समकालीन जनमत

Category : शिक्षा

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एक दीवार पत्रिका का सफर

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प्रकाश चन्द नानकमत्ता पब्लिक स्कूल   दीवार पत्रिका उस वक़्त नन्हीं सी थी। उसका जन्म हुए कुछ दिन ही हुए थे। समझदार भी नहीं थी।...
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पितृसत्तात्मक समाजों में राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया: स्त्री शिक्षा और स्वतंत्रता के आइने में

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रविवार 1 नवम्बर 2020 को कोरस के फेसबुक लाइव चैट पर दर्शकों की मुलाकात हुई राधिका मेनन और शिवानी नाग से l डॉ. राधिका मेनन...
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बिटिया चाहे जेतना पढ़ ल्या करै के अहै चूल्है चउका

कीर्ति शहर से तीन साल बाद अपने गाँव सामंतपुर लौटी ,गाँव का रंग ढंग तो काफी बदल गया, सड़कें चौड़ीकरण योजना से प्रभावित शेषनाग की...
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सीखने की प्रक्रिया में फेल-पास के मायने

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डॉ.दीना नाथ मौर्य अमेरिकी शिक्षाविद जान हाल्ट ने अपनी पुस्तक ‘हाउ चिल्ड्रेन फेल’ में स्कूली शिक्षा के दौरान बच्चों में सीखने की स्वभाविकता के बीच...
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गुनता है गुरु ज्ञानी

डॉ.अंबरीश त्रिपाठी माता-पिता की महती इच्छा और महत्वाकांक्षाओं के साथ बच्चा पाठशाला में प्रवेश करता है । परीक्षा में अव्वल आने की प्रेरणा से वह...
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ऑनलाइन शिक्षा समय की ज़रूरत है पर स्थायी समाधान नहीं

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बृजराज सिंह महामारी और लॉकडाउन के बाद पूरे देश की शैक्षिक गतिविधियाँ पूर्णतः स्थगित हैं। ऐसे में तमाम शिक्षाविद एवं शिक्षा संस्थाएँ आगामी सत्र की...
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स्कूली बच्चे और ऑनलाइन पढ़ाई: क्या हम तैयार हैं?

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डॉ. दीना नाथ मौर्य पिछले दिनों स्पेन में जब 49 दिनों की तालाबंदी के बाद बच्चों को खेलने के लिए पार्कों में ले जाया गया...
ये चिराग जल रहे हैंशिक्षा

शुक्रिया, छंगा मास्साब, बहुत शुक्रिया!

नवीन जोशी
( वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नवीन जोशी के प्रकाशित-अप्रकाशित संस्मरणों की  श्रृंखला ‘ये चिराग जल रहे हैं’ की  पांचवीं  क़िस्त  में  प्रस्तुत  है   नवीन   जोशी ...
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बच्चों की रचनात्मकता को ऑनलाइन विकसित करता “जश्न ए बचपन”

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उत्तराखण्ड के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के फोरम “रचनात्मक शिक्षक मण्डल” ने लॉक डाउन के दिनों में बच्चों की रचनात्मकता को बनाये रखने के...
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समानता की सीख

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डॉ.दीना नाथ मौर्य स्कूल केवल सूचना ही नहीं देते हैं बल्कि सोचना भी सिखाते हैं और इसी रूप में नजरिये का निर्माण भी करते हैं....
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बुनियादी तालीम और किस्सागोई

डॉ.दीना नाथ मौर्य बचपन में सीखने-पढ़ने की औपचारिक शुरुआत तो बाद में होती है पर किस्से कहानियों के जरिये बच्चों में दुनियावी चीजों की अवधारणाओं...
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स्कूली कक्षाओं से ही निकलेगी पुस्तक- संस्कृति की राह

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डॉ.दीना नाथ मौर्य पिछले दिनों जब झारखंड के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुलाकातों में दिए जाने वाले ‘बुके’ को बुक यानि पुस्तक में बदलने...
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नई शिक्षा नीति देश को बेचने और तोड़ने का बहाना हो गई है : प्रो. अनिल सद्गोपाल

सुधीर सुमन
आठवां कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान, कुबेर दत्त की पुस्तक ‘ समय जुलाहा ’ का लोकार्पण नई दिल्ली. ‘नई शिक्षा नीति देश को बेचने और तोड़ने...
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राजभाषा का उद्देश्य जनता के कल्याण में निहित होना चाहिए

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अम्बरीश त्रिपाठी ऐतिहासिक भूलों को भूल जाने में आम भारतीयों का कोई सानी नहीं है। उपनिवेश बनने की कहानी को कितनी जल्दी और आसानी से...
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किसके हित में है नयी शिक्षा नीति: आम जन या पूंजीपति?

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रामावतार शर्मा मोदी सरकार की प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट लाते हुए शिक्षा के व्यापार को और तेज गति देगी, इंसानियत...
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सावित्रीबाई फुले के जन्म दिन को मनाया जाए शिक्षक दिवस के रूप में

डॉ रामायन राम
पिछले कुछ वर्षों से भारत के बहुजन समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों की ओर से भारत की प्रथम स्त्री शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्म...
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स्त्री शिक्षा : आधे-अधूरे चित्त की उपज

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कमलानंद झा ‘‘क्यों कर लड़कियां लिख-पढ़कर अपने सासरे वालों के बस में नहीं रहेंगी निश्चय वह तन-मन से अपने पुरूष की टहल करेंगी और आज्ञा...
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विश्वविद्यालयों की बात: गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
2017 में वर्सो से स्टेफान कोलिनी की किताब ‘स्पीकिंग आफ़ यूनिवर्सिटीज’ का प्रकाशन हुआ । आजकल विश्वविद्यालयों और उनके विद्यार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी...
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अध्यापन के अनुभव: गोपाल प्रधान

गोपाल प्रधान
बिना किसी महिमामंडन के कहें तो अध्यापन का काम विद्यार्थी पर अपनी सत्ता को स्थापित होते हुए देखने की खुशी है । इसीलिए निजी जीवन...
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शिक्षा और मार्क्सवाद

गोपाल प्रधान
शिक्षा का सवाल मार्क्सवाद के भीतर महत्वपूर्ण होते हुए भी बहुधा उपेक्षित रहा है लेकिन क्रमश: इस मामले में भी दोनों के बीच जीवंत संवाद...
Fearlessly expressing peoples opinion