समकालीन जनमत

Category : साहित्य-संस्कृति

नाटक

‘ स्त्री-पत्र ’ का मंचन : स्त्री की बुद्धिमत्ता सभी के लिए असहज है

समकालीन जनमत
सातवां ‘ रंग ए माहौल ’ के चौथे दिन मशहूर अभिनेत्री सीमा विश्वास ने मंच पर जीवंत किया ‘ स्त्री-पत्र ’ का मंचन बेगूसराय.  दिनकर कला...
नाटक

‘ रंग ए माहौल’ के तीसरे दिन सीगल थिएटर आसाम का ‘ आकाश ’ का मंचन

समकालीन जनमत
बेगूसराय. द फैक्ट रंगमंडल द्वारा आयोजित सातवाँ ‘ रंग ए माहौल ‘ के तीसरे दिन रविवार की संध्या सीगल थिएटर गुवाहाटी की चर्चित नाट्य प्रस्तुति...
दुनियासाहित्य-संस्कृति

कथाकार अल्पना मिश्र की जापान यात्रा

समकालीन जनमत
हिंदी की महत्वपूर्ण कथाकार अल्पना मिश्र के लेखन और जीवन पर जापान के चार मुख्य शहरों में  साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया.  इस दौरान अल्पना...
कविता

मौजूदा समय से वाबस्ता अरुणाभ की कविताएँ

समकालीन जनमत
रमण कुमार सिंह अरुणाभ सौरभ हिंदी और मैथिली के प्रखर युवा कवि हैं, जो दोनों भाषाओं में न केवल समान गति से सृजनरत हैं, बल्कि...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

पद्धति संबंधी कुछ जरूरी स्पष्टीकरण

गोपाल प्रधान
( 2018 में ब्लूम्सबरी एकेडमिक से मार्चेलो मुस्तो की इतालवी किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘एनादर मार्क्स: अर्ली मैनुस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल’ प्रकाशित हुआ है. अनुवाद...
सिनेमा

‘हाशिये के लोगों’ को समर्पित होगा छठा उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल

संजय जोशी
19 दिसंबर, उदयपुर   उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी और प्रतिरोध का सिनेमा अभियान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित होने वाला उदयपुर का सालाना सिनेमा जलसा छठा...
नाटक

बेगुसराय में ‘ धूर्तसमागम ’ का मंचन

बेगुसराय (बिहार). शहर के दिनकर कला भवन में सोमवार की शाम जसम की नाट्य इकाई रंगनायक द लेफ्ट थियेटर द्वारा कवि ज्योतिरीश्वर ठाकुर की कृति...
पुस्तकसाहित्य-संस्कृति

पूंजी और उससे पैदा विक्षोभ

गोपाल प्रधान
2011 में पी एम प्रेस से साशा लिली की किताब ‘ कैपिटल ऐंड इट्स डिसकांटेन्ट्स: कनवर्सेशंस विथ रैडिकल थिंकर्स इन ए टाइम आफ़ ट्यूमल्ट’ का...
कविता

संभावनाओं के बिम्ब गढ़ती आँचल की कविताएँ

समकालीन जनमत
लोकेश मालती प्रकाश व्यक्ति की निजता अमानवीय सत्ताओं के निशाने पर हमेशा से रही है। ग़ुलामी की सबसे मुकम्मल स्थिति वह होती है जब ग़ुलाम...
स्मृति

जिस दिन राजकपूर अपना जन्मदिन मना रहे थे उसी दिन शैलेंद्र ने यह दुनिया छोड़ दी

समकालीन जनमत
आलोक रंजन राजकपूर और शैलेंद्र ये दो नाम केवल इसलिए साथ नहीं लिए जाते रहेंगे कि इन्होंने साथ काम किया और बहुत अच्छा काम किया...
नाटक

एक पागल की डायरी : एक सार्थक संभावनाशील प्रस्तुति

समकालीन जनमत
पुंज प्रकाश नाट्य प्रस्तुतियों में समकालीनता एक ज़रूरी शर्त है। अपने समय से मुंह चुराता हुआ नाट्य समय, धन और ऊर्जा की बर्बादी और व्यर्थ...
स्मृति

देख लो आज हमको जी भर के

समकालीन जनमत
उनकी आवाज सबसे पहले रेडियो पर सुनाई दी, सोलह बरस की एक शोख लड़की की पुरकशिश आवाज ।सांवली रंगत और हिरनी जैसी बड़ी बड़ी आंखों...
सिनेमा

10 वां पटना फिल्मोत्सव : हिंसा, नफरत और उन्माद से बच्चों को बचाने की मार्मिक अपील

समकालीन जनमत
क्रांतिकारी कवि और बुद्धिजीवी सरोज दत्त के जीवन और विचार से रूबरू हुए दर्शक पटना: 11 दिसंबर. 10 वें पटना फिल्मोत्सव के आखिरी दिन की...
सिनेमा

नये फिल्मकारों की फिल्मों ने जनपक्षीय सिनेमा के प्रति उम्मीद जगाई

10वां पटना फिल्मोत्सव: प्रतिरोध का सिनेमा महानगर से लेकर गांवों और आदिवासी इलाकों तक के जन-जीवन की सच्चाइयों से रूबरू हुए दर्शक लोककलाकार भिखारी ठाकुर...
सिनेमा

हिमांचली बच्चों के बीच सिनेमा के जरिये देश दुनिया की खबर

संजय जोशी
कांगड़ा (हिमांचल) 11 दिसंबर. कानपुर, फरीदाबाद, वाराणसी, दिल्ली, बैंगलोर, जयपुर जैसे शहरों में हवा और पानी दिनोदिन ख़राब होता जा रहा है इसके अलावा शहरी...
कहानी

अपने समकालीन कहानीकारों के बीच शेखर जोशी की कहानियाँ

समकालीन जनमत
नई कहानी के दौर के कहानीकारों ने मनुष्य-जीवन के विविध पहलुओं को वहीं से पकड़ा जहाँ प्रेमचन्द ने उसे छोड़ा था। शिल्पगत नवीनता और प्रामाणिक...
सिनेमा

भारतीय सिनेमा हाशिये के लोगों का सिनेमा नहीं है : पवन श्रीवास्तव

समकालीन जनमत
प्रतिरोध का सिनेमा : 10 वां पटना फिल्मोत्सव पटना. ‘‘जिसे भारतीय सिनेमा कहा जाता है, उसे भारतीय सिनेमा नहीं कहना चाहिए। वह सच्चे अर्थों में...
कविता

‘ अजीब समय के नए राजपत्र ’ के विरुद्ध तनकर खड़ी कविता

दीपक सिंह
पंकज चतुर्वेदी बहुत ही संवेदनशील और समय-सजग रचनाकार हैं | उनकी कविताओं से गुजरते हुए जन कवि गोरख पाण्डेय की कविता पंक्तियां बार-बार मन में...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति

कवि विद्रोही की याद में कविता पाठ और परिचर्चा

समकालीन जनमत
जनकवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ के स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर 7 दिसंबर को जन संस्कृति मंच की दिल्ली इकाई के सचिव रामनरेश राम के...
व्यंग्यसाहित्य-संस्कृति

नया भक्ति-सूत्र

समकालीन जनमत
औढर  अफ़वाह आत्मा की तरह होती है. उसे किसी ने देखा नहीं होता, लेकिन सभी उसमें यकीन करते  हैं. अफ़वाह आत्मा की तरह अजर-अमर होती...
Fearlessly expressing peoples opinion