समकालीन जनमत

Category : ज़ेर-ए-बहस

ज़ेर-ए-बहस

क्या प्रधानमंत्री वकील मुक्त अदालतें चाहते हैं ?

आशुतोष कुमार
एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने राममंदिर पर जो कुछ कहा है, वह न्यायिक प्रक्रिया में सत्ता की ताक़त के बल पर किया...
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न्यायपालिका से जुड़े कुछ अहम सवाल

रवि भूषण
कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के अतिरिक्त न्यायपालिका लोकतंत्र का एक प्रमुख अंग है। न्यायपालिका का मुख्य कार्य सबको समान रूप से न्याय प्रदान करना है जो...
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मनुष्यता पर संकट है पलायन

समकालीन जनमत
शशांक मुकुट शेखर ‘पलायन’ हमेशा दुखद होता है. किसी मनुष्य द्वारा सबसे मुलभूत आवश्यकता भोजन की तलाश को ही जीवन मान लेने को बाध्य हो...
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क्या भारत के लोगों के लिए ‘ न्याय की रोटी ‘ उतनी ही ज़रूरी नहीं जितनी रोज़ी रोटी, शिक्षा, अस्पताल

कविता कृष्णन
संघी फासीवादियों के लिए उनके द्वारा ध्वस्त किए गए मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर फासीवाद के लिए एक विजय घोष जैसा होगा. लेकिन इस...
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नाम बदलने का राजनीतिक-सांस्कृतिक अर्थ

रवि भूषण
विलियम शेक्सपीयर (26.04.1564-23.04.1616) के नाटक ‘रोमियो एण्ड जूलियट’ का प्रकाशन सोलहवीं सदी के अन्त में हुआ था – दो अलग पाठान्तर में। पहला प्रकाशन 1597...
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संगीत की स्वर लहरियों को चुप करने की राजनीति

राम पुनियानी
राम पुनियानी किताबों पर प्रतिबन्ध की मांग और पाकिस्तानी क्रिकेट टीम और वहां के गायकों का विरोध भारत में आम हैं. सैटेनिक वर्सेज को प्रतिबंधित...
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‘रा’ से राम, ‘रा’ से राफेल

रवि भूषण
आर एस एस न राम को छोड़ रहा है और न कांग्रेस राफेल को। दोनों ‘राम’ और ‘राफेल’ को कस कर पकड़े हुए है। अगले...
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भारतीय संवैधानिक अदालतें और धर्मनिरपेक्षता (भाग-1)

समकालीन जनमत
 इरफान इंजीनियऱ   पिछले कुछ वर्षों से, परंपराओं और रीति-रिवाजों के नाम पर, भारत में धर्मनिरपेक्षता को पुनर्परिभाषित करने और उसकी सीमाओं का पुनः निर्धारण...
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राफेल डील : कुछ तो है, जिसकी पर्दादारी है

समकालीन जनमत
जाहिद खान राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर मोदी सरकार की लाख पर्देदारी और एक के बाद एक लगातार बोले जा रहे झूठ के बीच, इस...
जनमतज़ेर-ए-बहस

नोटबंदी से काले धन पर प्रहार भी एक जुमला ही था

इन्द्रेश मैखुरी
  दो वर्ष पूर्व आज ही के दिन यानि 8 नवंबर को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा की गयी थी....
ज़ेर-ए-बहस

नेताजी बोस, नेहरू और उपनिवेश विरोधी संघर्ष

राम पुनियानी
यदि आधुनिक भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र है तो उसमें देश में चले उपनिवेश विरोधी संघर्ष का प्रमुख योगदान है। विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं वाले...
ज़ेर-ए-बहस

अगर कहीं मैं तोता होता, तो क्या होता ?

रवि भूषण
कई दशक पहले एक हिन्दी कवि ने एक कविता लिखी थी ‘अगर कहीं मैं तोता होता, तो क्या होता ?’ पांच वर्ष पहले सुप्रीम कार्ट...
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मध्यप्रदेश में जातिगत राजनीति की दस्तक

जावेद अनीस
चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश के सियासी मिजाज में बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां राजनीति में कभी भी उत्तरप्रदेश और बिहार की तरह...
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आज का भारत और गांधी का भारत

रवि भूषण
  आज के भारत की कल्पना चार वर्ष पहले तक शायद ही किसी ने की थी। अहिंसा से हिंसा की ओर, सत्य से असत्य की...
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सवालों का जवाब मांगना गांधी ने सिखाया – प्रो सुधीर चंद्र

समकालीन जनमत
हिन्दू कालेज में ‘आज के सवाल और गांधी’ विषय पर व्याख्यान  डॉ रचना सिंह नई दिल्ली। गांधी ने दुनिया को सिखाया है कि ना कहना...
ज़ेर-ए-बहस

जेल का भय रिश्ते का आधार नहीं, संवैधानिक नैतिकता से बनेगा लोकतांत्रिक समाज

कविता कृष्णन
अगर हमारे कानून सामाजिक नैतिकता के आधार पर बनने लगे तो सोचिए कि हमारे समाज का क्या होगा ! क्योंकि सामाजिक नैतिकता तो अक्सर यही...
ज़ेर-ए-बहस

मजदूरों को निचोड़ने और फेंकने का काल है यह

आज संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों में मजदूरों की दशा, अमानवीयता का सामना कर रही है। अपने देश में ज्यादातर मजदूर असंगठित क्षेत्रों में काम...
ज़ेर-ए-बहस

साम्प्रदायिक मनोवृत्ति से मुक्ति की तलाश

समाज में बढ़ते साम्प्रदायिक मनोवृत्ति को कैसे रोका जाये? कैसे नई पीढ़ी में भरी जा रही हिन्दू-मुस्लिम विभाजन, नफरत और भेद-भाव को कम किया जाये,...
ज़ेर-ए-बहस

सरकारी खजाने से चुनावी यात्रा का औचित्य

जावेद अनीस
  जावेद अनीस मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने लम्बे कार्यकाल के दौरान बेहिसाब घोषणाओं, विकास के लम्बे-चौड़े  दावों और विज्ञापनबाजी में बहुत आगे साबित...
ख़बरज़ेर-ए-बहस

उसका भाषण था कि मक्कारी का जादू…

समकालीन जनमत
सौरभ यादव, शोध छात्र, दिल्ली विश्वविद्यालय 15 अगस्त, नई दिल्ली ।आज देश के 72 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रचलित परम्परा के अनुसार प्रधानमंत्री ने डालमिया...
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