कविता आधुनिक जीवन की विसंगतियों के मध्य मानवीय संवेदना की पहचान की कवितायेंसमकालीन जनमतJuly 15, 2018July 15, 2018 by समकालीन जनमतJuly 15, 2018July 15, 201802441 विनय दुबे की कविताओं में सहजता और दृश्य की जटिलताओं का जो सहभाव नज़र आता है, वह उन्हें अपनी पीढ़ी का अप्रतिम कवि बनाता है....
शख्सियतस्मृति भुलाए नहीं भूलेगा यह दिनसमकालीन जनमतJune 30, 2018June 30, 2018 by समकालीन जनमतJune 30, 2018June 30, 201802910 कमरे में चौकी पर बैठे थे नागार्जुन. पीठ के पीछे खुली खिड़की से जाड़े की गुनगुनी धूप आ रही थी. बाहर गौरैया चहचहा रही थी....
जनमतशख्सियत खैनी खिलाओ न यार! /उर्फ / मौत से चुहल (सखा, सहचर, सहकर्मी, कामरेड महेश्वर की एक याद)रामजी रायJune 25, 2018June 25, 2018 by रामजी रायJune 25, 2018June 25, 20182 3174 अपने प्रियतर लोगों- कृष्णप्रताप (के.पी.), गोरख, कामरेड विनोद मिश्र, महेश्वर पर चाहते हुए भी आज तक कुछ नहीं लिख सका। पता नहीं क्यों? इसकी वज़ह...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति पराजय को उत्सव में बदलती अनुपम सिंह की कविताएँसमकालीन जनमतJune 24, 2018June 19, 2019 by समकालीन जनमतJune 24, 2018June 19, 20192 3446 (अनुपम सिंह की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे वे अपने साथ हमें पितृसत्ता की एक बृहद प्रयोगशाला में लिए जा रहीं हैं...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति कुमार मुकुल की कविताएँ : लोकतंत्र के भगवाकरण की समीक्षासमकालीन जनमतJune 10, 2018June 10, 2018 by समकालीन जनमतJune 10, 2018June 10, 20187 3304 30 वर्षों से रचनारत कुमार मुकुल के कविता परिदृश्य का रेंज विशाल और वैविध्य से भरा है , प्रस्तुत कविताओं में आज के समय को...
कविताशख्सियतसाहित्य-संस्कृति जनकवि सुरेंद्र प्रसाद की 84वीं जयंती मनाई गईसमकालीन जनमतJune 2, 2018June 2, 2018 by समकालीन जनमतJune 2, 2018June 2, 201804685 बी. आर. बी. कालेज , समस्तीपुर के सभागार में 17 मई, 2018 को जन संस्कृति मंच और आइसा के संयुक्त तत्वावधान में मिथिलांचल के दुर्धर्ष...
जनमत त्रासदी बनते इतिहास का आख्यानः मदन कश्यप का काव्यसमकालीन जनमतMay 29, 2018May 29, 2018 by समकालीन जनमतMay 29, 2018May 29, 201803469 प्रणय कृष्ण (कवि मदन कश्यप को जनमत टीम की ओर से जन्मदिन की हार्दिक बधाई। इस अवसर पर पढ़िए ‘नीम रोशनी में’ संग्रह पर लिखा...
कविता एक कविता: दोष नहीं कुछ इसमें [अद्दहमाण]मृत्युंजयMay 27, 2018June 1, 2018 by मृत्युंजयMay 27, 2018June 1, 20183 2983 विद्वानों के मुताबिक़ अद्दहमाण [अब्दुल रहमान] का काल 12वीं सदी के कुछ पहले ही ठहरता है। यहाँ कुछ छंद उनके ग्रंथ ‘संदेस–रासक‘ से चुने गए...
कविताशख्सियत यातना का प्रतिकार प्रेमसमकालीन जनमतMay 16, 2018May 16, 2018 by समकालीन जनमतMay 16, 2018May 16, 201804179 मंगलेश की कविता ने प्रेम को बराबर एक सर्वोच्च मूल्य के तौर पर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन एकान्त में नहीं, यातना के बरअक्स; क्योंकि...
कवितासाहित्य-संस्कृति प्रदीप कुमार सिंह की कविताएँ : विह्वल करने से ज़्यादा विचार-विकल करती हैंउमा रागMay 13, 2018May 13, 2018 by उमा रागMay 13, 2018May 13, 201812651 नदी समुद्र में जाकर गिरती है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन यह सच्चाई तो प्रदीप की कविता को पता है कि नदी अपना दुःख...
