समकालीन जनमत

Category : कविता

कविताजनमत

समय के छद्म को उसकी बहुस्‍तरियता में उद्घाटित करतीं कल्पना मनोरमा

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कुमार मुकुल लालसा सन्यास के पद गुनगुनाये चाटुकारी जब रचे उपसर्ग प्रत्यय तुष्ट होकर अहम सजधज मुस्कुराये। वर्तमान समय की राजनीतिक उलटबांसी और उससे पैदा...
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स्‍त्री और प्रकृति की नूतन अस्तित्‍वमानता को स्‍वर देतीं ऋतु मेहरा की कविताएँ

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कुमार मुकुल    ऋतु मेहरा की कविताएँ आपाधापी भरे जीवन और प्रकृति के विस्‍तृत वितान के मध्‍य एक तालमेल बिठाने का प्रयास करती कविताएं हैं।...
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भगवान स्वरूप कटियार की कविताएँ : जीवन को बचाने के लिए ज़रूरी है प्रेम

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कौशल किशोर ‘आज हम सब/हो गए हैं/अपनी-अपनी सरहदों में जी रहे हैं छोटे-छोटे उपनिवेश और एक-दूसरे के लिए/पैदा कर रहे हैं भय, आतंक, दहशत/और गुलामी...
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बरेली में वीरेन डंगवाल के स्मारक का लोकार्पण

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साहित्य अकादेमी सम्मान से पुरस्कृत विख्यात हिन्दी कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में बरेली में एक स्मारक का लोकार्पण आज किया गया. हिन्दी के जाने-माने...
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सुघोष मिश्र की कविता वर्तमान की जटिलताओं से उपजे द्वंद्व की अभिव्यक्ति है

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आलोक रंजन सुघोष मिश्र की कविताओं को पढ़कर लगा कि उनकी कविताओं से परिचय कराना सरल कार्य नहीं है । इसके पीछे का एक सीधा...
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भाषा के अनोखे बर्ताव के साथ कविता के मोर्चे पर चाक चौबंद कवि कुमार विजय गुप्त

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नवनीत शर्मा इस कवि के यहां अनाज की बोरियों का दर्द के मारे फटा करेजा नुमायां होता है…। यह उन शब्दों की तलाश में है...
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बबली गुज्जर की कविताएँ ‘औरत के मन की राह’ को एसर्ट करती हैं

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अमरेंद्रनाथ त्रिपाठी प्रेम इन कविताओं में आवर्ती विषयवस्तु की तरह है। इसी के जरिये रचनाकार अन्य जरूरी संवेदनात्मक पक्षों पर भी मुखर हुआ है। एक...
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अर्पिता राठौर की कविताएँ लघुता की महत्ता की अभिव्यक्ति हैं

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साक्षी सिंह अर्पिता की कलम एकदम नई है और ख़ुद को अभिव्यक्त करने की बेचैनी से ज़्यादा जो अभिव्यक्त है उसके हर सम्भव आयाम को...
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नबनीता देब सेन की कविताओं में प्रेम और रिश्तों की अभूतपूर्व संवेदनाओं और द्वंद्वों को स्वर मिला है

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मीता दास बंगाली साहित्य की प्रमुख लेखिका नबनीता देब सेन 81 साल की थीं। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित लेखिका ने 7/11/19 गुरुवार की शाम 7.30...
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वीरेनियत 4: सन्नाटा छा जाए जब मैं कविता सुनाकर उठूँ

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पंकज चतुर्वेदी ‘वीरेनियत-4’ के अन्तर्गत इंडिया हैबिटेट सेण्टर, नयी दिल्ली में शुभा जी का कविता-पाठ सुना। उनकी कविताएँ समकालीन परिस्थितियों से उपजे इतने गहन तनाव...
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वीरेनियत 4: अनसुनी पर ज़रूरी आवाज़ों का मंच

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अदनान कफ़ील ‘दरवेश’ कल ‘वीरेनियत’ के चौथे संस्करण में जाने का मौक़ा मिला। दिल्ली की आब-ओ-हवा में इस वक़्त ज़हर की तासीर घुली हुई है।कुहेलिका...
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वीरेनियत 4: जहाँ कविता के बाद का गहन सन्नाटा बजने लगा

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आशुतोष कुमार दिन वैसे अच्छा नहीं था। दिल्ली आसपास का दम काले धुंए में घुट रहा था। छुट्टियों के कारण बहुत से दोस्त शहर से...
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विनय सौरभ लोक की धड़कती हुई ज़मीन के कवि हैं

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प्रभात मिलिंद कवि अपनी कविता की यात्रा पर अकेला ही निकलता है. जब इस यात्रा के क्रम में पाठक उसके सहयात्री हो जाएँ तो समझिए...
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रंजना मिश्र की कविताओं में जीवन उदासी के साये में खड़ा हुआ भी जिजीविषा से भरा रहता है।

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प्रतिमा त्रिपाठी भाषाई उठापटक, शब्दों के खेल और अर्थों के रचे हुये मायावी संसार से बोझिल होती हुई कविताओं के इस समय में रंजना मिश्रा...
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श्रम के सौंदर्य के कवि हैं अनवर सुहैल

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ज़ीनित सबा अनवर सुहैल समकालीन हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार होने के साथ साथ महत्वपूर्ण कवि भी हैं. उन्हें लोग विशेष रूप से ‘गहरी जड़ें’ कहानी संग्रह और ‘पहचान’ उपन्यास...
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स्त्री जीवन की पीड़ाओं के नॉर्मलाइज़ होते जाने का विरोध हैं अपर्णा की कविताएँ

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संजीव कौशल अपर्णा अनेकवर्णा से मेरा परिचय उनकी कविताओं के रास्ते ही है और यह रास्ता इतना अलग और आकर्षक है कि यहां से गुज़रते...
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अंधेरे के ख़िलाफ़ ज़माने को आगाह करती हैं मुकुल सरल की कविताएँ

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गीतेश सिंह अभी कुछ सप्ताह पहले जब हम त्रिलोचन को याद कर रहे थे, तो उनकी एक कविता लगातार ज़ेहन में चलती रही -कविताएँ रहेंगी तो/ सपने...
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प्रज्ञा की कविता व्यक्ति पर समाज और सत्ता के प्रभाव से उठने वाली बेचैनी है

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निकिता नैथानी ‘कविताएँ  आती हैं आने दो थोड़ी बुरी निष्क्रिय और निरीह हो तो भी..’ इस समय जब लोग आवाज़ उठाने और स्पष्ट रूप से...
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एकांत और संवेदना की नमी में आकंठ डूबा कवि प्रभात मिलिंद

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रंजना मिश्र प्रभात मिलिंद की कविताओं से गुज़रना संवेदनशील आधुनिक मानव मन की निरी एकांत यात्रा तो है ही साथ ही परिवार समाज और देश...
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आत्‍मीयता का रंग और लोक का जीवट : इरेन्‍द्र की कविताएँ

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कुमार मुकुल आत्‍मीयता इरेन्‍द्र बबुअवा की कविताओं का मुख्‍य रंग है। इस रंग में पगे होने पर दुनियावी राग-द्वेष जल्‍दी छू नहीं पाता। भीतर बहती...
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