समकालीन जनमत

Author : जयप्रकाश नारायण 

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जनमत

कारपोरेट, सेलिब्रिटीज और सरकार

भारत में प्रत्येक 5 साल बाद चुनाव से सरकार बनती है। जनता यह महसूस करती है कि उसने अपने मतों का इस्तेमाल कर सत्ता को...
स्मृति

विजय बहादुर राय का जाना लोकबंधु राज नारायण द्वारा गढ़ी गई सोसलिस्ट पीढ़ी की आखिरी कड़ी का टूटना है

जयप्रकाश नारायण 
भाई साहब विजय बहादुर राय का जाना संसोपा कालीन सोसलिस्ट नेताओं की आखिरी पीढ़ी का चला जाना है। लोकबंधु बंधु राज नारायण की समाजवादी दृढ़ता,...
जनमत

लाल आंखों वाली सरकार और पड़ोसी देश

जयप्रकाश नारायण 
  हम भारतवासियों को 2014 में हुआ चुनाव अवश्य याद होगा। जब कॉर्पोरेट पूंजी के रथ पर सवार मोदी भारतीय राजनीति के क्षितिज पर धूमकेतु...
जनमत

दिल्ली में मजदूर-किसान एकता सम्मेलन 

जयप्रकाश नारायण 
  24 अगस्त को राजधानी दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम  में आयोजित किसानों, मजदूरों का संयुक्त एकता सम्मेलन भारतीय लोकतंत्र की यात्रा के फासीवादी मंजिल...
जनमत

सर्व सेवा संघ का खाली कराया जाना

 वाराणसी में लोकतंत्र का आखिरी स्तम्भ ढहा दिया गया। विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, डॉ राजेंद्र प्रसाद और शास्त्री जी के द्वारा विभिन्न समय पर सहयोग...
जनमत

विकास का सैलाब 

  2014 में लोकसभा के चुनाव के समय विकास की आसमानी बरसात हुई  थी, जिसमें देश के नागरिकों का मानस डूब गया था। अब 9...
जनमत

एनसीपी में टूट के मायने

महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया हुआ है।  शिवसेना के बाद अब एनसीपी का एक हिस्सा टूट कर अलग हो गया है। कभी शरद पवार...
जनमतशख्सियत

स्वामी सहजानंद सरस्वती: एक सतत विप्लवी की जीवन यात्रा

जयप्रकाश नारायण  स्वामी जी की जयंती के अवसर पर दस वर्ष पहले मैंने छोटी सी पुस्तिका लिखी थी ‘स्वामी सहजानंद एक जनविप्लवी’। यह पुस्तक स्वामी...
जनमत

लोकतंत्र  का सवाल, विपक्षी एकता और पटना सम्मेलन 

जयप्रकाश नारायण  जलता मणिपुर, उत्तराखंड में फर्जी मुद्दे खड़ा कर मुसलमान विरोधी अभियान, देवभूमि खाली करो पोस्टर तथा गुजरात के जूनागढ़ में दरगाह को तोड़ने...

विपक्षी एकता की जटिलता-भारत की विविधता के संदर्भ में

जयप्रकाश नारायण  भारत में आरएसएस-भाजपा की  डबल इंजन सरकारों ने मुल्क को ऐसी जगह पहुंचा दिया है, जहां सभी लोकतांत्रिक, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष ताकतों की एकता...
जनमत

मणिपुर हिंसा और संघ-भाजपा की राजनीति

जयप्रकाश नारायण  अरुणाचल प्रदेश से त्रिपुरा तक 1643 किमी. म्यांमार और 4057 किमी. चीन से सटे पहाड़ियों, घाटियों और मैदानों के बीच बसे 164 से...
जनमत

ब्राजील में लूला की जीत के मायने

जयप्रकाश नारायण  लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े मुल्क ब्राजील में एक जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में लूला डिसिल्वा ने शपथ ली। उनकी विजय  सैन्य...
ज़ेर-ए-बहस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस और हिन्दूवादी दुष्प्रचार

जयप्रकाश नारायण बात 1984 के सितंबर की है। इंडियन पीपुल्स फ्रंट का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन कोलकाता में होना तय हुआ था। सम्मेलन की तैयारी चल...
ज़ेर-ए-बहस

गुजरात आम चुनाव और उत्तर प्रदेश के उपचुनावों के परिणाम के मायने

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  7 दिसंबर को दिल्ली एमसीडी और 8 दिसंबर को गुजरात, हिमाचल  विधानसभा चुनाव सहित पांच राज्यों के उपचुनाव के परिणाम आए। समाचार माध्यमों...
ज़ेर-ए-बहस

जी -20 सम्मेलन, भारत और प्रोपेगंडा

जयप्रकाश नारायण  इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर  15-16 नवम्बर 2022 को जी 20 देशों की एक समिट यानी बैठक हुई। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा...
ज़ेर-ए-बहस

संयुक्त किसान मोर्चा और किसान आंदोलन की अग्रगति का सवाल

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  लगभग  ग्यारह महीने पहले मोदी ने एकतरफा घोषणा करके तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। कानूनों की वापसी की घोषणा...
जनमतज़ेर-ए-बहस

काशी-तमिल संगमम और राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  दो-तीन दिन से यह खबर प्राथमिकता में चल रही है, कि बनारस में एक महीने तक तमिल संस्कृति की विशेषताओं को रेखांकित करता...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी : विस्थापन के खिलाफ संघर्ष की राह पर किसान

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण लखीमपुर खीरी के किसान एक बार फिर संघर्ष के रास्ते पर कदम से कदम मिलाकर चल पड़े हैं। यह संघर्ष हजारों परिवारों की...
जनमतशख्सियत

हिन्दी भाषी उत्तर भारत में पेरियार की धमक के मायने

जयप्रकाश नारायण 
जयप्रकाश नारायण  जिस समय 19वीं सदी के आखिरी चौथाई के नायक कारपोरेट हिंदुत्व गठजोड़ के हमलों के दायरे में हैं। ऐसे समय में 1879 में...
ज़ेर-ए-बहस

आजादी के पचहत्तर वर्षः प्रोपोगंडा, पाखंड और यथार्थ- चार

जयप्रकाश नारायण  हर घर तिरंगा अभियान अपने चरम पर है। लायल्टी प्रर्दशित करने के लिए अभियान में नौकरशाही से लेकर उद्योग जगत तक उतर चुका...
Fearlessly expressing peoples opinion