कवितासाहित्य-संस्कृति एक कविता: चोरी-चुप्पे [प्रकाश उदय]मृत्युंजयMay 12, 2018May 12, 2018 by मृत्युंजयMay 12, 2018May 12, 201813678 कविता 'चुप्पे-चोरी', जो एक लड़की की बहक है। यह लड़की गाँव की है, नटखट है। उसने उड़ने के लिए चिड़िया के पंख और गोता लगाने...
तस्वीरनामा सत्ता का प्रतिपक्ष रचती हैं कौशल किशोर की कविताएंसमकालीन जनमतMay 8, 2018May 8, 2018 by समकालीन जनमतMay 8, 2018May 8, 20182 2320 ‘वह औरत नहीं महानद थी’ तथा ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ का हुआ विमोचन लखनऊ. ‘हंसो, इसलिए कि रो नहीं सकते इस देश में/हंसो, खिलखिलाकर/अपनी पूरी...
कवितासाहित्य-संस्कृति साक्षी मिताक्षरा की कविताएं : गाँव के माध्यम से देश की राजनीतिक समीक्षाउमा रागApril 24, 2018April 24, 2018 by उमा रागApril 24, 2018April 24, 201811 2915 आर. चेतन क्रांति गाँव हिंदी कविता का सामान्यतः एक सुरम्य स्मृति लोक रहा है, एक स्थायी नोस्टेल्जिया, जहाँ उसने अक्सर शहर में रहते-खाते-पीते, पलते-बढ़ते लेकिन...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति इस क्रूरता पर हम सिर्फ़ रोयेंगें नहीं: सविता सिंहउमा रागApril 20, 2018April 21, 2018 by उमा रागApril 20, 2018April 21, 201813163 सविता सिंह आज कल मेरी सैद्धांतिक समझ इस बात को समझने में खर्च हो रही है कि किसी देश में छोटी बच्चियों के साथ इतना घिनौना...
जनमत गंवई संवेदना और वैश्विक दृष्टि के कविसमकालीन जनमतMarch 21, 2018March 22, 2018 by समकालीन जनमतMarch 21, 2018March 22, 201812738 अरुण आदित्य केदारनाथ सिंह करीब चार दशक से दिल्ली में रहते हुए भी ग्रामीण संवेदना के कवि बने रहे। छल-बल की इस राजधानी में भी...
स्मृति मै गांव-जवार और उसके सुख-दुख से जुड़ा हुआ हूंमनोज कुमार सिंहMarch 20, 2018June 23, 2020 by मनोज कुमार सिंहMarch 20, 2018June 23, 202002714 (ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने के बाद डॉ केदारनाथ सिंह से यह संक्षिप्त बातचीत टेलीफ़ोन पर हुई थी. यह साक्षात्कार दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुआ था. )...
स्मृति अलविदा, स्टार गुरु जी !संजय जोशीMarch 20, 2018March 20, 2018 by संजय जोशीMarch 20, 2018March 20, 201802046 मैंने 1989 के जुलाई महीने में जे एन यू के भारतीय भाषा विभाग के हिंदी विषय में एडमिशन लिया. कोर्स एम ए का था....
कविताशख्सियतसाहित्य-संस्कृति उठो कि बुनने का समय हो रहा हैसमकालीन जनमतMarch 19, 2018June 23, 2020 by समकालीन जनमतMarch 19, 2018June 23, 202002464 केदारनाथ सिंह की कुछ कविताएं मुक्ति का जब कोई रास्ता नहीं मिला मैं लिखने बैठ गया हूँ मैं लिखना चाहता हूँ ‘पेड़’ यह जानते...
कवितामल्टीमीडिया यह कैसा फागुन आया है !समकालीन जनमतMarch 2, 2018April 8, 2020 by समकालीन जनमतMarch 2, 2018April 8, 202001487 ( मुजफ्फरपुर के धरमपुर गांव में भाजपा नेता द्वारा बोलेरो गाड़ी से कुचलकर 9 बच्चों को मार डालने की घटना पर कवि एवं संस्कृतिकर्मी संतोष...
कवितासाहित्य-संस्कृति जनपक्षधरता से लैस हैं कौशल किशोर की कविताएंसमकालीन जनमतFebruary 20, 2018February 26, 2018 by समकालीन जनमतFebruary 20, 2018February 26, 201812624 लखनऊ में वरिष्ठ कवि एवं संस्कृतिकर्मी कौशल किशोर का एकल काव्य पाठ और परिचर्चा का आयोजन संदीप कुमार सिंह नागरिक परिषद्, लखनऊ द्वारा इंडियन...