समकालीन जनमत

Category : ज़ेर-ए-बहस

ज़ेर-ए-बहस

नेताजी बोस, नेहरू और उपनिवेश विरोधी संघर्ष

राम पुनियानी
यदि आधुनिक भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र है तो उसमें देश में चले उपनिवेश विरोधी संघर्ष का प्रमुख योगदान है। विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं वाले...
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अगर कहीं मैं तोता होता, तो क्या होता ?

रवि भूषण
कई दशक पहले एक हिन्दी कवि ने एक कविता लिखी थी ‘अगर कहीं मैं तोता होता, तो क्या होता ?’ पांच वर्ष पहले सुप्रीम कार्ट...
ज़ेर-ए-बहस

मध्यप्रदेश में जातिगत राजनीति की दस्तक

जावेद अनीस
चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश के सियासी मिजाज में बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां राजनीति में कभी भी उत्तरप्रदेश और बिहार की तरह...
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आज का भारत और गांधी का भारत

रवि भूषण
  आज के भारत की कल्पना चार वर्ष पहले तक शायद ही किसी ने की थी। अहिंसा से हिंसा की ओर, सत्य से असत्य की...
ज़ेर-ए-बहस

सवालों का जवाब मांगना गांधी ने सिखाया – प्रो सुधीर चंद्र

समकालीन जनमत
हिन्दू कालेज में ‘आज के सवाल और गांधी’ विषय पर व्याख्यान  डॉ रचना सिंह नई दिल्ली। गांधी ने दुनिया को सिखाया है कि ना कहना...
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जेल का भय रिश्ते का आधार नहीं, संवैधानिक नैतिकता से बनेगा लोकतांत्रिक समाज

कविता कृष्णन
अगर हमारे कानून सामाजिक नैतिकता के आधार पर बनने लगे तो सोचिए कि हमारे समाज का क्या होगा ! क्योंकि सामाजिक नैतिकता तो अक्सर यही...
ज़ेर-ए-बहस

मजदूरों को निचोड़ने और फेंकने का काल है यह

आज संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों में मजदूरों की दशा, अमानवीयता का सामना कर रही है। अपने देश में ज्यादातर मजदूर असंगठित क्षेत्रों में काम...
ज़ेर-ए-बहस

साम्प्रदायिक मनोवृत्ति से मुक्ति की तलाश

समाज में बढ़ते साम्प्रदायिक मनोवृत्ति को कैसे रोका जाये? कैसे नई पीढ़ी में भरी जा रही हिन्दू-मुस्लिम विभाजन, नफरत और भेद-भाव को कम किया जाये,...
ज़ेर-ए-बहस

सरकारी खजाने से चुनावी यात्रा का औचित्य

जावेद अनीस
  जावेद अनीस मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने लम्बे कार्यकाल के दौरान बेहिसाब घोषणाओं, विकास के लम्बे-चौड़े  दावों और विज्ञापनबाजी में बहुत आगे साबित...
ख़बरज़ेर-ए-बहस

उसका भाषण था कि मक्कारी का जादू…

समकालीन जनमत
सौरभ यादव, शोध छात्र, दिल्ली विश्वविद्यालय 15 अगस्त, नई दिल्ली ।आज देश के 72 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रचलित परम्परा के अनुसार प्रधानमंत्री ने डालमिया...
ज़ेर-ए-बहसदुनियापुस्तकशख्सियत

एक और मार्क्स: वर्तमान को समझने के लिए मार्क्स द्वारा उपलब्ध कराए गए उपकरणों की जरूरत

गोपाल प्रधान
  2018 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से मार्चेलो मुस्तो की इतालवी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ प्रकाशित हुआ । अनुवाद...
कहानीज़ेर-ए-बहससाहित्य-संस्कृति

समाज का सच सामने लाती है हेमंत कुमार की कहानी ‘रज्जब अली’

समकालीन जनमत
(कथाकार हेमंत कुमार की कहानी  ‘ रज्जब अली  ’ पत्रिका ‘ पल-प्रतिपल ’ में प्रकाशित हुई है. इस कहानी की विषयवस्तु, शिल्प और भाषा को...
कहानीज़ेर-ए-बहस

हेमन्त कुमार की कहानी ‘ रज्जब अली ’ में सामंती वैभव देखना प्रतिक्रियावाद को मजबूत करना है

समकालीन जनमत
कहानी में मूल समस्या साम्प्रदायिकता है. यह कहानी हमारे समय के लिहाज से एक बेहद जरूरी कहानी है. इसलिए जरूरी यह है कि इस कहानी...
ज़ेर-ए-बहस

समलैंगिक और ट्रांस जेंडर लोगों के सम्मान और बराबरी के अधिकार पर हमला है सेक्शन 377

कविता कृष्णन
1917 के रूसी क्रांति के बाद रूस की क्रांतिकारी सरकार ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया. भारत में समलैंगिकता को अपराध बनाने...
ख़बरज़ेर-ए-बहस

झारखंड के कोचांग में नुक्कड़ नाटक दल की महिलाओं के साथ हुए बलात्कार कांड पर जसम का निंदा प्रस्ताव व बयान

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच झारखंड के खूंटी जिले के कोचांग में नुक्कड़ नाटक करने गईं नाटक टीम की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना की...
ज़ेर-ए-बहस

उन्नीस की बलिवेदी पर कश्मीर

आशुतोष कुमार
कश्मीर को एक बार फिर चुनावी राजनीति की बलिवेदी पर चढ़ा दिया गया है. कश्मीर की निरन्तर जारी त्रासदी का सबसे बड़ा कारण यही है...
ज़ेर-ए-बहस

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 और कुछ नहीं पिछले दरवाजे से लाया गया ‘ हिन्‍दू राष्‍ट्र बिल ’ है

समकालीन जनमत
नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 इजरायली मॉडल पर बना है. यह और कुछ नहीं पिछले दरवाजे से लाया गया एक 'हिन्‍दू राष्‍ट्र बिल ' ही है।...
जनमतज़ेर-ए-बहसशख्सियत

माँ तुझे सलाम !

कविता कृष्णन
(माँ केवल ममता का ही खज़ाना नहीं है बल्कि समझदारी का भी स्रोत होती है.  समाज के बारे में, नैतिकता, यौनिकता, सही और गलत के...
जनमतज़ेर-ए-बहस

दलितों के घर भोजन: मकसद क्या है, वोट या कुछ और?

जिस समय दलितों के घर भोजन की यह नौटंकी चल रही है उसी समय एससी/एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है।उसी समय विश्वविद्यालयों के...
कविताज़ेर-ए-बहस

हरम सरा नहीं कविता चाहिए

‘ जेंडर बाइनरिज़्म ’ दोनों ध्रुवों के बीच पड़ने वाली सारी चीज़ों को परिधि पर फेंक देता है. यह स्थापित करता है कि स्याह और...
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