और अन्य कविताएँ: इन कविताओं से गुज़रते हुए प्रेम और कोमलता की बहुत सारी तहों से हमारा साबिका पड़ता है

समकालीन जनमत
प्रियदर्शन ऐसी कई किताबें हैं जिन पर पिछले दिनों लिखने की इच्छा होती रही लेकिन लिखना टलता रहा। शिवप्रसाद जोशी का कविता संग्रह ‘रिक्त स्थान...
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‘1232 km: कोरोना काल में एक असम्भव सफ़र’: लाकडाउन की याद है?

गोपाल प्रधान
2021 में राजकमल से विनोद कापड़ी की ‘1232 km: कोरोना काल में एक असम्भव सफ़र’ को याद रखा जाना चाहिए ताकि वर्तमान सत्ता के जन...
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शिक्षा और स्वतंत्रता- बेल हुक्स की किताब ‘टीचिंग टु ट्रान्सग्रेस: एजुकेशन ऐज द प्रैक्टिस आफ़ फ़्रीडम’

गोपाल प्रधान
1994 में रटलेज से बेल हुक्स की किताब ‘टीचिंग टु ट्रान्सग्रेस: एजुकेशन ऐज द प्रैक्टिस आफ़ फ़्रीडम’ का प्रकाशन हुआ । लेखिका ने किताब की...
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कमला सिंघवी की किताब ‘दाम्पत्य के दायरे’ के बहाने कुछ बातें

समकालीन जनमत
निकिता हाल ही में मैंने “कमला सिंघवी” की पुस्तक “दाम्पत्य के दायरे” पढ़ा, जिसे पढ़ते समय एक स्थान पर बैठे हुए ही मानो मैंने एक...
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ज़ीरो माइल पटना : तीन धाराओं से बनी किताब

समकालीन जनमत
पटना, 21 दिसंबर। जिस तरह पटना तीन नदियों से घिरा है उसी तरह संजय कुंदन की किताब भी कहानी, उपन्यास और कविताओं से मिलाकर बनी...
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एक भारत ऐसा भी

गोपाल प्रधान
भाषा सिंह की किताब ‘अदृश्य भारत: मैला ढोने के बजबजाते यथार्थ से मुठभेड़’ का प्रकाशन 2012 में पेंगुइन बुक्स से हुआ। किताब को एकाधिक अर्थों...
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सोपान जोशी की किताब ‘जल थल मल’-आधुनिक जीवन का ज्ञानकोश

गोपाल प्रधान
राजकमल से 2018 के बाद 2020 में छपी सोपान जोशी की किताब ‘जल थल मल’ को देखने के बाद हूक सी पैदा होती है कि...
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