समकालीन जनमत

Tag : Kaushal Kishore

कविता

उर्मिल मोंगा की कविताएँ स्वप्न और उम्मीद जगाती हैं

समकालीन जनमत
कौशल किशोर कहा जाता है कि मानवीय दर्द का एहसास व अनुभूति तथा मुक्ति की कलात्मक अभिव्यक्ति ही आज की कविता है। भाव, विचार व...
स्मृति

प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय मुँह में ज़बान रखने वाले आलोचक थे: कौशल किशोर

कौशल किशोर
  शीर्षस्थ कथाकार शेखर जोशी के निधन के शोक से हम अभी उबर भी नहीं पाए थे कि प्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतक, ओजस्वी वक्ता...
कविता

प्रेम नन्दन की कविताएँ लोकजीवन और उसके संघर्ष की कविताएँ हैं

समकालीन जनमत
कौशल किशोर   प्रेम नन्दन की कविताओं से गुजरते हुए लगता है कि लोकजीवन और उसका संघर्ष अपनी गरिमा के साथ उपस्थित है। यहां ‘पथराई...
कविता

शुक्ला चौधुरी : मैं लिखूँ कविता पेड़ों की/चिड़ियों की/ ख़ौफ़ नहीं/प्रेम की…..

समकालीन जनमत
कौशल किशोर शुक्ला चौधुरी ऐसी कवयित्री हैं जिन्हें आकाश की ऊँचाई का पता है। वे जानती हैं कि हाथ से आकाश को नहीं छू सकती...
कविता

भास्कर चौधुरी की कविताएँ: यहाँ कोई सरहद नहीं है

समकालीन जनमत
कौशल किशोर समकालीन रचनाशीलता दबाव में है। रचनाकार के निजी जीवन, अनुभव संसार, भाव-संवेदना,  लय-ध्वनि सभी अतिरिक्त दबाव में हैं। यह उसके अन्तर्य पर बाह्य...
पुस्तक

आरिफा एविस का उपन्यास “नाकाबन्दी” कश्मीर के हाथ-पाँव में बँधी अदृश्य बेड़ि़यों को दृश्यमान करता है

कौशल किशोर
  आरिफा एविस की औपन्यासिक कृति है “नाकाबन्दी”। यह कश्मीर की जमीनी हकीकत को सामने लाती है। इसमें कल्पना की उड़ान नहीं बल्कि यहाँ का...
कविता

उमेश पंकज की कविताएँ जनता की अदम्य शक्ति और साहस की बानगी हैं

समकालीन जनमत
कौशल किशोर   ‘बिजलियों की गड़गड़ाहट/और बारिश की बूंदों में/परिलक्षित होता है मालिक का शोर/और मजदूरों का मार्मिक विलाप/न जाने यह कैसी विडंबना है/उषा काल...
कविता

सुशील कुमार की कविताएँ मौजूदा सत्ता संरचना और व्यवस्था का प्रतिपक्ष रचती हैं

समकालीन जनमत
कौशल किशोर   मुक्तिबोध कालयात्री की बात करते हैं। मतलब कविता अपने काल के साथ सफर करती है । उसका अटूट रिश्ता काल से है...
कविता

दिलीप दर्श की कविताएँ सामाजिक द्वन्द्व को उकेरती हैं

कौशल किशोर दिलीप दर्श की रचनात्मक स्थितियां वर्तमान के द्वन्द्व से तैयार होती हैं। इनमें सामाजिक संघर्ष, अतीत की सीखें, शोषक-शासक शक्तियों की पहचान, वर्ग...
कविताजनमत

भगवान स्वरूप कटियार की कविताएँ : जीवन को बचाने के लिए ज़रूरी है प्रेम

समकालीन जनमत
कौशल किशोर ‘आज हम सब/हो गए हैं/अपनी-अपनी सरहदों में जी रहे हैं छोटे-छोटे उपनिवेश और एक-दूसरे के लिए/पैदा कर रहे हैं भय, आतंक, दहशत/और गुलामी...
कवितासाहित्य-संस्कृति

उमेश पंकज का कविता पाठ: ‘मेहतर से नहीं कोई इंसान बेहतर’

कौशल किशोर
लखनऊ, 25 अगस्त। ‘वह पेड़ पर चढ़ कर/हरा बन गयी…..पेड़ से वह गिर गयी/रोप दी गयी मिट्टी में/वह फिर से उग रही है/उस तरह जिस...
कविताशख्सियत

यथार्थ के अन्तर्विरोधों को उदघाटित करते कवि राजेन्द्र कुमार

कौशल किशोर
( जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कवि और आलोचक राजेन्द्र कुमार (24/7/1943) आज  76 साल के हो गए. एक शिक्षक, कवि, आलोचक और एक ...
कविता

नयी धुन और नया गीत रचती हैं उषा राय की कविताएँ

समकालीन जनमत
कविताओं में सब कविताएँ नहीं होतीं। जिसे हम कविता कहते हैं, वह भी समूची कविता नहीं होती। कविता किसी शब्द संरचना के भीतर खुद को...
कविता

प्रतिरोध को बयां करती है कवि कौशल किशोर की “नयी शुरुआत”

समकालीन जनमत
आशीष मिश्र जब हम जवानी के दौर में परवाज़ भर रहे होते हैं तो उस वक्त देश और समाज को लेकर उसके भीतर मौजूद तमाम हलचलों...
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