समकालीन जनमत

Author : समकालीन जनमत

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ख़बर

दिल्ली में रेलवे किनारे हज़ारों हज़ार झुग्गियों को उजाड़ने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू

समकालीन जनमत
  रेल पटरी के नज़दीक बसे लोगों ने कहा – झुग्गी तोड़ने का फैसला उन्हें स्वीकार्य नहीं, ‘आवास का अधिकार’ लेकर रहेंगे वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र...
कविता

स्त्री जीवन के अनचीन्हे सच को दर्ज करतीं रजनी अनुरागी की कविताएँ

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संजीव कौशल रजनी अनुरागी की कविताओं से गुज़रना, शरीर के ताप को सीधे महसूस करना है वह ताप जिसमें धीरे धीरे एक स्त्री का जीवन...
भाषा

उर्दू की क्लास : “क़वायद तेज़” का मतलब

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( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम  की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की छठी क़िस्त में “क़वायद तेज़” के मायने के बहाने उर्दू भाषा के...
भाषा

उर्दू की क्लास : “मौज़ूं” और “मौज़ू” का फ़र्क़

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( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम  की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की पांचवीं   क़िस्त में “मौज़ूं” और “मौज़ू” के फ़र्क़ के बहाने उर्दू भाषा...
कविता

समवेत की आवाज़ हैं मनोज कुमार झा की कविताएँ

समकालीन जनमत
सन्तोष कुमार चतुर्वेदी अब तलक जिन क्षेत्रों को दुर्गम समझा जाता था, आज की कविता वहाँ की यात्रा सहज ही कर लेती है। अब तलक...
जनमत

‘रामदास’ की हत्या का दृश्य-विधान, तब और अब: मनोज कुमार

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[शिक्षा व साहित्य के इलाक़ों में जाने-पहचाने अध्येता मनोज कुमार का यह लेख रघुवीर सहाय की प्रसिद्ध कविता ‘रामदास’ की पुनर्व्याख्या का ज़रूरी कार्यभार सम्पन्न...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

…कहाँ जाईं, का करीं

समकालीन जनमत
कोरोना डायरी : लॉकडाउन-3 नीलिशा [युवा पत्रकार नीलिशा दिल्ली में रहती हैं और इस भयावह वक़्त का दस्तावेज़ीकरण वे कोरोना डायरी नाम से कर रही...
शख्सियत

दास्तान-ए-ख़लीफ़ा

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(आज़ादी के बाद उम्मीद की जाती थी कि लोककलाओं का विकास होगा लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। 60 और 70 का दशक आते-आते जो लोक...
भाषा

उर्दू की क्लास : “आज होगा बड़ा ख़ुलासा!”

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( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम  की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की  चौथी  क़िस्त में “ख़ुलासा” और “बेग़म” के मायने के बहाने उर्दू भाषा...
कविता

सियाह समय से परे एक नई सुबह की दरियाफ़्त करतीं शंकरानंद की कविताएँ

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प्रभात मिलिंद युवा कवि शंकरानंद की इन कविताओं को पढ़ना अपनी ही खोई हुई ज़मीन की तरफ़ फ़िर से लौटने, अपनी ही विस्मृत जड़ों को...
सिनेमा

औरतों की बहुत सी कहानियाँ हमारा इंतज़ार कर रही हैं

समकालीन जनमत
(कोविड -19 की त्रासदी ने हमारे जीवन के सभी पहलुओं पर असर डाला है . हमारी सिनेमा बिरादरी के क्रियाकलाप पर भी इसका बहुत प्रभाव...
देसवा

गाँव की औरतों का कुबूलनामा- तीन

समकालीन जनमत
कीर्ति   “कत्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।” ये वही हुसैन हैं, जिनके लिए उनकी माँ...
ज़ेर-ए-बहस

प्रेमचंद का उपन्यास ‘प्रेमा’ और सामाजिक सुधार का प्रश्न

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निकिता सामाजिक तथा राजनीतिक उलटफेर को यथार्थ रूप से लिखने में यदि किसी का नाम पहले आता है, तो वह प्रेमचंद हैं । खासकर, बात...
कविता

अनुराधा अनन्या की कविताएँ आधी आबादी के पूरे सच को उजागर करती हैं

समकालीन जनमत
निरंजन श्रोत्रिय   युवा कवयित्री अनुराधा अनन्या की कविताओं में स्त्री-विमर्श किन्हीं सिद्धान्तों या भारी भरकम वैचारिक जुगाली के बजाय एक व्यावहारिक और यथार्थ रूप...
भाषा

उर्दू की क्लास : जामिया “यूनिवर्सिटी” कहना कितना मुनासिब ?

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( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम  की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की तीसरी क़िस्त में जामिया के मायने के बहाने उर्दू भाषा के पेच-ओ-ख़म...
जनमत

9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस: ‘यह उनसे सीखने का समय है’

समकालीन जनमत
राजीव कुमार प्रसिद्ध नृतत्वशास्त्री और आदिवासी विषयक विद्वान वेरियर एल्विन की किताब ‘ए फिलॉसफी फ़ॉर नेफा’ (1958) की प्रस्तावना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी...
कविता

गौरव भारती की कविताएँ अपने समय और सियासत की जटिलताओं की शिनाख़्त हैं

समकालीन जनमत
निशांत कोई कवि या कविता तब हमारा ध्यान खींचती है, जब वो हमारे भीतर के तारों को धीरे से छू दे । हमारे भावलोक में...
शख्सियत

भीष्म साहनी का लेखन और ज़िन्दगी के नए फ़लक : डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव

समकालीन जनमत
(आज हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार भीष्म साहनी का जन्मदिन है अपने उपन्यास और टेलीविजन पटकथा ‘तमस’ के लिए उन्हें विश्व स्तर की ख्याति मिली, जो...
कहानी

लाॅकडाउन

समकालीन जनमत
हेमंत कुमार  (लाॅकडाउन, हेमंत कुमार की नयी कहानी है। हेमंत कुमार ने समकालीन ग्रामीण यथार्थ को कहानियों में पुनः स्थापित किया है। ‘रज्जब अली ‘...
सिनेमा

काली स्लेट पर सफेद चॉक से लिखी दोस्ती की इबारत

समकालीन जनमत
  मनोज कुमार    आदर्श विद्यार्थी के जो पाँच लक्षण हमें बताए गए थे उन लक्षणों में सिनेमा देखना नहीं शामिल था| बगुले की तरह...
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