समकालीन जनमत
जनमत

आर्थिक आधार पर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण, संविधान की मूल भावना के विपरीत-दीपंकर भट्टाचार्य

पटना। भाकपा-माले की पटना में पोलित ब्यूरो की चल रही बैठक को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जा रहे 10 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराया जाना एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है, जो संविधान की मूल भावना के भी विपरीत है.

उन्होंने कहा कि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक, शैक्षिक व ऐतिहासिक पिछड़ेपन के आधार पर की गई है. जिस वक्त यह 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जा रहा था, हमने उसका विरोध किया था और आज एक बार फिर अपना विरोध दर्ज करते हैं.

दूसरी ओर, न्यायालय द्वारा वंचितों के आरक्षणों को लेकर तरह-तरह की शर्तें और जमीनी डाटा कलेक्शन के नाम पर उसमें जारी कटौती को न्यायोचित ठहराया जा रहा है. वहीं, सामाजिक तौर पर ऊंचे पायदान पर खड़े लोगों के लिए विशेष आरक्षण के प्रावधान को बिना जमीनी हकीकत जाने न्यायसंगत ठहराना कत्तई उचित नहीं है. आठ लाख सालाना आमदनी को आधार बनाकर 10 प्रतिशत विशेष आरक्षण का प्रावधान आर्थिक तौर पर कमजोर सामाजिक समूह की भी हकमारी है.

उन्होंने कहा कि और भी बड़े संवैधानिक बेंच का गठन करके इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion