समकालीन जनमत

Month : November 2022

कविता

महेश वर्मा की कविताएँ अनेक अबूझ, बिखरे दृश्यों से संवाद करती हैं

समकालीन जनमत
वसु गंधर्व पाठक बड़ी तन्मयता से, कविताओं के आवरणों से होकर कवि के हृदय की निशीथ तहों को आँकता है। कविता की अपनी अर्थ-भाव-भूमि से इतर,...
समर न जीते कोय

समर न जीते कोय-27

मीना राय
(समकालीन जनमत की प्रबन्ध संपादक और जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मीना राय का जीवन लम्बे समय तक विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक...
ज़ेर-ए-बहस

संयुक्त किसान मोर्चा और किसान आंदोलन की अग्रगति का सवाल

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  लगभग  ग्यारह महीने पहले मोदी ने एकतरफा घोषणा करके तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। कानूनों की वापसी की घोषणा...
पुस्तक

भगत सिंह के साथी: यह किताब क्रांतिकारियों को तथ्यात्मक विवेचना की आधार भूमि पर परखते हुए नए रूप में सामने लाती है

समकालीन जनमत
अश्रुत परमानंद   किसी कवि, (शायद शैलेंद्र) की पंक्तियाँ थीं, “भगतसिंह इस बार न काया, लेना   भारत वासी की. मातृभूमि के लिए अभी भी, सजा ...
कविता

शशिभूषण बडोनी की कविताएँ बड़ी सरलता से दिल पर दस्तक देती हैं

समकालीन जनमत
कल्पना पंत शशिभूषण बडोनी की कविताएँ बड़ी सरलता और ख़ामोशी से दिल पर दस्तक देती हैं. पहली बार इन कविताओं को पढ़ने पर शिल्प की...
जनमतज़ेर-ए-बहस

काशी-तमिल संगमम और राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  दो-तीन दिन से यह खबर प्राथमिकता में चल रही है, कि बनारस में एक महीने तक तमिल संस्कृति की विशेषताओं को रेखांकित करता...
पुस्तक

अंबेडकर का वैचारिक निर्माण

गोपाल प्रधान
अंबेडकर की जीवनी लिखने की उलझन का जिक्र करते हुए वी गीता 2021 में पालग्रेव मैकमिलन से प्रकाशित अपनी किताब ‘भीमराव रामजी अंबेडकर ऐंड द...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी : विस्थापन के खिलाफ संघर्ष की राह पर किसान

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण लखीमपुर खीरी के किसान एक बार फिर संघर्ष के रास्ते पर कदम से कदम मिलाकर चल पड़े हैं। यह संघर्ष हजारों परिवारों की...
साहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध पूँजीवादी समाज की जड़ को पकड़ने वाले कवि हैं :  डॉ. वंदना चौबे

 “मुक्तिबोध की रचनाधर्मिता और हमारा समय” पर संगोष्ठी वाराणसीः प्रलेस की बनारस इकाई की सचिव और आर्य महिला पीजी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर डॉ. वंदना...
साहित्य-संस्कृति

बहुजन समाज के नायक साहित्य के इतिहास से बाहर क्यों ?

  लखनऊ में ” सन्तराम बी ए: प्रतिनिधि विचार ” का लोकार्पण लखनऊ। सन्तराम बी ए फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित डा.महेश प्रजापति की पुस्तक ” सन्तराम...
जनमत

‘प्रेम’ नवीन रांगियाल की कविताओं का अर्क है

समकालीन जनमत
 गीत चतुर्वेदी नवीन रांगियाल की कविताएँ पढ़ते हुए प्राचीन संस्कृत काव्यशास्त्र की सहज स्मृति हो जाती है। नवीन अपनी कविता में हर अक्षर, हर शब्द...
समर न जीते कोय

समर न जीते कोय-26

मीना राय
(समकालीन जनमत की प्रबन्ध संपादक और जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मीना राय का जीवन लम्बे समय तक विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक...
पुस्तक

सांदीनो की बेटियाँ : समाज की मुक्ति के लिए लड़ी स्त्रियों की संघर्ष गाथा

  अरविंद शेखर   स्त्रियां मानव इतिहास का निर्माण कैसे करती हैं। ‘सांदीनो की बेटियां’ किताब इसी का अहम दस्तावेज है। मारग्रेट रांडाल की इस...
स्मृति

मैनेजर पांडे के सरोकार

गोपाल प्रधान
नागार्जुन, प्रेमचंद, रामचंद्र शुक्ल और मुक्तिबोध- यह सूची उन लेखकों की है जिनकी ओर से मैनेजर पांडे ने आज के समय में आलोचना की भूमिका...
शख्सियत

रामनिहाल गुंजन: शब्द संस्कृति के साधक

कौशल किशोर
जन्मदिवस (9 नवंबर) पर (रामनिहाल गुंजन : जन्म – 9 नवम्बर 1936 , मृत्यु – 19 अप्रैल 2022) वरिष्ठ आलोचक रामनिहाल गुंजन का आज 86...
जनमत

आर्थिक आधार पर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण, संविधान की मूल भावना के विपरीत-दीपंकर भट्टाचार्य

पटना। भाकपा-माले की पटना में पोलित ब्यूरो की चल रही बैठक को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आर्थिक रूप से...
स्मृति

मैनेजर पांडेय और जन संस्कृति मंच

गोपाल प्रधान
मैनेजर पांडेय को जो भी जानता है वह इस बात पर ध्यान दिए बगैर नहीं रह सकता कि जन संस्कृति के साथ उनका जुड़ाव वर्तमान...
स्मृति

प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय मुँह में ज़बान रखने वाले आलोचक थे: कौशल किशोर

कौशल किशोर
  शीर्षस्थ कथाकार शेखर जोशी के निधन के शोक से हम अभी उबर भी नहीं पाए थे कि प्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतक, ओजस्वी वक्ता...
स्मृति

प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय को विदाई सलाम: जसम

समकालीन जनमत
जन संस्कृति मंच के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हिंदी के मूर्धन्य आलोचक मैनेजर पांडेय का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। आज...
Fearlessly expressing peoples opinion