समकालीन जनमत

Tag : मंगलेश डबराल

स्मृति

मेरी नींद मत लो मेरे सपने लो: मंगलेश स्मृति

समकालीन जनमत
मिथिलेश श्रीवास्तव दिल्ली शहर मंगलेश डबराल की कविता ‘मत्र्योश्का’ की तरह है ( मत्र्योश्का रूस की एक लोकप्रिय गुड़िया है जिसमें लकड़ी की बनी क्रमशः...
कविता

पहाड़ों की यातनाएं संजोते मंगलेश दा

अर्पिता राठौर मंगलेश डबराल का रचना कर्म उस सफर सरीखा है जो अपना समस्त जीवन मानवीय विडंबनाओं में संभावना तलाशते हुए गुज़ार देना चाहता है।...
स्मृति

´´ हम तारों से आये हैं और तारों में ही चले जायेंगे वापस ´´

प्रणय कृष्ण
विलक्षण कवि -लेखक, सम्पादक, अनुवादक, जन संस्कृति मंच के संस्थापक सदस्य और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कामरेड और सबसे बढ़कर एक दुर्लभ इंसान के रूप में हमारी स्मृतियों...
ख़बर

“कलाओं के बीच अबोलेपन को दूर करते हैं मंगलेश” – राजेंद्र कुमार

समकालीन जनमत
हिंदी के जाने-माने कवि मंगलेश डबराल का 9 दिसंबर 2020 को कोरोना संक्रमित होने के कारण दिल्ली के एम्स में निधन हो गया मंगलेश डबराल...
शख्सियत

प्रिय कवि मंगलेश डबराल की याद में

कौशल किशोर
लखनऊ के लेखकों और संस्कृतिकर्मियों ने आज मंगलेश डबराल और राघव नरेश की स्मृति में शोक सभा आयोजित करके उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। शोक...
शख्सियत

स्मृति मंगलेश डबराल: ‘आवाज भी एक जगह है’

कौशल किशोर
साहित्य और विचार की संस्था लिखावट की ओर से ऑनलाइन गूगल मीट पर प्रसिद्ध कवि और गद्यकार मंगलेश डबराल की स्मृति में कार्यक्रम ‘आवाज़ भी...
शख्सियत

मंगलेश की कविताएं आने वाली पीढ़ियों को भी लंबे समय तक प्रेरित करती रहेंगी – संतोष सहर

कवि मंगलेश डबराल को जन संस्कृति मंच की श्रद्धांजलि पटना, 13 दिसंबर। स्थानीय छज्जूबाग में जन संस्कृति मंच की ओर से, विगत 9 दिसंबर को...
ख़बर

प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल नहीं रहे

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का आज शाम सात बजे निधन हो गया। कोरोना से संक्रमित होने के बाद वे गाजियाबाद के एक निजी...
ये चिराग जल रहे हैं

वीरेनदा : कविता और जीवन में सार्थक भरभण्ड

( वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नवीन जोशी के प्रकाशित-अप्रकाशित संस्मरणों की  शृंखला ये चिराग जल रहे हैं   की  चौदहवीं  क़िस्त  में  प्रस्तुत  है   अनूठे  हिंदी ...
ये चिराग जल रहे हैं

सल्लाम वाले कुम, केशव अनुरागी

नवीन जोशी
( वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नवीन जोशी के प्रकाशित-अप्रकाशित संस्मरणों की  श्रृंखला ‘ये चिराग जल रहे हैं’ की  सातवीं  क़िस्त  में  प्रस्तुत  है   ‘ढोल  सागर...
शख्सियत

प्रेम और परिवर्तन की तड़प से भरे क्रांतिकारी कवि एर्नेस्तो कार्देनाल मार्तिनेस

समकालीन जनमत
मंगलेश डबराल रूबेन दारीओ, पाब्लो नेरूदा और सेसर वाय्यखो के बाद एर्नेस्तो कार्देनाल लातिन अमेरिकी धरती के चौथे बड़े कवि माने जाते हैं, जिनकी आवाज़...
जनमतशख्सियतस्मृति

उजले दिनों की उम्मीद का कवि वीरेन डंगवाल

समकालीन जनमत
मंगलेश डबराल ‘इन्हीं सड़कों से चल कर आते हैं आततायी/ इन्हीं सड़कों से चल कर आयेंगे अपने भी जन.’ वीरेन डंगवाल ‘अपने जन’ के, इस...
कविताजनमतस्मृति

चार आयामों का एक कवि विष्णु खरे

उमा राग
मंगलेश डबराल   यह बात आम तौर पर मुहावरे में कही जाती है कि अमुक व्यक्ति के न रहने से जो अभाव पैदा हुआ है...
कविताशख्सियत

यातना का प्रतिकार प्रेम

समकालीन जनमत
मंगलेश की कविता ने प्रेम को बराबर एक सर्वोच्च मूल्य के तौर पर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन एकान्त में नहीं, यातना के बरअक्स; क्योंकि...
कविता

यहीं कही रहेंगे केदारनाथ सिंह

समकालीन जनमत
मंगलेश डबराल, वरिष्ठ कवि हिन्दी कविता की एक महत्वपूर्ण पीढी तेज़ी से विदा हो रही है. यह दृश्य  दुखद और  डरावना  है जहां ऐसे बहुत...
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